अंधेरी दुनिया में चमकने की मशक्कत...
-आरक्षण वर्ग में संशोधन की मांग
-नैत्रहीनों को स्वावलम्बन बनाने वाले लुई ब्रेल के जन्म दिवस पर विशेष

-नैत्रहीनों को स्वावलम्बन बनाने वाले लुई ब्रेल के जन्म दिवस पर विशेष
अंधेरी दुनिया में चमकने की मशक्कत...
-आरक्षण वर्ग में संशोधन की मांग
-जितेंद्र जैकी-
झालावाड़. नैत्रहीनों को शिक्षा के माध्यम से समाज की मुख्य धारा से जोडऩे व स्वावलम्बन बनाने के लिए ब्रेल लिपि का आविष्कार करने वाले लुई ब्रेल के जन्म दिवस चार जनवरी पर जिले में नैत्रहीनों की स्थिति व पीड़ा बयां करती एक रिपोर्ट। नैत्रहीनों की पीड़ा है कि उन्हे सरकारी नौकरी में मिलने वाले चार प्रतिशत आरक्षण में सभी प्रकार के दिव्यांगो को शामिल किया जाता है। इसलिए नैत्रहीनों को अपना अधिकार बराबर नही मिल पाता हे। इसलिए उनके लिए अलग से आरक्षण किया जाए। वहीं पहले इस वर्ग को दिव्यांग अधिकार अधिनियम 1995 के तहत मात्र तीन प्रतिशत आरक्षण मिलता था लेकिन दिव्यांग अधिकार अधिनियम 2016 के तहत अब चार प्रतिशत कर दिया गया। इसमें 21 प्रकार के शारीरिक रुप से कमजोर वर्ग के लोगों को सम्मलित कर दिया गया। पूरे देश में करीब 60 लाख नैत्रहीन बताए जाते है।
-नैत्रहीनों की आवाज व पीड़ा
जिले के गांव पटपडिय़ा निवासी नैत्रहीन युवक कौशल सिंह जादौन ने बताया कि वह ब्रेल लिपि की सहायता से स्पेशल बीएड़ कर रहा है, लेकिन उन्हे इस बात का डर रहता है कि चार प्रतिशत आरक्षण में दिव्यांगों के 21 प्रकार के वर्ग सम्मिलित है इसलिए उनका नम्बर मुश्किल से आ पाएगा। उनका कहना है कि नैत्रहीनों के लिए अलग से अतिरिक्त आरक्षण मिलना चाहिए, क्योकि वह दूसरों के ऊपर निर्भर रहता है।
झालरापाटन निवासी नैत्रहीन रुपसिंह राठौड़ ने बताया कि नैत्रहीन अभ्यर्थियों को परीक्षा में भी सहायक की आवश्यकता पड़ती है। जैसे तैसे अगर उसका नम्बर आ भी जाता है तो आरक्षण में अन्य वर्ग होने से वह कम्पिटिशन में पिछड़ जाते है। अगर चयन हो भी जाता है तो उनकी योग्यता को नजर अंदाज किया जाता है इससे नेत्रहीन स्वयं को हीन समझता है। इस सामाजिक बुराई को भी दूर करने की आवश्यता है।
-पदौन्नति में भी आरक्षण होना चाहिए
राजकीय विद्यालय गागरोन में नियुक्त नैत्रहीन अध्यापक अब्दुल अय्यूब ने बताया कि सरकारी नियुक्तियों में अनाश्यक रुप से कई प्रकार के नियम बता दिए जाते है। उन्हे भी इस दौरान कई बार नियमावली साथ रखकर व पूरी जानकारी प्राप्त कर नियुक्त के लिए जाना पड़ा। वर्तमान में भी चार प्रतिशत आरक्षण में अन्य वर्ग के दिव्यांगों को सम्मलित करने से नैत्रहीनों को प्रतिभा होते हुए भी अपने अधिकार से वंचित होना पड़ता है। उन्होने पदोन्नति में भी नैत्रहीनों को आरक्षण देने की मंाग की।
-नैत्रहीन विद्यालय
जिले में संचालित निर्मल नैत्रहीन एवं अस्थि विशेष योग्यजन आवासीय विद्यालय के निदेशक रमन शर्मा ने बताया कि तीन वर्षो से संचालित इस विद्यालय में कुल 100 बच्चें कक्षा एक से 12वीं तक अध्यययन रत है। इसमें से करीब 45 बच्चें नेत्रहीन है, जिसमें से 32 बच्चें झालावाड़ जिले के है। इन्हे ब्रेल लिपि सीखाई जाती है जिसके माध्यम से यह अध्ययन करते है।
-जिले में मात्र पांच नैत्रहीन शिक्षक
समसा के सहायक परियोजना समन्वयक प्रेमचंद सोनी ने बताया कि जिले में सरकारी विद्यालयों में $कुल 18 नैत्रहीन विद्यार्थी अध्ययन रत है वहीं पांच नेत्रहीन शिक्षक कार्यरत है।
-60 लोगों ने किया नैत्रदान
राजकीय एसआरजी चिकित्सालय में नेत्र रोग विभाग के डॉ.एम.एल गुप्ता ने बताया कि 26 नवम्बर 2007 से अभी तक जिले में 60 लोगों ने नेत्रदान किया। इसमें से 1 जनवरी 2018 से 31 दिसम्बर 2018 तक दस लोगों ने नैत्रदान किया। इनकी आंखों से दूसरे की आंखें रोशन हो चुकी है।
-कई योजनाएं है नैत्रहीनों के लिए
समाज कल्याण विभाग के सहायक निदेशक गौरी शंकर मीणा ने बताया कि चालिस प्रतिशत से अधिक अंधता व दृष्टिबाधित व नैत्रहीनों के लिए जिले में मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना के तहत कई योजनाएं संचालित है। इसके तहत 750 रुपए प्रतिमाह पेंशन, इलेक्ट्रोनिक्स छड़ी, पेंशन, ऋण, विवाह अनुदान आदि योजना के माध्यम से नैत्रहीनों को लाभांवित किया जाता है। विभाग की ओर से 50 नैत्रहीन बच्चों को शिविर में ब्रेल स्लेट भी बांटी गई थी।
-लुई ब्रेल का परिचय
फ्रांस के कोपरे स्थान पर 4 जनवरी 1809 ईस्वी में जन्मे लुई ब्रेल के पिता औजार बनाने वाली एक फैैक्ट्री में श्रमिक थे। एक दिन बालक लुई ब्रेल अपने पिता के साथ जब फैक्ट्री में गए तो वहां एक औजार से उनकी एक आंख जख्मी हो गई। वहीं संक्रमण के कारण उन्हे दूसरी आंख भी गंवानी पड़ी। जब उन्होने अंधेरी दुनिया में रहकर अपने जैसो के लिए कुछ करने की सोचा तो सबसे पहले शिक्षा का पक्ष सामने आया। इस पर उन्होने नेत्रहीनों के लिए अलग भाषा बनाने का निर्णय किया व 1852 में ब्रेल लिपि का आविष्कार कर दिया। इसमें 6 बिंदू होते है इसमें ही 12 खड़ी व अक्षर होते है इन ङ्क्षबदूओं के माध्यम से नेत्रहीन पढ़ सकता है।
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