7 दिसंबर 2025,

रविवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

सम्मान के साथ जीने के अधिकार में शामिल है अच्छे पति के रुप में कार्य करने का कर्तव्यः हाईकोर्ट

न्यायाधीश अरुण मोंगा की एकल पीठ ने कहा कि सम्मानपूर्वक जीवन जीने का अधिकार एक इंसान के रूप में आवश्यक है, जिसमें एक अच्छे पति के रूप में कार्य करना भी शामिल है।

less than 1 minute read
Google source verification
Rajasthan High Court

Rajasthan High Court: राजस्थान हाईकोर्ट ने अजमेर निवासी याचिकाकर्ता को अस्थायी जमानत पर रिहा करने का आदेश देते हुए कहा है कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत सम्मानपूर्वक जीने का अधिकार, एक अच्छे पति के रूप में कार्य करने का कर्तव्य भी समाहित करता है।

याचिकाकर्ता वर्तमान में संजीवनी मल्टीस्टेट क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसायटी घोटाले के आरोप में जोधपुर की जेल में बंद है। याची ने अपनी पत्नी की गंभीर स्वास्थ्य स्थिति को देखते हुए 60 दिनों की अस्थायी जमानत की मांग की थी। कोर्ट को बताया गया कि पत्नी का इलाज अजमेर के जवाहरलाल नेहरू अस्पताल के न्यूरोसर्जरी विभाग में चल रहा है। डॉक्टरों ने तुरंत सर्जरी कराने की सलाह दी है। न्यायाधीश अरुण मोंगा की एकल पीठ ने कहा कि सम्मानपूर्वक जीवन जीने का अधिकार एक इंसान के रूप में आवश्यक है, जिसमें एक अच्छे पति के रूप में कार्य करना भी शामिल है।

वैवाहिक वचनों का भी संदर्भ

कोर्ट ने कहा कि लोगों मौलिक अधिकार में एक इंसान के रूप में सम्मान के साथ जीने का अधिकार भी शामिल है, जो हिंदू रीति-रिवाजों के अनुसार सप्तपदी समारोह के दौरान लिए वैवाहिक वचनों के संदर्भ में एक अच्छे पति के रूप में कार्य करने के लिए आवश्यक है।

फरार होने का खतरा नहीं

कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता के फरार होने या साक्ष्यों के साथ छेड़छाड़ करने का कोई खतरा नहीं है। इस मामले में अधिकतर साक्ष्य दस्तावेजी प्रकृति के हैं और पहले ही सुरक्षित कर लिए गए हैं। ऐसे में जमानत दी जा सकती है।

यह भी पढ़ें-Rajasthan News: सलमान खान की बढ़ीं मुश्किलें, जोधपुर में बिश्नोई समाज ने हथियार लाइसेंस के आवेदन का किया विरोध