29 दिसंबर 2025,

सोमवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

दो साल बाद भी नही बना सीइटीपी

- सालावास में 200 करोड़ रुपए की लागत से बनना था - रीको ने 1 रूपए में जेपीएनटी को दी थी 25 बीघा जमीन - सांगरिया में बने कॉमन एफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट में क्षमता से ज्यादा पानी जा रहा

2 min read
Google source verification

जोधपुर

image

Amit Dave

Nov 14, 2019

दो साल बाद भी नही बना सीइटीपी

दो साल बाद भी नही बना सीइटीपी

जोधपुर।

औद्योगिक क्षेत्रों में फैक्ट्रियों से निकल रहे केमिकलयुक्त जहरीले पानी को ट्रीट करने के लिए सालावास औद्योगिक क्षेत्र में प्रस्तावित प्रदेश का सबसे बड़ा नया कॉमन एफ्लूएंट ट्रीटमेंट प्लांट (सीइटीपी) दो साल बाद भी नहीं बन पाया। रीको प्रबंधन ने सांगरिया स्थित सीइटीपी पर दबाव को देखते हुए और नए सीइटीपी की आवश्यकता को पूरा किया लेकिन फण्ड की कमी की वजह से नया प्रोजेक्ट मूर्तरूप नहीं ले पा रहा है। नया सीइटीपी नहीं बनने से सांगरिया में संचालित हो रहे सीइटीपी से औद्योगिक इकाइयों का पानी पूरी तरह से ट्रीट नहीं हो रहा है और नालों के माध्यम से जोजरी नदी में छोड़ा जा रहा है। गौरतलब है कि एनजीटी ने भी 1 मई 2014 को दिए अपने आदेश में नए सीइटीपी की स्थापना के लिए निर्देश दिए थे। -----

रीको ने 1 रुपए में जेपीएनटी को दी जमीन

रीको ने सीइटीपी के लिए जेपीएनटी को सालावास में निशुल्क भूमि का आवंटन किया था। रीको ने जोधपुर विकास प्राधिकरण से करीब ढाई करोड़ रुपए का भुगतान कर सालावास में 25 बीघा जमीन खरीदी थी। सभी आवश्यक औपचारिकताओं के बाद रीको प्रबंधन ने टोकन राशि मात्र 1 रुपए में जोधपुर प्रदूषण निवारण ट्रस्ट (जेपीएनटी) को जमीन दी ।

----

करीब 200 करोड़ लागत से बनेगा

सालावास में बनने वाला सीइटीपी 25 एमएलडी (मिलियन लीटर प्रतिदिन) क्षमता वाला होगा। अत्याधुनिक जीरो डिस्चार्ज (जेएलडी) तकनीक वाले सीइटीपी की लागत करीब 200 करोड़ रुपए होगी। सालावास में सीइटीपी स्थापित होने से सालावास, बासनी व तनावड़ा में लगी औद्योगिक इकाइयां जुड़ सकेंगी।

---

वर्तमान सीइटीपी 20 एमएलडी क्षमता वाला

वर्तमान में सांगरिया औद्योगिक क्षेत्र में संचालित हो रहा सीइटीपी 20 एमएलडी क्षमता वाला है। इस प्लांट के लिए भी रीको ने वर्ष 2003 में 10 एकड़ भूमि का निशुल्क आवंटन किया था। जिस पर जेपीएनटी ने प्लांट स्थापित किया था। इस प्लांट से करीब 315 टैक्सटाइल और 90 स्टील री-रोलिंग इकाइयां जुड़ी हुई है। टैक्सटाइल इकाइयों का अधिकतम 18 एमएलडी और स्टील व अन्य इकाइयों का 2 एमएलडी अपशिष्ट पानी उपचारित किया जा रहा है। प्लांट से प्रतिदिन करीब 1 करोड़ 50 लाख लीटर जहरीले पानी को उपचारित किया जा रहा है।

------

प्रदेश का सबसे बड़ा प्लांट होगा

वर्तमान में प्रदेश में चार जगहों पर सीइटीपी प्लांट संचालित हो रहे है। जोधपुर के अलावा भिवाड़ी, पाली व बालोतरा में प्लांट लगे हुए है। चार जगहों में सबसे बड़ा, एक इकाई के रूप में व व्यवस्थित वर्तमान संचालित प्लांट जोधपुर का है। अन्य प्लांटों में एक साथ इतना पानी ट्रीट करने की क्षमता नहीं है, कई जगहों पर हालांकि तीन-चार प्लांट है पर सबकी ट्रीट करने की क्षमता कम है। अब नए प्लांट के बनने पर वह प्रदेश का सबसे बड़ा होगा, क्योंकि उसकी क्षमता 25 एमएलडी होगी।

-----

यह बड़ा प्रोजेक्ट है, बड़े फण्ड की जरूरत है। जेपीएनटी की ओर से स्पेशल पर्पस व्हीकल का गठन किया जा चुका है। राज्य व केन्द्र सरकार की ओर से अगर फण्ड की व्यवस्था हो जाए तो यह प्रोजेक्ट जल्द शुरू हो जाएगा।

जसराज बोथरा, मैनेजिंग ट्रस्टी

जेपनीएनटी --