scriptDigvijay Day: स्वामी विवेकानंद ने ‘राजस्थान’ के इस राजा को भेजा था अपने भाषण का ऑडियो, जानें क्यों? | Digvijay Day Swami Vivekananda had sent the audio of his speech to a king of khetdi ajit singh | Patrika News
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Digvijay Day: स्वामी विवेकानंद ने ‘राजस्थान’ के इस राजा को भेजा था अपने भाषण का ऑडियो, जानें क्यों?

शिकागो में 11 सितम्बर, 1893 को विश्व धर्म सम्मेलन में ऐतिहासिक सम्बोधन के बाद उन्होंने राजस्थान के इस राजा को फोनोग्राफ से चार मिनट का ऑडियो संदेश भेजा था।

झुंझुनूSep 11, 2024 / 07:57 am

Lokendra Sainger

झुंझुनूं। आज एक क्लिक से ऑडियो संदेश भेज दिया जाता है, पुराने जमाने में जब फोन और मोबाइल नहीं थे, आज से ठीक 131 साल पहले स्वामी विवेकानंद ने भी ऑडियो संदेश भेजा था। हालांकि तब ऑडियो संदेश खेतड़ी पहुंचने में करीब 180 दिन लगे थे।
शिकागो में 11 सितम्बर, 1893 को विश्व धर्म सम्मेलन में ऐतिहासिक सम्बोधन के बाद उन्होंने राजस्थान के खेतड़ी के तत्कालीन राजा अजीत सिंह को फोनोग्राफ से चार मिनट का ऑडियो संदेश भेजा था। यह हिंदी में था। स्वामी विवेकानंद के संबोधन की तारीख (11 सितंबर) को दिग्विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है।
खेतड़ी के लोगों को संदेश सुनाने के लिए राजा अजीत सिंह ने महल के ‘दरबार हॉल’ में खास दरबार का आयोजन किया था। उस समय खेतड़ी के राजा के पास भी फोनोग्राफ था। इसके जरिए खेतड़ी वासियों को संदेश सुनाया गया। खेतड़ी के राजा का फोनोग्राफ वेलूर मठ के संग्रहालय में सुरक्षित है।
फोनोग्राफ ध्वनि के अभिलेखन के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला उपकरण है। इसका आविष्कार 1877 में हुआ। इसे ग्रामोफोन या रेकॉर्ड प्लेयर के रूप में भी जाना जाता है। तकनीक के साथ इसमे बदलाव होते गए।
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प्रजा को शिक्षित होने के लिए प्रेरित करें…

अमरीका के विकास और वहां की जनता को देखकर स्वामी विवेकानंद ने फोनोग्राफ के माध्यम से राजा अजीत सिंह को संदेश दिया था कि आप अपनी प्रजा को शिक्षित होने के लिए प्रेरित करें। गांव-गांव में पाठशाला खुलवाएं। रोगियों की चिकित्सा के लिए औषधालय की व्यवस्था कीजिए। प्रजा की उन्नति ही आपकी उन्नति है।

सडक़ और जलमार्ग से भेजा गया भारत

स्वामी विवेकानंद के अमरीकी मित्र हेनरी वेल ने ऑडियो संदेश 4 अक्टूबर, 1893 को रिकॉर्ड किया था। अक्टूबर 1893 को ऑडियो संदेश सडक़ और जलमार्ग से भारत भेजा गया। यह मार्च 1894 में खेतड़ी पहुंचा। खेतड़ी पहुंचने में इसे करीब 180 दिन लगे। संदेश में शिक्षा और चिकित्सा की व्यवस्था पर विशेष जोर था। –डॉ. जुल्फिकार, भीमसर, विवेकानंद पर शोधकर्ता और लेखक

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