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Shakambari Mata: सिद्ध शक्तिपीठ मां शाकंभरी की ख्याती देश-विदेश में, स्वत: प्रकट हुई थीं माता

Shakambari Mata Mandir: उदयपुरवाटी कस्बे से 15 किलोमीटर दूर अरावली की पहाडिय़ों के बीच सिद्ध शक्तिपीठ मां शाकंभरी का प्राचीन मंदिर देश-दुनिया में अपना अलग ही स्थान रखता है। यहां मां शाकम्भरी रुद्राणी और ब्रह्माणी के रूप में विराजमान है।

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झुंझुनूं। उदयपुरवाटी कस्बे से 15 किलोमीटर दूर अरावली की पहाडिय़ों के बीच सिद्ध शक्तिपीठ मां शाकंभरी का प्राचीन मंदिर देश-दुनिया में अपना अलग ही स्थान रखता है। यहां मां शाकम्भरी रुद्राणी और ब्रह्माणी के रूप में विराजमान है। दोनों प्रतिमाओं के बीच स्वत:प्रकट हुई एक छोटी मुख्य प्रतिमा है। इनके दर्शन के लिए देश-विदेश से श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं। नवरात्र में नौ दिन तक यहां श्रद्धा उमड़ती है। नवरात्र में माता के मंदिर में जात-जड़ूला उतारने और माता के दर्शनों के लिए दूर दराज से श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं। इसके अलावा नवरात्र में माता के दरबार में जगह जगह शतचंडी अनुष्ठान होते हैं।

संवत 751 में हुआ जीर्णोद्धार
मां शाकंभरी का मंदिर सीकर जिले में स्थित है। लेकिन माता दरबार में पहुंचने के लिए उदयपुरवाटी से सुगम रास्ता है। मंदिर के महंत दयानाथ के अनुसार सकराय में स्थित मां शाकंभरी का मंदिर प्राचीन होने से मंदिर के निर्माण के संबंध में कोई स्पष्ट जानकारी नहीं है। माता मंदिर के दीवार पर लगी पट्टिका में संवत 751 में तत्कालीन शासकों की ओर से मंदिर का जीर्णोद्धार करवाए जाने की जानकारी जरूर अंकित है।

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हलवा-पूरी और दूध का भोग
माता के सुबह हलवा-पुरी का भोग लगता है और शाम को दूध का भोग लगता है। मंदिर में प्रतिदिन सुबह 5:30 बजे और शाम को 7:30 बजे माता की आरती होती है। सर्दी में रात्रि 9:00 बजे और गर्मी में रात्रि 10:00 बजे कपाट बंद होते हैं। अष्टमी को माता के मेला लगता है। जगह-जगह शतचंडी अनुष्ठान होते हैं।