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साहब, आप बता सकते हैं, हमारा गांव कौनसी पंचायत में आता है

locationझालावाड़Published: Feb 28, 2019 03:39:05 pm

Submitted by:

arun tripathi

नया खोद गांव के पुनर्वास का मामला : चार साल से चक्कर काट रहे ग्रामीण

BHAWANIMANDI

नया खोद गांव के पुनर्वास का मामला

भवानीमंडी. नया खोद गांव पुनर्वास स्थल के बाशिंदों को पता ही नहीं की उनका गांव कौनसी ग्राम पंचायत में आता है और मूलभूत सुविधाओं को कौन पूरा करेगा। बीते 4 वर्षो से लोगों को सड़क-नाली, पानी जैसी सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं।
ग्रामीण भवानीशंकर राठौर, सत्यनारायण तिवारी, भोलेराम अहीर, मनोहर सिंह ने बताया की रेवा बांध के पुर्नवास के लिए करीब 4 वर्ष पूर्व घटोद पंचायत में 650 परिवारों को स्थापित करने के लिए प्लॉट आवंटित किए थे। इसमें से आधे लोग तो पुराने गांव के पास ही बस गए। वहीं आधे पुर्नवास स्थल नया खोद में आकर बसे। इन ग्रामीणों के वोटर आइडी, आधार, भामाशाह, राशन कार्ड सभी दस्तावेज छत्रपुरा ग्राम पंचायत के बने हुए हैं, लेकिन छत्रपुरा पंचायत द्वारा मुलभूत सुविधाओं को पूरा नहीं किया जा रहा है।
हर बार सही कहकर पल्ला झाड़ लिया जाता है की नया खोद गांव सरकार ने घटोद पंचायत में स्थापित किया है। वहीं जब ग्रामीण अपनी मांग को लेकर घटोद पंचायत जाते हैं तो कहा जाता है की विभाग द्वारा पर्नवास नया खोद गांव को हमें सौंपा नहीं है जबकि नया खोद गांव के पोलिंग बूथ पर ही पंचायत राज व विधानसभा चुनाव के लिए मतदान हुआ था। दूसरी ओर छत्रपुरा ग्राम पंचायत द्वारा ही 4 वर्षों में स्वच्छ भारत मिशन के तहत ही नया खोद गांव में शौचालय निर्माण कराए। अब जब बात गांव के विकास की आ रही है, तो दोनों ही ग्राम पंचायतें जिम्मेदारी से दूर भाग रही हैं।
–जिस तरह से पुराना खोद गांव विकसित था, उसी प्रकार से नया खोद गांव नियमानुसार बसा कर दे दिया है। अब गांव के विकास व मुलभूत सुविधाओं को पूरा करने की जिम्मेदारी घटोद पंचायत की है।
अजीत जैन, अधीशासी अभियंता, रेवा बांध
–नया खोद गांव में सड़क-नाली आदि कार्य नहीं हुए थे। इसलिए घटोद पंचायत ने गांव को स्वीकार नहीं किया है।
सत्यवीर, सचिव, ग्राम पंचायत घटोद
–नया खोद गांव घटोद पंचायत में स्थापित किया है। गांव के विकास की जिम्मेदारी घटोद पंचायत की बनती है।
चक्रधारी, सचिव, ग्राम पंचायत, छत्रपुरा
पानी की समस्या है, छापी के नल पाइंट बढ़ाएं
रीछवा. क्षेत्र की बड़बड़ ग्राम पंचायत में मंगलवार रात जिला कलक्टर सिद्धार्थ सिहाग की अध्यक्षता में रात्रि चौपाल लगी।
चौपाल में ग्रामीणों ने सामाजिक सुरक्षा पेंशन, पीएम आवास, घरों में शौचालय निर्माण, आम रास्तों में हो रहे अवैध अतिक्रमण हटाने, कृषि पाइप लाइन सब्सिडी दिलाने, बड़बड़ कॉलोनी व निपानिया गुजरान गांव में छापी पेयजल योजना के सार्वजनिक नल पाइंट बढ़ाने सहित अन्य कई जनसमस्याओं के समाधान के प्रार्थना पत्र कलक्टर को दिए।
कलक्टर ने सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजना रुकने की समस्या पर ई-मित्र केन्द्र पर सत्यापन कराने की सलाह दी। इस दौरान ही महिला बाल विकास विभाग ने गर्भवती महिला की गोद भराई व छोटे
बच्चों का अन्न प्रासंग कलक्टर के हाथों से कराया। पूर्व सरपंच
संतोष बामनिया ने आंगनबाड़ी केंद्र के बच्चों को स्कूल बैग दिए। वहीं कलक्टर सिद्धार्थ सिहाग ने सामाजिक सुरक्षा के पेंशन
पीपीओ वृद्ध ग्रामीणों को वितरित किए।
रात्रि चौपाल में उपखंड अधिकारी राकेश मीणा, विकास अधिकारी अमित कुमार शर्मा, बड़बड़ सरपंच वर्षा पाटीदार, ग्राम विकास अधिकारी बाबूलाल मेहर, सीएमएचओ डॉ. साजिद खान, ब्लॉक सीएमएचओ डॉ. कुलवीर सिंह राजावत, महिला बाल विकास उपनिदेशक डॉ जीएम सैय्यद, रसद अधिकारी मनीषा तिवारी, अभियंता रमेशचंद वर्मा, कांग्रेस जिला उपाध्यक्ष घनश्याम पाटीदार, नायब तहसीलदार ओमप्रकाश दाधीच, पीएचडी विभाग अभियंता सोनू बलवानी, रोजगार सहायक ताराचंद मेहर, एलडीसी अमित वैष्णव अन्य विभागों के अधिकारी व कर्मचारी मौजूद रहे।
अफीम में काली मस्सी रोग, किसान चिंतित
रटलाई. पिछले दिनों हुई ओलावृष्टि और इसके बाद लगातार मौसम खराब होने से अफीम उत्पादक किसानों की समस्याएं बढ़ गई हैं। वहीं काली मस्सी का रोग लगने से उत्पादन पर असर पडऩे की संभावना जताई है।
ग्राम पंचायत गुराडख़ेड़ा के गांव रघुनाथपुरा में पन्नालाल लोधा और मांगीलाल लोधा के खेत में अफीम की फसल बोई है। किसानों ने बताया कि जैसे-तैसे फूल व डोडे आने लगे तो मौसम की मार ने परेशान कर रखा है। तेज हवाएं, बारिश ओलावृष्टि से नुकसान हुआ। किसान की पत्नी हरकुबाई ने बताया कि चीरा लगाने का समय आया तो डोडों में काली मस्सी रोग लग गया, इसके कारण इनमें कम दूध आ रहा है, जिससे कम पैदावार होगी। साथ ही मंगलवार रात्रि को बारिश से भी नुकसान बढ़ा है। अफीम कम निकलने की संभावना से चिंता बढ़ गई है। किसानों ने सरकार से सर्वे करवाकर रिहयत देने की मांग की है। वहीं क्षेत्र के ब्रह्मपुरा, मोतीपुरा, उम्मेदपुरा, कोली आदि गांवों के किसानों ने भी बार-बार मौसम के कारण पैदावार पर असर होने की संभावना जताई है।

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