
Monsoon 2023 End Date: अरब सागर में जून में उठे चक्रवाती तूफान बिपरजॉय की बारिश मानसून के खाते में आ गई है। देश के सबसे लम्बे तूफानों में शामिल बिपरजॉय का असर 6 जून से लेकर 22 जून तक रहा था। भारतीय मौसम विभाग एक जून से लेकर तीस सितम्बर तक मानसून काल की बारिश मानता है।
जून में बिपरजॉय ने राजस्थान के जालोर-बाड़मेर के रास्ते ही प्रवेश किया था और मूसलाधार बारिश से बाढ़ आ गई थी। चूंकि यह बारिश जून महीने में हुई थी, इसलिए मानसून के खाते में जुड़ गई है। यह बारिश अब तक हुई मानसूनी बरसात का 20 से लेकर 50 प्रतिशत तक है। बिपरजॉय की बारिश के कारण ही इस साल जून में ही किसानों ने बुवाई शुरू कर दी थी। अगर बिपरजॉय नहीं होता तो सूखे का असर काफी अधिक रहता।
जालोर की आधी बारिश बिपरजॉय
जालोर में एक जून से लेकर 22 जून तक 426 मिलीमीटर बारिश हुई थी और अब तक 802 मिमी बारिश हुई है यानी आधी से अधिक बारिश बिपरजॉय के कारण हुई। सिरोही में 38 प्रतिशत, पाली में 46 प्रतिशत, बाड़मेर में 40 प्रतिशत, जोधपुर में 29 प्रतिशत और नागौर में 20 प्रतिशत बारिश चक्रवाती तूफान की है।
अगस्त सूखा बीता, आंकड़ों में मानूसन की मेहर
पश्चिमी राजस्थान के कुछ हिस्से से मानसून की विदाई हो चुकी है और शेष हिस्से से अगले 48 घंटे में हो जाएगी। अगस्त पूरा सूखा बीतने के बावजूद पश्चिमी राजस्थान में आंकड़ों में मानसून की मेहर बनी हुई है। इसका कारण भी बिपरजॉय है। थार में मानसून की अधिकांश बारिश जुलाई महीने में हुई थी। अगस्त से लेकर सितम्बर प्रथम सप्ताह तक लगभग 40 दिन बगैर बरसात के ही निकले, लेकिन जून में बिपरजॉय की बारिश के कारण आंकड़ों में मानसून अच्छा साबित हो गया।
बिपरजॉय नहीं पहुंचा इसलिए पूर्वी राजस्थान में सूखा
हाड़ौती सहित पूर्वी क्षेत्र में बिपरजॉय का असर नहीं के बराबर था इसलिए वहां जून महीने में कम बारिश हुई। नतीजा यहां अब तक बारिश का कोटा पूरा नहीं हुआ है। इसी वजह से बारां (-38), झालावाड़ (-22), कोटा (-20), बूंदी (-25), चितौड़गढ़ (-20), भीलवाड़ा (-8) जैसे क्षेत्रों में अब तक मानसून की बारिश भी पूरी नहीं हुई है।
Published on:
28 Sept 2023 06:39 pm
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