
जोधपुर। जोधपुर की राजनीतिक सियासत में सूरसागर विधानसभा सीट का टिकट यहां के अलावा दो अन्य सीटों का जातीय समीकरण भी तय करता है। दरअसल, कांग्रेस इस सीट को स्टेपनी के रूप में इस्तेमाल करती है। यहां ऐसा उम्मीदवार उतारती है जो बाकी सीटों पर कांग्रेस के लिए मददगार हो। कांग्रेस यहां से टिकट देने के पीछेजातीय समीकरण को साधने की कोशिश करती है। पिछली बार दोनों सीटें निकलवाई भी। कांग्रेस को अल्पसंख्यक को एक सीट देना मजबूरी है और सूरसागर विधानसभा उसके लिए फिट रहती है। कांग्रेस अल्पसंख्यक समुदाय को टिकट देकर विशेषकर सरदारपुरा और शहर विधानसभा में जातीय समीकरण का गणित बिठाती है।
निर्णायक भूमिका में रहते है मुस्लिम और ओबीसी मतदाता
सूरसागर विधानसभा सीट पर जातीय समीकरण की बात करें तो यहां पर ब्राह्मण, मुस्लिम, एससी-एसटी, ङ्क्षसधी, माली जातियों के वोट सर्वाधिक हैं। सूरसागर विधानसभा सीट पर मुस्लिम और ओबीसी मतदाता निर्णायक भूमिका निभाते हैं। परिसीमन के बाद भी यहां पर कांग्रेस अपना पांव नहीं जमा सकी।
भाजपा असमंजस में तो कांग्रेस कर रही मंथन
भाजपा भी इस बार असमंजस है कि पुराने टिकट को रिपीट करें या फिर सूरसागर से नया चेहरा उतारे। भाजपा इस बात को लेकर भी असमंजस में है कि सूरसागर विधानसभा सीट से पुष्करणा ब्राह्मण को उतारा जाए या सर्व ब्राह्मण के किसी प्रत्याशी को उतारकर समस्त ब्राह्मणों के वोटों की गणित को साधे। इधर, कांग्रेस भी सूरसागर सीट को अपने खाते में शामिल करने के लिए मुस्लिम को टिकट दे या किसी ब्राह्मण को इस मुद्दे पर अभी तक मंथन ही कर रही है। अशोक गहलोत सूरसागर सीट पर जिताऊ प्रत्याशी की तलाश कर रहे हैं। अब देखना होगा कि यह तलाश इस विधानसभा चुनाव में खत्म होती है या नहीं।
2008 में हुई थी ‘जीजी’ की एंट्री
साल 2008 में परिसीमन के बाद विधानसभा चुनाव बीजेपी की सूर्यकांता व्यास ने कांग्रेस के सईद अंसारी को शिकस्त दी। साल 2013 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी विधायक सूर्यकांता व्यास ने लगातार दूसरी बार जीत दर्ज करते हुए कांग्रेस के जैफू खान को हराया। वर्ष 2018 में एक बार फिर सूर्यकांता व्यास की जीत हुई। उन्होंने प्रो. अयूब खान को हराया।
कांग्रेस के नरपतराम ने लगाई जीत की हैट्रिक
साल 1977 में सूरसागर में पहली बार विधानसभा चुनाव हुए थे। उस वक्त ये सीट एससी के लिए रिजर्व थी। चुनावी मैदान में कांग्रेस की तरफ से नरपतराम और जनता दल की ओर से मोहनलाल चुनावी मैदान में थे। कांग्रेस ने जीत के साथ इस सीट पर अपना खाता खोला। 1980 के चुनावी में दोनों ही पार्टियों ने अपने पिछले उम्मीदवारों पर भरोसा जता मैदान में उतारा, लेकिन नतीजा नहीं बदला। वर्ष 1985 में हुए विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने नरपतराम ने जीत की हैट्रिक लगाई।
मोहन मेघवाल ने कराई भाजपा की वापसी
सूरसागर विधानसभा में लगातार तीन बार से जीत रही कांग्रेस के विजय रथ को आखिरकार भाजपा के मोहन मेघवाल ने रोक दिया। साल 1990 में भी कांग्रेस ने नरपतराम पर ही भरोसा जताया, लेकिन वे हार गए। इस चुनाव में मोहन मेघवाल को जीत हासिल हुई। 1993 के विधानसभा चुनावों में एक बार मोहन मेघवाल और नरपतराम आमने-सामने थे, लेकिन परिणाम पिछले चुनाव जैसा ही रहा है। हालांकि अगले चुनावों में भाजपा ने मोहन मेघवाल जीत की हैट्रिक नहीं लगा पाए और कांग्रेस के भंवरलाल बलाई जीत गए। हालांकि अगले चुनाव में मोहन मेघवाल ने फिर से वापसी करते हुए कांग्रेस के उम्मीदवार भंवरलाल बालाई को हरा दिया।
Updated on:
15 Oct 2023 09:11 am
Published on:
15 Oct 2023 09:10 am
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