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मारवाड़ को प्रिय है पूर्व राजमाता कृष्णा कुमारी का ये स्केच, आर्टिस्ट हरिसिंह की इस भेंट पर किए थे हस्ताक्षर

पूर्व राजमाता की एक तस्वीर पर बना स्कैच सर्वाधिक लोकप्रिय है।

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जोधपुर. पूर्व राजमाता कृष्णाकुमारी के निधन का शोक संपूर्ण मारवाड़ मना रहा है। अपने गरिमामय जीवन में मारवाड़ की जनता के दिलों में बसने वाली ममतामयी मूरत के खोने से जहां हर कोई गमजदा है। वहीं लोग उनसे जुड़े संस्मरण साझा कर उन्हें याद कर रहे हैं। पूर्व राजमाता की एक तस्वीर पर बना स्केच सर्वाधिक लोकप्रिय है। इस स्केच को बनाने वाले यहां के मशहूर आर्टिस्ट हरिसिंह भाटी पूर्व राजमाता से जुडें अपने संस्मरण पत्रिका के पाठकों के साथ बांट रहे हैं। मूलत: पाली जिले के सरदार समंद के पास शिवपुरा गांव के रहवासी हरिसिंह भाटी ने कला के क्षेत्र में देश-विदेश में नाम कमाया है।

मुम्बई के सर जेजे स्कूल ऑफ आर्ट से गोल्ड मेडल प्राप्त भाटी ने बताया कि पूर्व राजमाता के नाम पर राजमाता कृष्णाकुमारी गल्र्स पब्लिक स्कूल की स्थापना साल 1991 में की गई थी। इसका शुभारंभ नेपाल की पूर्व महारानी द्वारा किया गया था। स्कूल की स्थापना से कुछ समय पूर्व ही हरिसिंह वनस्थली विद्यापीठ को अपनी सेवाएं देकर वापस आए थे। स्कूल में आर्ट टीचर की जिम्मेदारी हरिसिंह के दिए जाने पर प्राचार्य ने केवल महिला शिक्षिका को लगाए जाने पर जोर दिया लेकिन पूर्व सांसद गजसिंह ने हरिसिंह के हुनर को जानते हुए उन्हें यह जिम्मेदारी दी। उन्होंने बताया कि बिना इंटरव्यू के प्राचार्य की ग्रेड के बराबर उनकी नियुक्ति की गई। स्कूल स्थापना के अवसर पर बैकड्रॉप और मोनोग्राम डिजाइन उनके द्वारा ही किया गया है। इसके लिए पूर्व राजमाता से सलाह लेने के लिए समय मांगा गया था। उन्होंने बताया कि पूर्व राजमाता कलाकारों के लिए कितना सम्मान रखती थीं यह इस बात से ही मालूम होता है कि उन्होंने किसी भी समय आकर मिलने को कहा। पूर्व राजमाता ने मोनोग्राम में कुलदेवी से जुड़े निशान को भी रखने का आग्रह किया और अपनी देखरेख में इस कार्य को पूर्ण करवाया।

स्कैच पर देवनागरी में किए हस्ताक्षर


उम्मेद भवन के 50 वर्ष पूर्ण होने पर पूर्व राजमाता ने कलाकार हरिसिंह को स्मरण के तौर पर दिए जाने वाले सोने के सिक्कों को डिजाइन करने का कार्य भी सौंपा था। इन सिक्कों में बाजरे के सिट्टों और तीन चीलों की डिजाइन को रखा गया। इस डिजाइन से प्रेरणा लेने के लिए पूर्व राजमाता ने हरिसिंह को उम्मेद भवन का भ्रमण करने की अनुमति भी प्रदान की थी। हरिसिंह ने बताया कि जल्द ही स्कूल छोड़ कर वे पॉलीटेक्निक कॉलेज में सेवाएं देने लगे थे। वहीं वर्ष 2001 में स्कूल के दस साल पूरे होने पर उन्होंने पूर्व राजमाता की एक तस्वीर का स्केच बना कर भेंट किया। इसपर पूर्व राजमाता ने देवनागरी में अपने हस्ताक्षर किए और आभार प्रकट किया था।

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ग्रामीण महिलाओं से था अपनापन

हरिसिंह ने बताया कि उनके गांव सरदार समंद अक्सर पूर्व राजघराने के सदस्यों का आना-जाना रहा है। पूर्व राजमाता यहां जब भी आती थीं तो ग्रामीण महिलाओं से मुलाकात किए बिना नहीं जाती थीं। वे सभी से आत्मीयता से मिलकर महिलाओं को जागरूक होने के लिए प्रेरित करती रहती थीं और बालिकाओं की शिक्षा पर जोर देती थीं। ग्रामीणों के लिए वे घर के बड़ों के समान थीं और सभी उनसे बहुत स्नेह रखते थे।

हरिसिंह : एक नजर में


मुंबई स्थित सर जेजे स्कूल ऑफ आट्र्स से टेक्सटाइल डिजाइनिंग व मेटल क्राफ्ट सहित अन्य संस्थानों से फोटोग्राफी व इंटीरियर डिजाइनिंग में हरिसिंह ने कोर्स किए हैं। भाटी को महाराष्ट्र सरकार की ओर से कला के बेहतर प्रदर्शन के लिए रजत पदक से सम्मनित किया गया जा चुका है। पारम्परिक शैलियों से हटकर भाटी को समकालीन पेंटिंग व स्केचिंग अधिक प्रिय है। भारतीय कलाकारों में उन्हें राजा रवि वर्मा, फिल्म पोस्टर बनाने वाले राम कुमार, सर जेजे स्कूल के कलाकार एमआर आचरेकर व अनिल नाइक तथा राजस्थान के मिनीएचर आर्टिस्ट समंदर सिंह खंगारोत अच्छे लगते हैं। इसी तरह विदेशी कलाकारों में बोरिस वेलेजो उनके पंसदीदा कलाकार हैं।