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जोधपुर

इस बार राजस्थान में जीरे की बम्पर पैदावार का अनुमान, फिर भी बाजी मार रहा गुजरात, जानिए कहां हुई चूक

Rajasthan News: फसल उत्पादन-गुणवत्ता की दृष्टि से प्रमुख मसालों में शुमार जीरा सर्वाधिक पश्चिम राजस्थान में होता है। हम देश का करीब 60 प्रतिशत जीरा उत्पादन कर अव्वल हैं, लेकिन मसाला जिंस की सही मार्केटिंग नीति नहीं होने से पड़ोसी राज्य गुजरात महज 40 प्रतिशत जीरा उत्पादन कर पनप गया।

जोधपुरApr 12, 2024 / 10:41 am

Rakesh Mishra

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Rajasthan News: फसल उत्पादन-गुणवत्ता की दृष्टि से प्रमुख मसालों में शुमार जीरा सर्वाधिक पश्चिम राजस्थान में होता है। हम देश का करीब 60 प्रतिशत जीरा उत्पादन कर अव्वल हैं, लेकिन मसाला जिंस की सही मार्केटिंग नीति नहीं होने से पड़ोसी राज्य गुजरात महज 40 प्रतिशत जीरा उत्पादन कर पनप गया। गुजरात के ऊंझा शहर को देश के प्रमुख जीरा हब के रूप में पहचान मिल चुकी है। साथ ही, विदेश तक निर्यात के लिए देश का प्रमुख प्लेटफार्म बन गया। अगर जीरा हब के रूप में हमें अपनी पहचान बनानी है, तो इसे चुनावों में भी मुद्दा बनाना होगा। ताकि राजनीतिक दल और नेता इसके लिए सार्थक प्रयास करें।
गुजरात इसलिए आगे
पश्चिमी राजस्थान में जोधपुर, बाड़मेर, जैसलमेर, जालोर, मेड़ता, बिलाड़ा आदि स्थानों पर जीरे का उत्पादन होता है। प्रोसेसिंग इकाइयां नहीं होने से यहां का जीरा ऊंझा मंडी जाता है। गुजरात में 300 से अधिक प्रोसेसिंग इकाइयां चल रही है, जबकि राजस्थान में 100 भी नहीं है। इसी कारण मारवाड़ का जीरा प्रोसेस होने के लिए ऊंझा मंडी जाता है। इससे राजस्थान को राजस्व का नुकसान हो रहा है। नेताओं को चाहिए कि राजस्थान व खासतौर पर मारवाड़ को इसमें प्रमोट करे।
हम यहां अव्वल
– पश्चिम राजस्थान के जीरे का आकार बड़ा होता है, जबकि गुजरात के जीरे का दाना छोटा होता है।
– राजस्थान के जीरा धारीदार व अलग-अलग रंग का होता है, जबकि गुजरात का जीरा बिना धारी वाला व एक ही रंग का होता है।
– पश्चिमी राजस्थान के जीरे की उम्र लम्बी होती है, यह 4-5 सालों तक खराब नहीं होता है और उपयोगी होता है, जबकि गुजरात के जीरा एक साल के अंदर ही खराब हो जाता है, जीरे के दाने का पाउडर बन जाता है।
– पश्चिम राजस्थान की मिट्टी जीरे के लिए उपयुक्त होने से जीरे में मिनरल्स पाए जाते हैं, जबकि गुजरात के जीरे में मिनरल्स नहीं होते है व इसमें बीमारियां लगने की संभावना ज्यादा रहती हैं।
वैज्ञानिकों ने माना, लेकिन सरकारी सहयोग नहीं
– भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद नई दिल्ली के वैज्ञानिकों ने भी मारवाड़ के जीरे को क्वालिटी, ऑयल कंटेंट आदि मानकों पर श्रेष्ठ बताया है।
– जोधपुर में जीरे का रिसर्च सेंटर नहीं होने से कई वर्षों से यहां जीरे की नई किस्म विकसित नहीं हुई है।
– जीरा का रिसर्च सेंटर जोबनेर जयपुर के श्री करण नगेन्द्र कृषि विश्वविद्यालय में है। इस विश्वविद्यालय के अंतर्गत आने वाले क्षेत्रों में जीरा का क्षेत्रफल व उत्पादन नगण्य है। फलस्वरूप रिसर्च नहीं हो रहा और प्रदेश को जीरे की नई किस्में नहीं मिल पा रही हैं।
– किसान कल्याण टैक्स से व्यापारी परेशान।
– सरकार की ओर से उद्योग नीति जारी नहीं की गई।
– स्पाइस बोर्ड की अेार से जीरा को अन्तरराष्ट्रीय स्तर तक प्रमोट करने के लिए कोई नीति नहीं।
इस बार बम्पर पैदावार का अनुमान
– 12 लाख हैक्टेयर में जीरा उत्पादन देश में
– 7.50 हैक्टेयर राजस्थान व 4.50 हैक्टेयर गुजरात में उत्पादन
– 1.10 करोड़ बोरी उत्पादन का अनुमान
– 85 लाख बोरी भारत में जीरा खपत की मांग
– 35 लाख बोरी निर्यात का अनुमान
सब्सिडी दें
सरकार को प्रदेश से जीरा निर्यात को प्रोत्साहन देने के लिए व्यापार नीति में 1 प्रतिशत की सब्सिडी देनी चाहिए। साथ ही, प्रोसेसिंग प्लांट लगाने के लिए सरकारी नीतियों को सरल बनाना चाहिए।
-पुरुषोत्तम मूंदड़ा, अध्यक्ष, जोधपुर जीरा मंडी व्यापार संघ
रोजगार बढ़ेगा
सरकारी नीतियों को जीरे के व्यापार के अनुकूल बनाया जाए। प्रोसेसिंग इकाइयों व उद्यम को बढ़ावा देना चाहिए। इससे यहां का जीरा ऊंझा जाने से रुकेगा व लोगों को रोजगार मिलेगा।
-दिनेश भट्टड, जीरा व्यापारी

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