
AAP MLA Alka Lamba
आम आदमी पार्टी की दिल्ली से विधायक अल्का लांबा अपने एक दिवसीय दौरे पर जोधपुर पहुंची। इस दौरान सर्किट हाउस में पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए अलका लांबा ने भाजपा और कांग्रेस को भ्रष्टाचारी सिक्के के दो पहलू बताया और साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए कांग्रेस के दामाद पर कार्रवाई करने के उनके वादे को याद दिलाया। इसके अलावा अमित शाह के पुत्र जय शाह पर किसी प्रकार की कोई कार्रवाई नहीं करने और किसी प्रकार का कोई विरोध नहीं करने पर भी सरकार की कथनी और करनी में फर्क बताया। लांबा ने प्रदेश की वसुंधरा सरकार के जन विरोधी अध्यादेश का जिक्र करते हुए दमनकारी और शोषण की राजनीति करने का आरोप लगाया। इसके खिलाफ पत्रकारों और आम पार्टी आप पार्टी के कार्यकर्ताओं की प्रशंसा की, जिन्होंने इस अध्यादेश के खिलाफ स्वर मुखर किए और एक बार इस अध्यादेश को ठंडे बस्ते में डलवाया।
आखिर क्या है इस बिल में...
इस बिल के मुताबिक, प्रदेश के सांसद, विधायक, जज और अफसरों के खिलाफ जांच करना काफी मुश्किल हो जाएगा, जबकि इन लोगों पर पर शिकायत दर्ज कराना आसान नहीं रहेगा। इसके अलावा दागी लोकसेवकों को दुष्कर्म पीडि़ता वाली धारा में संरक्षण, कोर्ट के प्रसंज्ञान लेने से पहले नाम-पता उजागर तो दो साल सजा, अभियोजन स्वीकृति से पहले मीडिय़ा में किसी तरह की कोई रिपोर्ट आई तो इसमें सजा का प्रवधान के साथ कड़ा जुर्माना भी है। जबकि इन लोगों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराने के लिए सरकार 180 दिन में अपना निर्णय देगी। इसके बाद भी अगर संबंधित अधिकारी या लोकसेवक के खिलाफ कोई निर्णय नहीं आता है, तो अदालत के जरिए इनके खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करवाई जा सकेगी।
सीआरपीसी में संशोधन अध्यादेश को जोधपुर के नागरिक ने दी हाईकोर्ट में चुनौती
शहर के उदयमंदिर क्षेत्र के निवासी ऐजाज एहमद पुत्र नसीर अहमद की ओर से अधिवक्ता नीलकमल बोहरा के माध्यम से दायर इस याचिका को इसी सप्ताह के अंत तक सुनवाई के लिए सूचिबद्ध किए जाने की आशा है। संविधान की धारा 226 के तहत दायर याचिका में कहा गया है कि राजस्थान सरकार की ओर से एक आध्यादेश जारी किया गया है। इसे 'राजस्थान क्रिमिनल लॉ एमेंडमेंट ऑर्डिनेंस-2017Ó का नाम दिया गया है। इसमें धारा 156 (3) सीआरपीसी व धारा 190 (बी) सीआरपीसी में संशोधन के साथ ही एक नई धारा 228 (बी) को शामिल किया गया है। इससे मूल सीआरपीसी में अभूतपूर्व बदलाव करने की मंशा नजर आती है। इससे आम आदमी को मजिस्ट्रेट के समक्ष किसी भी आरोपी जज, मजिस्ट्रेट व लोक सेवक के खिलाफ जिसने सरकारी ड्यूटी करते हुए किसी भी तरह का भ्रष्ट आचरण किया हो तो उसके खिलाफ शिकायत करने का अधिकार नहीं रहेगा। यहां तक कि प्रेस की आजादी को भी समाप्त कर भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ समाचार प्रकाशित करने व नाम उजागर वालों के खिलाफ ही मुकदमा दायर करने का प्रावधान किया गया है। यह एकदम अवैधानिक है, जिसे कोर्ट संविधान विरुद्ध घोषित करे अथवा जैसा उचित समझे वैसे निर्देश अथवा आदेश जारी करें।
Published on:
27 Oct 2017 01:50 pm
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