28 दिसंबर 2025,

रविवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

रमज़ान: रोजों के दिन नजदीक आ गए हैं,चांद दिखने पर रोजे शुरू हो जाएंगे

रहमतों व बरकतों का महीना रमजान नजदीक आ गया है। चांद दिखने पर रोजे शुरू हो जाएंगे।

2 min read
Google source verification

जोधपुर

image

MI Zahir

May 14, 2018

mandore shahi masjid jodhpur

mandore shahi masjid jodhpur

जोधपुर. रहमतों व बरकतों का महीना रमज़ान नजदीक है और चांद नजर आने पर रोजे शुरू हो जाएंगे। रमज़ान का चांद देखना अच्छा मानने की परंपरा के कारण लोग मस्जिदों, पहाड़ों, ऊंचे स्थानों व घरों की छतों से रमजान का चांद देख कर सभी के लिए दुआ करते हैं। मारवाड़ की साझा संस्कृति में रमज़ान का चांद देखना शुभ माना जाता है। रमज़ान के मद्देनजर मस्जिदों में रोजेदारों को रोजे का टाइम टेबल वितरित कर दिए गए हैं। शहर के बाजारों में सेहरी की सामग्री की खरीदारी शुरू हो गई है। खरीदारी में विशेषकर खजूर और फलों पर जोर है।

रमजान के महीने में तरावीह

चांद दिखने के बाद जिस दिन चांद दिखता है उस दिन रोजेदार रात की अंतिम और पांचवीं नमाज इशा की 17 रकात नमाज के बाद 20 रकात तरावीह की विशेष नमाज पढ़ते हैं। इसमें कुरान शरीफ पढ़ा जाता है। रमजान का महीना खत्म होने और ईद से पहले हर रात तरावीह की विशेष नमाज पढ़ी जाती है। इसे यंू समझ सकते हैं कि रमजान के महीने में अंतिम नमाज सबसे बड़ी और अधिक समय वाली होती है। हालांकि आम तौर पर हर मस्जिद में इमाम पांचों नमाज पढ़ाते हैं, लेकिन तरावीह की विशेष नमाज कुरान हाफिज ही पढ़ाता है। जिस इबादतगुजार को पूरा कुरान कंठस्थ होता है उसे हाफिज क हते हैं।

रोजा और रोजेदार

रोजों के दौरान रोजेदार सुबह 3 बजे उठ कर सेहरी करते हैं यानि भोजन पानी आदि का सेवन करते हैं। सुबह फज्र की नमाज से पहले तक तयशुदा वक्त तक सेहरी का समय होता है। रोजेदार पूरे दिन निराहार और निर्जल रहते हैं और किसी तरह की गंध से भी बचते हैं। वहीं सभी रोजेदार पूरे दिन पांच वक्त नमाज पढ़ते और कुरान शरीफ की तिलावत करते हैं। रोजेदार दिन की चौथी और सूर्यास्त के बाद होने वाली मगरिब की नमाज से फौरन पहले तयशुदा समय पर खजूर से रोजा खोलते हैं। इस दौरान जितना समय होता है उसके अनुरूप शरबत शिकंजी या रसीले फलों का जल्दी से सेवन करते हैं। इसके तत्काल बाद मगरिब की नमाज अदा की जाती है। वे नमाज के बाद केवल रात तक कभी भी खाना खा सकते हैं। इसके बाद इशा की नमाज अदा की जाती है और तरावीह की विशेष नमाज पढ़ी जाती है।

आधी रात के बाद रोजे के लिए जगाने का इंतजाम
रोजेदारों को रात को जगाने के लिए एक महीने तक विशेष इंतजाम किया जाता है। स्थानीय स्तर पर हर मुस्लिम बहुल इलाक़े में एक-एक व्यक्ति सेहरी के वक़्त जगाने के लिए पहुंचेगा। इस दौरान लोग घड़ी, मोबाइल व दूसरे साधनों से भी एक दूसरे को जगाने का इंतजाम किया जाता है।

सेहरी और इफ्तारी के समय छूटेगा गोला

रमज़ान के दौरान मस्जिदों व रोजेदारों के आसपास के इलाकों में तड़के सेहरी का वक्त खत्म होने व शाम को रोज़ा इफ़्तारी का समय शुरू होने पर कई स्थानों पर एक बड़ा गोला (तेज आवाज़ करने वाला एक पटाखा) छोड़ा जाएगा। दूरदराज़ के एेसे स्थान जहां आवाज़ नहीं जाती, वे दोनों वक़्त मस्जिद या किसी ऊंची इमारत पर लाइट जला कर या मस्जिदों में माइक से एेलान कर इसकी सूचना देंगे।

महिलाओं की दिनचर्या
पूरे दिन महिलाआंे की दिनचर्या अधिक प्रभावित रहेगी। वे अलसुबह 3 या 3.30 बजे उठ कर रोजेदारों केलिए खाना बनाएंगी, सेहरी कराएंगी और खुद सेहरी करेंगी। इसी प्रकार शाम चार बजे बाद से ही इफ्तारी बनाने की तैयारियां शुरू हो जाएंगी।