गोटा पत्ती जरदोजी के लिए अयोध्या के कारीगर प्रसिद्ध
विश्व हिन्दू परिषद् के सहमंत्री विनोद माली ने बताया कि प्रभु श्रीराम की पोशाक में नया डिजाइन करने का सोचा तो पता चला कि अयोध्या के कारीगर गोटा पत्ती जरी जरदोजी का काम करने के लिए मशहूर हैं। ऐसे में अयोध्या के कारीगरों को ही भगवान श्रीराम विग्रह व उनके परिवार के लिए पोशाक तैयार करने का ऑर्डर दिया।
सुबह 10 बजे पूजन शुरू, 12 बजे प्राकट्य उत्सव में आरती
रामनवमी शोभायात्रा में अंत में निकलने वाले प्रभु श्रीराम के रथ का विशेष महत्व होता है। सुबह 10 बजे से विहिप के विशेष रथ में बने मन्दिर में विराजमान राम परिवार विग्रह की शहर के गणमान्य लोग व अतिथि पूजा करते हैं। दोपहर के 12 बजते ही पूरे पंडाल में दशरथ घर आनंद भयो… जय रमईया लाल की… जय जय श्री राम के जयकारों की गूंज हो उठती है। सब लोग उत्साह में नाचते गाते व थाली बजा कर राम जन्मोत्सव की बधाई देने का सिलसिला शुरू करते हैं।
1987 में उत्तर प्रदेश से ही लाया गया प्रभु श्रीराम का विग्रह
रामनवमी महोत्सव समिति के अध्यक्ष संदीप काबरा 1987 में विहिप के कार्यकर्ता के रूप में कार्य करते थे। काबरा ने बताया कि शहर के लोगो में राम के प्रति आस्था जागृत करने के लिए उस समय उत्तर प्रदेश से ही यह धातु विग्रह पूजन के लिए लाया गया, जिसका सुंदर श्रृंगार कर जब सड़कों पर शोभायात्रा निकलती है, तब लोग इंतजार कर दर्शन करते हैं और प्रसाद लेकर ही घर जाते हैं। इन विग्रह का वर्षभर भारत माता मंदिर में पूजा की जाती है व रामनवमी के दिन भक्तों के दर्शनार्थ यात्रा में शामिल किया जाता है।