मेडिकल बोर्ड ने दिया ऐसा सुझाव
मेडिकल बोर्ड ने एम्स, नई दिल्ली में उपचार का सुझाव दिया है, लेकिन चौधरी ने कहा कि याचिकाकर्ता को आयुर्वेद विज्ञान में अधिक विश्वास है और वह चाहता है कि उसका इलाज आयुर्वेद पद्धति से जोधपुर के आरोग्यधाम केंद्र या डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन राजस्थान आयुर्वेद यूनिवर्सिटी में करवाया जाए। उन्होंने दलील दी कि यह एक मरीज का अधिकार है कि वह अपनी इच्छा के अनुसार अपना इलाज करवाए। खंडपीठ ने कहा कि इसमें कोई दो राय नहीं है कि एक मरीज को अपनी इच्छा से इलाज करवाने का अधिकार है, परंतु मामले के तथ्यों के आधार पर इस तरह के अधिकार को पूर्ण अधिकार नहीं माना जा सकता।
क्यों खारिज हुई याचना
याचिकाकर्ता आयुर्वेद केंद्र में इलाज करवाना चाहता है, लेकिन याचिका में इसकी प्रार्थना नहीं की गई है। पहले भी याची के समर्थकों की ओर से जिस तरीके से अनियंत्रित व्यवहार देखा गया है, एक निजी आयुर्वेद केंद्र में याचिकाकर्ता का इलाज न केवल पुलिस और प्रशासन के लिए चुनौतियां पैदा करेगा, बल्कि अशांति का कारण भी बनेगा। कोर्ट ने आयुर्वेद यूनिवर्सिटी या आरोग्यधाम केंद्र में उपचार की याचना को खारिज कर दिया। साथ ही मेदांता अस्पताल, गुरुग्राम या जयपुर के इटरनल हार्ट केयर सेंटर (ईएचसीसी) जैसे निजी अस्पताल में इलाज के अनुरोध को भी इस आधार पर खारिज कर दिया गया कि याचिकाकर्ता को एम्स, नई दिल्ली में सर्जरी की सलाह दी गई है।
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एम्स में इलाज को लेकर कही ऐसी बात
खंडपीठ ने कहा कि यदि एम्स नई दिल्ली की ओर से सर्जरी की कोई तिथि दी जाती है तो याची के अनुरोध पर विचार किया जा सकता है और उचित समझे जाने पर उसे दो पुलिस कांस्टेबल और एक परिचारक के साथ एयर एम्बुलेंस में एम्स, नई दिल्ली में स्थानांतरित करने का आदेश दिया जा सकता है। चूंकि याचिकाकर्ता ने एम्स, नई दिल्ली में अपना इलाज कराने में रुचि नहीं दिखाई है, इसलिए याचिका खारिज कर दी गई। एम्स में इलाज करवाने की इच्छा पर याचिकाकर्ता नए सिरे से प्रार्थना पत्र दाखिल कर सकेगा।