वन भूमि के अन्य उपयोग की इजाजत नहीं दी जा सकती: कोर्ट
जोधपुरPublished: Nov 21, 2020 07:08:41 pm
चारागाह अनुपलब्घता को लेकर सरकार को ज्ञापन देने के निर्देश
वन भूमि के अन्य उपयोग की इजाजत नहीं दी जा सकती: कोर्ट
जोधपुर। राजस्थान हाईकोर्ट उदयपुर जिले के घाटोद गांव में वन भूमि पर चारदीवारी के निर्माण को चुनौती देने वाली जनहित याचिका को निस्तारित करते हुए निर्देश दिए कि वन भूमि के अन्यत्र उपयोग की इजाजत नहीं दी जा सकती, लेकिन गांव में चारागाह भूमि की अनुपलब्धता को देखते हुए संबंधित ग्राम पंचायत को राज्य सरकार के समक्ष ज्ञापन प्रस्तुत करने को कहा है। सरकार को इस ज्ञापन पर आठ सप्ताह में निर्णय लेने के निर्देश दिए गए हैं।
वरिष्ठ न्यायाधीश संगीत लोढ़ा तथा न्यायाधीश देवेन्द्र कछवाहा की खंडपीठ में याचिकाकर्ता मांगीलाल एवं अन्य ने घाटोद गांव में वन भूमि पर वन विभाग द्वारा चारदीवारी के निर्माण रोकने की मांग की थी। याचिकाकर्ताओं की ओर से कहा गया कि गांव में चारागाह भूमि की अनुपलब्धता है, जिसे देखते हुए तत्कालीन जिला कलक्टर ने 11 नवंबर, 1965 को वन भूमि के क्षेत्र विशेष को चारगाह के लिए आरक्षित रखने के निर्देश दिए थे। याचिका में कहा गया कि अब इस भूमि पर चारदीवारी का निर्माण करवाया जा रहा है, जिसके निर्माण के बाद गांव के पशुधन के लिए चराई की समस्या हो जाएगी। राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता संदीप शाह ने कहा कि चराई के लिए जिला कलक्टर के आदेश से किसी तरह के अधिकारों का सृजन नहीं होता। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने 14 फरवरी, 2020 को नेशनल पार्क तथा अभ्यारण्यों में से किसी तरह के मृत या सूखे पेड़ या घास की कटाई पर पूर्णतया प्रतिबंध लगा दिया है। घाटोद गांव की प्रश्नगत भूमि वन्यजीव अभ्यारण्य का भाग है और वन भूमि है। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट के आदेश की पालना सुनिश्चित की जानी आवश्यक है। खंडपीठ ने कहा कि शीर्ष कोर्ट के आदेश की पालना में वन भूमि के अन्यत्र उपयोग को अनुमत नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने ग्राम पंचायत को चारागाह भूमि की समस्या का समाधान करने के लिए राज्य सरकार को ज्ञापन देने के निर्देश दिए हैं।