
अक्षरधाम मंदिर जोधपुर (फोटो: पत्रिका)
Akshardham Temple Jodhpur Pran-Pratishtha Mahotsav: बीएपीएस स्वामीनारायण मंदिर का 10 दिवसीय प्राण-प्रतिष्ठा महोत्सव शुक्रवार से शुरू हो गया है। ये मंदिर राजस्थान के जोधपुर शहर में सूरसागर स्थित कालीबेरी क्षेत्र में बना है और अब देश का तीसरा अक्षरधाम मंदिर बन चुका है।
यह 42 बीघा क्षेत्र में फैला हुआ है और अपनी अद्भुत शिल्पकला, पारंपरिक स्थापत्य व सांस्कृतिक वैभव के लिए विशेष पहचान रखता है। 25 सितंबर को यहां भव्य मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा और लोकार्पण समारोह आयोजित होगा। यह मंदिर धार्मिक आस्था के साथ-साथ राजस्थान की संस्कृति, पर्यटन और वैश्विक पहचान को भी नई दिशा देगा। बीएपीएस प्रमुख महंत स्वामी महाराज मूर्तियों की प्राण प्रतिष्ठा संपन्न करेंगे।
इस अवसर पर राजस्थान सहित देश-विदेश से भी बड़ी संख्या में हरिभक्त पहुंचेंगे। गुरुवार को प्रेस वार्ता में योगीप्रेम स्वामी ने मंदिर से समाज को योगदान को साझा किया। अक्षरप्रेम स्वामी ने बताया कि प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में मुख्यमंत्री भजनलाल, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला, केन्द्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत व अर्जुन राम मेघवाल तथा पूर्व सांसद गजसिंह को भी आमंत्रित किया गया है। मुख्य संत श्वेत प्रकाश स्वामी ने मंदिर की स्थापत्य कला के बारे में जानकारी दी।
प्रदक्षिणा पथ: वेद मंत्र अंकित दीवारें।
अलंकृत शिल्पकला: स्तंभ, मंडप, तोरण पर देव-प्रतिमाएं।
शिखर विन्यास: आरोही शिखर, कलश व ध्वज।
स्तम्भ-शिल्प: बहुकोणीय स्तंभों पर लीलाचित्र।
तोरण-द्वार: हाथियों की सूंड पर नक्काशीयुक्त 121 तोरण।
मूर्ति वैभव: 151 मूर्तियां (अवतार, ऋषि, संत, शिव, गणपति)।
मंडोवर: परिक्रमा मार्ग पर देव व भक्त मूर्तियां
बहु-मंजिल स्थापत्य: भूतल पर अभिषेक मंडप
मुख्य मंदिर आकार: 191 म 181 म 91 फीट
मुख्य मंडप: तीन दिशाओं से खुला
निर्माण में प्रयुक्त: जोधपुरी छीत्तर पाषाण (1,11,111 घनफीट)।
23 सितम्बर को विश्व शांति महायज्ञ होगा।
24 सितम्बर को दोपहर 2 बजे से भव्य शोभायात्रा व झांकियां निकाली जाएंगी। इस शोभायात्रा में प्रतिष्ठित होने वाली मूर्तियों को भक्तों के दर्शनार्थ नगर परिक्रमा कराई जाएगी।
25 सितम्बर : मुख्य अनुष्ठान मूर्ति प्राण-प्रतिष्ठा
भूतल: अभिषेक मंडप (नीलकंठवर्णी रूप प्रतिष्ठित)।
मुख्य तल: (गर्भगृह) में भगवान और भक्त एक साथ ।
मध्य खंड: भगवान स्वामीनारायण अक्षर पुरुषोत्तम की 5.5 फीट की मूर्ति।
पहला खंड: राधा-कृष्ण।
अंतिम खंड: बाल स्वरूप स्वामी नारायण घनश्याम महाराज।
मुख्य मंदिर के दोनों छोर पर: शिव व राम परिवार के विग्रह।
गर्भगृह के ऊपर: पंचशिखरीय रूप।
नागर शैली (राजस्थान-गुजरात में प्रचलित)। 10वीं-13वीं शताब्दी की परंपरा पर आधारित। वर्तमान मंदिर का मिश्रित रूप में आधुनिक निर्माण।
Updated on:
19 Sept 2025 12:14 pm
Published on:
19 Sept 2025 12:07 pm
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