
Jodhpur News: डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन राजस्थान आयुर्वेद विश्वविद्यालय ने मधुमेह (डायबिटीज) रोगियों के उपचार के लिए खुद की रसायनशाला में चूर्ण तैयार किया है। विवि की ओपीडी में आने वाले 500 मरीजों पर इसका सफल परीक्षण किया गया है।
दावा है कि अगर किसी मरीज का एचबीए-1सी (ग्लाइसाइटेड हीमोग्लोबिन) का पैमाना 8 तक है तो ऐसे मरीजों पर यह चूर्ण बहुत जल्दी असर करता है। तीन महीनों में मरीजों का एचबीए-1सी का पैमाना 6 तक आ जाता है। इसके साथ दैनिक जीवनचर्या से जुड़ी चीजें भी फॉलो करनी पड़ती हैं।
जोधपुर आयुर्वेद विवि की रसायन शाला में 21 एंटी डायबिटिक ड्रग को मिलाकर मधुमेहारियोग चूर्ण तैयार किया है। इसे खाली पेट सुबह 3 ग्राम और शाम को 3 ग्राम लेना होता है। 90 से 120 दिन तक लगातार लेने पर मरीज सामान्य हो जाता है। अब यह चूर्ण मरीजों को नि:शुल्क उपलब्ध करवाया जा रहा है।
जिन मरीजों का फास्टिंग ब्लड शुगर लेवल 140 से 150 मिलीग्राम प्रति डेसीलीटर होता है। खाना खाने के दो घंटे बाद शुगर लेवल 200 तक रहता है। ऐसे मरीजों पर मधुमेहारियोग चूर्ण सर्वाधिक असर करता है। जिन मरीजों का शुगर लेवल 400 से 500 तक है। ऐसे मरीजों पर असर तो होता है, लेकिन वे सामान्य नहीं हो पाते हैं।
अस्पताल की बालरोग ओपीडी में प्रतिदिन एक से दो बच्चे टाइप-1 डायबिटीज के आ रहे हैं। आयुर्वेदिक दवा से इन्हें राहत मिल रही है।
-डॉ. हरीश सिंघल, बाल रोग विभागाध्यक्ष, आयुर्वेद विश्वविद्यालय जोधपुर
मधुमेहारियोग चूर्ण से 150 से 200 शुगर लेवल तक डायबिटीज आसानी से ठीक हो रही है, लेकिन इसके साथ जीवनचर्या के नियम भी मानने पड़ते हैं। जल्दी सोना, जल्दी उठना, घूमना, अधिक कार्बोहाईड्रेट्स की चीजों का सेवन नहीं करना, मीठे पेय नहीं पीना शामिल है। तीन से चार महीने में ठीक होने के बाद अगर जीवनचर्या नियम मानते हैं तो फिर डायबिटीज नहीं होगी।
Published on:
14 Nov 2024 03:32 pm
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