
प्रसन्न पुरी गोस्वामी, जोधपुर (फोटो: पत्रिका)
जोधपुर शहर के 78 वर्षीय सेवानिवृत्त प्रधानाचार्य प्रसन्न पुरी गोस्वामी ने बंजर भूमि को हरियाली का रूप दे दिया। जो पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में एक जीवंत प्रेरणा बनकर उभरे हैं।
जहां अधिकांश लोग संसाधनों की कमी का हवाला देकर हाथ खड़े कर देते हैं, वहीं गोस्वामी ने अपने अडिग हौसले से यह सिद्ध कर दिया कि अगर संकल्प पक्का हो, तो पत्थर भी हरियाली को राह दे सकते हैं। उन्होंने ज्वालामुखीय चट्टानों से युक्त एक कठोर और पथरीले भूखंड को औषधीय वन उद्यान में बदलकर मिसाल कायम की है।
यह संघर्ष न केवल एक व्यक्ति के हठ, समर्पण और परिश्रम का है, बल्कि यह दिखाता है कि यदि नीयत साफ हो और उद्देश्य ऊंचा हो तो बंजर धरती भी मुस्कुरा सकती है। इस हरियाली ने जंगली खरगोश, सांप, नेवले, सेही, तितलियां और नीलगाय जैसी अनेक प्रजातियों को आश्रय प्रदान किया है। देवकुंड वनखंड की लगभग सात हेक्टेयर भूमि पर विकसित यह औषधीय उद्यान मात्र पौधों का संग्रह नहीं है, बल्कि यह एक बहुआयामी पारिस्थितिकीय पहल है।
इसका प्रमुख उद्देश्य राणीसर एवं पदमसर जलग्रहण क्षेत्रों का संरक्षण, नहरों की सतत सुरक्षा, वन्यजीवों का प्राकृतिक आवास बनाए रखना तथा स्थानीय प्रजातियों की औषधीय वनस्पतियों, वृक्षों, घासों और जैव विविधता का संरक्षण एवं संवर्धन करना भी है।
इसका प्रमुख उद्देश्य वन क्षेत्र में हो रहे अतिक्रमण को रोकना और शहर के जैविक परकोटे की रक्षा करना है।
– प्रसन्न पुरी"
Updated on:
07 Aug 2025 07:41 am
Published on:
07 Aug 2025 07:38 am
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