
hearing on master Plan PLI of Rajasthan
राजस्थान हाईकोर्ट में शनिवार को जस्टिस संगीत लोढ़ा व जस्टिस अरुण भंसाली की विशेष खंडपीठ में पत्रिका समूह के प्रधान संपादक गुलाब कोठारी व अन्य की ओर से दायर जनहित याचिकाओं की सुनवाई हुई। छह शहरों में मास्टरप्लान की अनदेखी से संबंधित इस सुनवाई में शनिवार को जयपुर के पृथ्वीराज नगर से संबंधित नौ विकास समितियों की फाइलें पेश की गईं। फाइलों के अवलोकन के बाद खंडपीठ ने कड़ी टिप्पणियां करते हुए सारा रिकॉर्ड सीज करने के आदेश दिए।
खंडपीठ ने कोर्ट में मौजूद जयपुर विकास प्राधिकरण के अधिकारियों से पूछा- समितियों के नाम पर यह कैसा धंधा खोल लिया है। कोर्ट के आदेश के बावजूद सभी नौ फाइलें एक ही दिन में पारित कर दी गईं। आखिर कौन चला रहा है यह सिस्टम। इसका पता करना जरूरी है। आखिर किसकी शह पर एक ही दिन में हो रही हैं कॉलोनियां नियमित। अधिकारियों को उनकी सही जगह दिखाना जरूरी है।खंडपीठ ने रिकॉर्ड देखने के बाद कहा- इधर 14 अक्टूबर 2017 को हाईकोर्ट निर्देश जारी कर रहा है कि बिना सेक्टर व जोनल प्लान किसी तरह का नियमन नहीं करना है। उधर, 24 अक्टूबर को एक ही दिन में पृथ्वीराज नगर से संबंधित 9 विकास समितियों की फाइलें क्लियर कर दी जाती हैं। इन जेडीसी, निदेशक टाउन प्लानिंग व निदेशक विधि के हस्ताक्षर हैं।
रिकॉर्ड सीज करने के निर्देश
जयपुर विकास प्राधिकरण की ओर से पृथ्वीराज नगर से संबंधित नौ विकास समितियों का रिकॉर्ड पेश किया गया। अवलोकन पर पाया गया कि सभी मामलों को एक ही दिन 24 अक्टूबर को नियमन कर पट्टे जारी कर दिए गए। पहले 12 जनवरी 2017 व बाद में 14 अक्टूबर 2017 को स्पष्ट रूप से बिना सेक्टर अथवा जोनल प्लान के किसी तरह का नियमन हीं करने के निर्देश जारी किए हुए हैं। खंडपीठ ने कोर्ट में डीआर (विधि) को तलब कर सारा रिकॉर्ड सीज करने के निर्देश दिए। मामले के न्यायमित्र वरिष्ठ अधिवक्ता एमएस सिंघवी व उनके सहयोगी विनीत दवे को समस्त रिकॉर्ड की जांच करते हुए अगली सुनवाई पर 24 नवंबर को रिपोर्ट पेश करने का कहा।
मैंदोला ने पेश की दस्तावेज की प्रति
खंडपीठ ने कोर्ट में मौजूद जेडीए के अधिकारियों से पूछा कि किसके आदेश से यह कार्रवाई की गई। उन्होंने बताया कि सरकार की ओर से 20 अक्टूबर को आदेश जारी कर सभी फाइलों को पारित करने के आदेश दिए गए थे। उक्त आदेश व उसके लिए जारी नोटिंग की प्रति पेश कर एक अन्य याचिकाकर्ता लोक संम्पत्ति संरक्षण समिति के निदेशक पीएन मैंदोला ने कहा कि 14 अक्टूबर 2017 को हाईकोर्ट के निर्देश जारी होने के बाद इन फाइलों के बाबत टाउन प्लानिंग वालों ने निदेशक शहरी योजना से पूछा कि ना तो जोनल प्लान बना है और ना ही सेक्टर प्लान बना है। फिर इन फाइलों का क्या किया जाए। इस पर निदेशक शहरी योजना ने 20 अक्टूबर 2017 को आदेश जारी कर जेडसी से कहा कि मास्टर प्लान व जोनल प्लान सभी बने हुए हैं। कोर्ट के आदेश कहीं आडे नहीं आ रहे। इस लिए इन फाइलों को पारित कर दिया जाए। मैंदोला ने इस संबंध में चलाई गई नोटिंग की प्रति भी पेश की, जिस पर संबंधित अधिकारियों के इनिशियल्स हैं।
सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता (एएजी) राजेश पंवार एवं न्यायमित्र सिंघवी और दवे के साथ उनके सहयोगी अनुपम व दीपक चांडक मौजूद रहे। मामले की अगली सुनवाई 24 नवंबर को होगी।
इन समितियों का रिकॉड किया सीज
1 मित्र गृह निर्माण समिति
2 महावीर स्वामी गृह निर्माण समिति
3 कृष्णा विहार सहकारी समिति
4 शिव विहार सहकारी समिति
5 श्याम वाटिका विकास समिति
6 गंगा विहार विकास समिति
7 भूराजी विहार विकास समिति
8 मंूडनगर विकास समिति
9 कीर्तिसागर विकास समिति
Published on:
19 Nov 2017 04:28 pm
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