
जोधपुर स्थित रावण का मंदिर। फोटो- पत्रिका
Pitru Paksha 2025: लंकाधिपति रावण का ससुराल कहे जाने वाले जोधपुर में पितृ पक्ष की दशमी पर रावण का श्राद्ध व तर्पण किया जाएगा। दवे गोधा श्रीमाली समाज के लोग हर वर्ष की तरह इस बार भी 16 सितंबर को किला रोड स्थित अमरनाथ मंदिर परिसर में विशेष पूजा-अर्चना और पिंडदान करेंगे।
इस अवसर पर मंदिर परिसर में स्थापित रावण की विशाल प्रतिमा और कुलदेवी मां खरानना देवी के समक्ष खीर-पूड़ी का भोग अर्पित किया जाएगा। मंदिर में संचालित ज्योतिष अनुसंधान केंद्र के सचिव अजय दवे ने बताया कि चूंकि दशानन वध की तिथि विजयदशमी है, इसलिए दवे गोधा परिवार के लोग दशमी को श्राद्ध और पूजन की परंपरा निभाते हैं।
खुद को रावण का वंशज मानने वाले दवे गोधा श्रीमाली समाज के वरिष्ठ सदस्य पं. कमलेश दवे ने बताया कि हम वंशज होने के साथ दशानन को प्रयात पंडित और महान विद्वान व संगीतज्ञ मानते हैं। दशहरे पर रावण दहन के बाद शोक मनाते हैं और सूतक स्नान की परंपरा का पालन भी करते हैं।
विद्याशाला किला रोड पर अमरनाथ मंदिर परिसर स्थित रावण मंदिर में करीब साढ़े छह फीट लंबी और डेढ़ टन वजनी प्रतिमा स्थापित है, जिसे छीतर पत्थर से तराशकर बनाया गया है। वर्ष 2007 में स्थापित इस प्रतिमा में रावण को शिवलिंग पर जलाभिषेक करते दर्शाया गया है। वहीं मंदिर के सामने मंदोदरी की प्रतिमा भी मौजूद है, जिसमें वह शिवलिंग पर पुष्प अर्पित करती हुई दिखाई गई हैं।
जोधपुर के मंडोर क्षेत्र को कई लोग रावण का ससुराल मानते हैं। मान्यता है कि मंदोदरी मंडोर की राजकुमारी थीं। मंडोर क्षेत्र में स्थित प्राचीन चंवरी को रावण और मंदोदरी का विवाह स्थल बताया जाता है। इस चंवरी में आज भी अष्टमातृका और गणेश की कलात्मक मूर्तियां मौजूद हैं।
Updated on:
13 Sept 2025 02:22 pm
Published on:
13 Sept 2025 02:21 pm
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