
परमवीर च्रक विजेता मेजन शैतान सिंह भाटी के गांव में उनकी मूर्ति और मंदिर
120 Bahadur, Major Shaitan Singh Bhati Story: आज 21 नवंबर 2025 को बहुप्रतीक्षित वॉर ड्रामा फ़िल्म 120 बहादुर देश भर के सिनेमाघरों में रिलीज़ हो रही है। यह फ़िल्म 1962 के भारत.चीन युद्ध की सबसे महान और अविश्वसनीय लड़ाइयों में से एक, रेजांग ला की ऐतिहासिक जंग पर आधारित है। इस फिल्म का केंद्र है राजस्थान के सपूत और परमवीर चक्र विजेता मेजर शैतान सिंह भाटी। यह उनकी ही शौर्य गाथा है जिसे बड़े पर्दे पर लाया गया है। भाटी उन चुनिंदा योद्धाओं में से जिनका मंदिर तक बनाया गया है और हर शुभ कार्य से पहले गांव के लोग वहां ढोक लगाते हैं। मेजर शैतान सिंह भाटी की शौर्यगाथा हर भारतीय के लिए प्रेरणा स्रोत है।
मेजर शैतान सिंह भाटी का जन्म 1 दिसंबर 1924 को तत्कालीन जोधपुर रियासत के बनासोर गांव में एक सैन्य परिवार में हुआ था। उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा जोधपुर के प्रतिष्ठित चोपासनी स्कूल से पूरी की और 1949 में भारतीय सेना की कुमाऊं रेजिमेंट में शामिल हुए। अपनी बहादुरी और नेतृत्व क्षमता के कारण उन्हें 1962 के युद्ध के दौरान 13 कुमाऊं रेजिमेंट की चार्ली कंपनी का नेतृत्व करने की जिम्मेदारी मिली।
मेजर शैतान सिंह ने 18 नवंबर 1962 को रेजांग ला की दुर्गम चौकी पर जो कर दिखाया, वह इतिहास में अंतिम शौर्यपूर्ण लड़ाई के रूप में दर्ज है। रेजांग ला लद्दाख में 17,000 फीट की ऊँचाई पर थी और यह चौकी मुख्य सुरक्षा क्षेत्र से कटी हुई थी। मेजर शैतान सिंह के नेतृत्व में चार्ली कंपनी में केवल 120 वीर जवान थे। उधर चीनी सेना ने लगभग 3,000 सैनिकों की भारी टुकड़ी के साथ हमला किया। अविश्वसनीय बाधाओं के बावजूद, मेजर शैतान सिंह ने पीछे हटने से साफ इनकार कर दिया। वह एक चौकी से दूसरी चौकी पर लगातार घूमते रहे, सैनिकों का मनोबल बढ़ाते रहे और युद्ध की रणनीति तय करते रहे।
भारी गोलीबारी के बीच मेजर भाटी गंभीर रूप से घायल हो गए। जब उनके सैनिक उन्हें सुरक्षित निकालने की कोशिश कर रहे थे, तो चीनी सैनिकों ने भारी फायरिंग शुरू कर दी। अपने सैनिकों की जान बचाने के लिए, मेजर शैतान सिंह ने उन्हें पीछे हटने का आदेश दिया और खुद एक चट्टान के पीछे रहकर लड़ते रहे, जहाँ उन्होंने वीरगति प्राप्त की। इस युद्ध में मेजर शैतान सिंह के 120 जवानों में से 114 शहीद हुए, लेकिन उन्होंने 1300 से अधिक चीनी सैनिकों को मार गिराया और चीनी सेना की बड़ी बढ़त को रोक दिया, जिससे चूसूल हवाई क्षेत्र और लद्दाख के द्वार सुरक्षित हो गए। उनके इस सर्वोच्च बलिदान, अनुकरणीय नेतृत्व और अदम्य साहस के लिए उन्हें मरणोपरांत भारत के सर्वोच्च सैन्य सम्मान परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया।
मेजर और उनकी टुकड़ी की शौर्यगाथा दिखाने वाली यह फिल्म आज सिनेमाघरों में आ रही है। मुख्य किरदार फरहान अख्तर और उनके साथी हैं। फरहान इस फिल्म में मेजर का रोल निभा रहे हैं। उल्लेखनीय है कि यह फिल्म उस समय रिलीज हो रही है जब दो दिन पहले ही यानी 18 नवम्बर को मेजर भाटी को वीरगति प्राप्त हुई थी। जोधपुर में उनके गांव में उनकी मूर्ति को हर साल इस दिन सजाया जाता है और आयोजन किये जाते हैं। उनकी याद में गांव में मंदिर तक बनाया गया है, जहां हर शुभ कार्य से पहले ग्रामीण ढोक लगाते हैं। उनका मानना है कि मेजर भाटी उनकी रक्षा करते हैं।
Published on:
21 Nov 2025 08:21 am
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