
भोपालगढ़। भोपालगढ़ सहित क्षेत्र के ग्रामीण इलाकों में बीते कई दिनों से बारिश नहीं होने से खेतों में खड़ी सावणी फसल मुरझाने लगी है। अगले दस दिनों में बारिश नहीं होती है, तो बड़े नुकसान की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता। दूसरी ओर, खड़ी फसलों में पनप रहीं फली छेदक लट व अन्य कीट-व्याधियां भी किसानों के लिए कोढ़ में खाज बन रही हैं।
इस बार भोपालगढ़ क्षेत्र के ग्रामीण इलाकों में बिपरजॉय तूफान से पहले एवं बाद में समय-समय पर हुई बारिश के चलते किसानों ने व्यापक पैमाने पर सावणी फसलों की खेती की है। बुवाई समय पर हो जाने के बाद बार-बार बारिश होने से इस बार न केवल ये फसलें अच्छी तरह से पनपी, बल्कि इनकी बढ़वार भी काफी अच्छी रही। फिलहाल खेतों में मूंग, मोठ, बाजरा, तिल व ग्वार की फसल हो रही है। लेकिन पिछले कुछ दिनों से बारिश नहीं होने के कारण अब ये श्रावणी फसलें तेज धूप की वजह से जलने के कगार पर आ गई हैं। भोपालगढ़ समेत क्षेत्र के ओस्तरां, हीरादेसर, रुदिया, मैलाणा, नाड़सर, रजलानी, आसोप, गारासनी, दाड़मी, रामपुरा, शिवनाथ नगर, बासनी बुद्धा, देवनगर, छापला, धोरु, कुड़ी, बागोरिया, अरटिया, देवातड़ा व बुड़किया समेत अधिकांश गांवों में कमोबेश ऐसे ही हालात बने हुए हैं।
बिना बारिश दवा भी घातक
रोगों से बचाव के लिए कई किसानों ने तीन-तीन बार रासायनिक दवाओं का छिड़काव भी कर दिया। लेकिन बिना बारिश के अब किसान और दवा के उपयोग का जोखिम भी नहीं ले रहे। ऐसा करने पर यह दवा फसल का भी नुकसान कर सकती है। किसानों ने अब तक प्रति हेक्टेयर करीब 10 से 15 हजार रुपए खर्च कर दिए हैं। अगले कुछ दिन तक भी बारिश नहीं हुई तो फसले जलने से किसानों की बनी-बनाई तकदीर पर पानी फिर सकता है। खासकर मूंग की फसल में फली छेदक लटों का प्रकोप बढ़ता जा रहा है। कुछेक जगह आगत बुवाई वाली फसलों में फलियां तो बन रही हैं, लेकिन इनमें लटों ने इतने छेद कर दिए हैं कि फलियां ’बांसुरी’ जैसी नजर आने लगी हैं।
कर्ज तले दब जाएंगे किसान सावणी फसलों से उपज की उम्मीद कम होती जा रही है। इस खेती पर हजारों रुपए खर्च करने वाले किसान कर्ज के बोझ तले दब जाएंगे।
- महिपाल जाखड़, किसान, गारासनी
रोगों ने उड़ाई किसानों की नींद सावणी फसलों एवं खासकर मूंग में कई तरह के रोगों का व्यापक प्रकोप होने लगा है। जिसकी वजह से फलियां खाली हो गई है और इसका सीधा असर उपज पर पड़ेगा।
- शोभाराम जाट, किसान
फसल बुवाई (हैक्टेयर में)
बाजरा 28000
मूंग 32000
ग्वार 2500
ज्वार 500
तिल 300
कपास 4500
कुल बुवाई 68300
Published on:
13 Aug 2023 02:01 pm
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