इससे पूर्व मूलसिंह की अपील पर विवि के केंद्रीय कार्यालय में दोपहर 12 बजे सुनवाई शुरू हुई। कुलपति प्रो. चौहान के साथ रजिस्ट्रार भंवर सिंह सांदू मंच पर बैठे। मूलसिंह ने एक-एक कर अपनी सभी आपत्तियां कुलपति के समक्ष रखी।
साथ ही सुनील चौधरी और मूलसिंह ने एक दूसरे के नामांकन में गड़बड़ी को लेकर भी आपत्तियां दी। इस दौरान कुलपति ने मतगणना केंद्र की वीडियो रिकॉर्डिंग भी देखी जिसमें प्रोफेसर से लेकर ठेकाकर्मी तक मोबाइल फोन का उपयोग करते नजर आ रहे थे, जबकि मतगणना केंद्र पर मोबाइल प्रतिबंधित था।
सुनवाई के दौरान मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीआरओ) प्रो. अवधेश शर्मा, ग्रीवेंस रिड्रेसल कमेटी के सदस्य और छात्रसंघ के पदाधिकारी भी उपस्थित थे। कुलपति की ओर से गुरुवार को छात्रसंघ अध्यक्ष के बारे में व्यक्त मत मुख्य निर्वाचन अधिकारी प्रो. शर्मा के मत से एकदम विपरीत है।
गत तीन अक्टूबर को राजपूत समाज और तत्कालीन कुलपति प्रो. राधेश्याम शर्मा के बीच छह घंटे की वार्ता के दौरान सीआरओ प्रो. शर्मा ने कहा था कि उनके हिसाब से वर्तमान परिस्थितियों में सुनील चौधरी छात्रसंघ अध्यक्ष नहीं हैं, क्योंकि अब तक आपत्तियों का निस्तारण नहीं किया गया है।
गौरतलब है कि 3 अक्टूबर को राजपूत समाज की रैली के बाद शेरगढ़ विधायक बाबूसिंह राठौड़, मूलसिंह व अन्य पदाधिकारियों की विवि के तत्कालीन कुलपति के बीच 6 घण्टे वार्ता चली थी। इसमें केंद्रीय कृषि राज्यमंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत भी शामिल हुए थे। खर्च का ब्यौरा नहीं दिया छात्रसंघ अध्यक्ष सहित अधिकांश पदाधिकारियों ने अब तक चुनावी खर्च का ऑडिटेड ब्यौरा जमा नहीं करवाया है।
सीआरओ ने इसी सप्ताह ई-मेल के जरिए सभी पदाधिकारियों को कारण बताओ नोटिस भेजा था। इसका जवाब देने की अवधि गुरुवार को समाप्त हो रही है। नियमों के मुताबिक मतगणना के दो सप्ताह के भीतर खर्च का ब्यौर पेश करना था।
ऐसा नहीं करने पर नियमानुसार उनका पद, यानी पूरी छात्र संसद ही शून्य घोषित हो जाएगी। एक महीने बाद भी ढाक के वही तीन पात छात्रसंघ के लिए मतदान 10 को और मतगणना 11 सितंबर को हुई थी।
अपेक्स अध्यक्ष पद पर एनएसयूआइ के सुनील चौधरी को 9 वोट से विजेता घोषित किया गया था। परिणाम घोषित होने के बाद मूलसिंह ने गायब हुए 33 मत, खारिज किए गए 568 मत सहित 20 बिंदुओं पर आपत्ति दी थी। इस बात को गुरुवार को एक महीना पूरा हो गया लेकिन विवि किसी निर्णय पर नहीं पहुंच सका।
तत्कालीन कुलपति प्रो. राधेश्याम शर्मा ने मूलसिंह की अपील पर 13 अक्टूबर को अंतिम निर्णय करने की बात कही थी, लेकिन पांच दिन पहले नए कुलपति प्रो. चौहान आ गए। उन्होंने अपील अब सुनी है और निर्णय के लिए कुछ समय चाहिए।