
झुंझुनूं. जिले में हरे पेड़ों की अंधाधुंध कटाई और तस्करी पर प्रभारी सचिव समित शर्मा की सख्त फटकार का असर जरा भी नहीं दिखा। पुलिस और वन विभाग अब भी आंखें मूंदे बैठे हैं। शनिवार तड़के पत्रिका की पड़ताल में खुलासा हुआ कि चिड़ावा से हरियाणा बॉर्डर तक सिर्फ एक घंटे में करीब 20 पिकअप लकड़ियों से लदी तेज रफ्तार में हरियाणा की ओर दौड़ीं। रास्ते में थाने, चौकियां, सीसीटीवी कैमरे और टोल नाके सब मौजूद थे, लेकिन किसी ने रोकने की हिम्मत नहीं की। जबकि कुछ दिन पहले ही प्रभारी सचिव ने बैठक में अफसरों को चेताया था—“मिलीभगत से तस्करी हो रही है, बेशर्म हो गए हो क्या?” पर यह चेतावनी भी कागजों में ही दब गई।
कबूतरखाना बस स्टैंड से एक के बाद एक बिना नंबर प्लेट की पिकअप निकलीं। ज्यादातर गाड़ियों को तिरपाल या बैनर से ढका गया था, लेकिन पीछे से हरी लकड़ियां साफ झांक रही थीं। रघुनाथपुरा टोल पार करते वक्त न कहीं चेकिंग हुई, न किसी ने रोकने की कोशिश की। चौंकाने वाली बात—चिड़ावा में वन विभाग का दफ्तर होते हुए भी कोई हलचल नहीं।
पत्रिका संवाददाता ने इन पिकअप का 70 किमी तक पीछा किया। गाड़ियां सूरजगढ़ होते हुए लोहारू और सिंघानी पहुंचीं, जहां आरा मशीनों पर तिरपाल हटाकर लकड़ियां उतारी गईं। यह सिलसिला सुबह 4 से 6 बजे तक यूं ही चलता रहा।
अनुमान है कि झुंझुनूं जिले से रोजाना 1750 क्विंटल हरे पेड़ों की कटाई हो रही है। अकेले लोहारू रोड पर रोज 40 से अधिक गाड़ियां जाती हैं, हर एक में 35-40 क्विंटल लकड़ी। नतीजा—भू-जल स्तर में गिरावट, तापमान में इजाफा और बारिश में कमी।
“तस्करों को पकड़ने के लिए फ्लाइंग स्क्वाड का गठन किया गया है। चिड़ावा में भी जल्द कड़ी कार्रवाई होगी।”
Published on:
10 Aug 2025 01:02 pm
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