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रोड निर्माण के दौरान नहीं मिलाया पर्याप्त डामर, अब सड़क हो गई तार-तार

एम्स तिराहा से 3.2 किमी तक डामर सड़क का निर्माण हो चुका है। इस सड़क निर्माण के दौरान गुणवत्ता पर ध्यान ही नहीं दिया गया

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जोधपुर। सार्वजनिक निर्माण विभाग की ओर से एम्स तिराहा से सालावास तक 76 करोड़ की लागत से बन रही 15 किमी सड़क बीरबल की खिचड़ी बन गई है। सड़क निर्माण में हो रही देरी का खामियाजा वाहन चालक भुगत रहे है। एकतरफा यातायात से वाहन चालक बेजां परेशान है। हालांकि विभाग का दावा है कि 60 फीसदी कार्य पूरा हो चुका है। नवम्बर तक कार्य पूरा करने की डेडलाइन दी गई है। एम्स तिराहा से 3.2 किमी सालावास की तरफ जो डामर सड़क बनाई गई है, उसकी परतें उधड़ चुकी है। हालत यह है कि पूरी सड़क गड्ढों में तब्दील हो चुकी है। कई जगह तो सडक़ धंसने लगी है। डामर उखड़ने से सड़क पर फैली कंकरीट से वाहन चालक स्लिप होकर दुर्घटनाग्रस्त हो रहे हैं।

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दरअसल, एम्स तिराहा से 3.2 किमी तक डामर सड़क का निर्माण हो चुका है। इस सड़क निर्माण के दौरान गुणवत्ता पर ध्यान ही नहीं दिया गया। डामर के नाम पर लीपापोती की गई। नतीजतन सड़क निर्माण के कुछ माह बाद ही डामर की परतें उधड़ने लगी। मूंगिया में निर्धारित मात्रा में जितना डामर डालना था, वह नहीं मिलाया गया। डामर बिछाने के बाद सड़क पर डामर कम, सतह पर मूंगिया ही नजर आ रहा है। डामर की मात्रा कम होने के कारण यह सड़क बिखर गई है।

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नजीर देखिए...नहीं बिगड़ी इस सड़क की सेहत

एम्स तिराहा से 3.2 किमी तक सड़क बनने के कुछ दिन बाद ही अमृतादेवी तिराहे से वीर दुर्गादास आरओबी तक डामर सड़क का निर्माण हुआ था। इस मार्ग पर दिन-रात वाहनों का आवागमन बना रहता है, बावजूद इसके सड़क टूटना तो दूर की बात, इस सड़क पर एक गड्ढा तक नहीं है। क्योंकि इस सड़क निर्माण के दौरान गुणवत्ता का पूरा ध्यान रखा गया। पर्याप्त मात्रा में डामर मिलाने के कारण सड़क मजबूती से टिकी हुई है।


बारिश के कारण डामर सड़क टूट गई है। बारिश की सीजन बीतने के बाद सड़क की मरम्मत की जाएगी। - मोहनलाल विश्नोई, एक्सईएन, पीडब्लूडी