5 दिसंबर 2025,

शुक्रवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

बेटी की दोनों किडनी खराब, कर्ज में डूब गया परिवार, घर के गहने तक बिके, पढ़िए दर्दभरी कहानी

हर मां-बाप की इच्छा होती है, कि वह अपनी लाडली बेटी की बड़े धूमधाम के साथ शादी कर हंसी-खुशी विदा करे, लेकिन भोपालगढ़ निवासी रामप्रकाश टाक के लिए बड़ी विडंबना है कि किडनी की बीमारी के चलते उसे बेटी को उपहार की जगह किडनी देने की जरूरत पड़ गई है।

2 min read
Google source verification
kidney_transplant.jpg

भोपालगढ़। हर मां-बाप की इच्छा होती है, कि वह अपनी लाडली बेटी की बड़े धूमधाम के साथ शादी कर हंसी-खुशी विदा करे, लेकिन भोपालगढ़ निवासी रामप्रकाश टाक के लिए बड़ी विडंबना है कि किडनी की बीमारी के चलते उसे बेटी को उपहार की जगह किडनी देने की जरूरत पड़ गई है। यहां तक कि बीमार बेटी का इलाज कराते-कराते वह पूरी तरह से कर्जदार हो गया है और बेटी को किडनी देने के लिए तैयार होने के बावजूद महंगा ऑपरेशन करवाने के लिए उसकी खराब आर्थिक स्थिति ही आड़े आ रही है। जिसके चलते उसे अब भामाशाहों से आर्थिक मदद की दरकार है।

यह भी पढ़ें- video : विधायक सूर्यकांता व्यास का पलटवार, बोली- शेखावत जब पैदा भी नहीं हुए थे, तब से मैं राजनीति में सक्रिय

भोपालगढ़ के भुरियाली ढाणी निवासी रामप्रकाश पुत्र रामदीन टाक का परिवार कुछ वर्षों पहले तक चार बेटियों व एक बेटे के साथ हंसी-खुशी से जीवन यापन कर रहा था, लेकिन करीब 4 साल पहले जब उन्हें पता चला कि कॉलेज जाने वाली उनकी मंझली बेटी रामकंवरी की दोनों किडनियां खराब हो गई है, तो इस परिवार पर दुखों का पहाड़ सा टूट पड़ा। भोपालगढ़ में आटा चक्की चलाने वाले रामप्रकाश ने हालांकि बेटी का इलाज करवाने में कोई कसर नहीं छोड़ी और घर की सारी जमा पूंजी के साथ-साथ पत्नी के गहने तक बेच दिए, लेकिन इलाज नहीं हो पाया और वह कर्ज के बोझ तले दब गया। फिर भी बेटी का इलाज बंद नहीं किया और इधर-उधर से पैसों का जुगाड़ करके अभी भी सप्ताह में चार बार जोधपुर ले जाकर डायलिसिस करवाना पड़ रहा है।

यह भी पढ़ें- Monsoon Update: अभी-अभी IMD ने जारी किया बड़ा अलर्ट, इतनी देर में शुरु होने वाली है झमाझम बारिश

हालांकि अस्पताल में डायलिसिस तो मुफ्त में हो जाता है, लेकिन सप्ताह में तीन-चार बार जोधपुर लाने-ले जाने एवं किडनी रोग के साथ-साथ हेपेटाइटिस-बी की रोगी होने के चलते महीने में कई बार खून भी चढ़ाना पड़ता है और इसका खर्च भी हजारों में आता है। बेटी रामकंवरी के खून में इन्फेक्शन की वजह से लीवर में खराबी एवं वॉल में रिसाव से दोनों किडनी खराब हो गई है। जिसके चलते उसके शरीर में खून बनना ही बंद हो गया है और उसे जिंदा रखने के लिए सप्ताह में तीन-चार बार जोधपुर ले जाकर डायलिसिस करवाना एवं खून चढ़ाना पड़ता है। जिसका खर्च उठाना भी अब इस परिवार के लिए बेहद भारी पड़ रहा है और एक-एक पाई जुटाने के लिए कई जतन करने पड़ रहे हैं।

टूट गए पिता के सारे अरमान
भोपालगढ़ निवासी रामप्रकाश टाक के दिल में बेटी रामकंवरी को भी पढ़ा-लिखाकर कामयाब बनाने की तमन्ना उसकी बीमारी ने बीच में ही बिखेर दी और बीमारी की वजह से उसकी स्नातक की पढ़ाई भी बीच में छूट गई। यहां तक कि आए दिन बेटी को डायलिसिस के लिए जोधपुर लाने-ले जाने के चक्कर में उसकी आटा चक्की की दुकान भी अक्सर बंद रहती है और आय के कोई दूसरे स्रोत भी नहीं है। पिछले 4 साल से रामकंवरी की किडनी की बीमारी का जोधपुर से लेकर अहमदाबाद तक के अस्पतालों में इलाज चल रहा है और आखिरकार अब डॉक्टरों ने भी उसे बचाने के लिए किडनी ट्रांसप्लांट करवाने के लिए कह दिया है, लेकिन इसका भारी भरकम खर्च वहन करने की अब उसके पिता में भी हिम्मत नहीं रही है। हालांकि माता-पिता दोनों ही अपनी लाडली को बचाने के लिए किडनी देने को तो तैयार हैं, लेकिन इसमें भी उनकी माली हालत आड़े आ रही है और चाहकर भी यह बेटी की किडनी ट्रांसप्लांट नहीं करवा पा रहे हैं।