
Salman Khan black buck poaching case
बॉलीवुड अभिनेता सलमान खान व अन्य सितारों के खिलाफ जोधपुर जिला न्यायालय में चल रहे कांकाणी हरिण शिकार मामले में लगातार ट्विस्ट आ रहे हैं। शुक्रवार मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट जोधपुर जिला के न्यायाधीश देवकुमार खत्री की अदालत में बॉलीवुड सितारों के खिलाफ चल रहे बहुचर्चित काले हिरण शिकार मामले में बचाव पक्ष की ओर से अंतिम बहस लंच टाइम के दौरान भी जारी रही। सलमान खान के अधिवक्ता हस्तीमल सारस्वत ने किया बड़ा खुलासा करते हुए कहा कि बरामद खून तथा अन्य सुबूतों को बदला गया है।
अधिवक्ता हस्तीमल सारस्वत ने सलमान का बचाव करते हुए कहा वनविभाग के सरकारी गवाह सागरमल की जिरह के दौरान इस स्वीकारोक्ति पर ध्यान आकर्षित किया जिसमें उसने कहा था कि मौके से सुबूतों की बरामदगी 2 अक्टूबर 1998 को उसके सामने की गई, जबकि इससे सम्बन्धित फर्द में 22 अक्टूबर की तारीख अंकित है। इससे स्पष्ट होता है कि सबूतों के साथ बहुत बड़ी छेड़छाड़ की गई है। महत्वपूर्ण गवाह वन्यजीव अधिकारी ललित बोड़ा, सागरमल विश्नोई, भंवरलाल आदि गवाहों ने जिरह के दौरान घटनास्थल से हिरण के खून से सनी मिट्टी तथा पत्थर के सैम्पल दिनांक 2, 11, 12 तथा 22 अक्टूबर 1998 को लिये गए बताया था, जबकि प्रकरण की पत्रावली में केवल 22 अक्टूबर 1998 को एक बार ही लेना बताया गया है। इस तरह अभियोजन की पूरी कहानी संदेहास्पद है तथा सलमान खान बेकसूर है। मामले में फिलहाल अंतिम बहस जारी है।
दुलानी के बयान हुए ही नहीं
कांकाणी हिरण शिकार मामले में प्रारम्भिक अनुसंधान अधिकारी रहे मांगीलाल सोनल ने अपनी रिपोर्ट में फिल्म अभिनेता सलमान खान द्वारा हिरणों का शिकार करने का कहीं पर भी जिक्र नहीं किया था। यहां तक कि जिस गवाह हरीश दुलानी के बयान से मामला बनाया गया उस गवाह के बयान अभियोजन पक्ष ने करवाए ही नहीं।
वन्यजीव अधिकारी मांगीलाल ने बयान और जिरह में यह कहा था कि 6 अक्टूबर के बाद हरीश दुलानी और अन्य गवाह के कहने पर सलमान खान व अन्य फिल्मी सितारों के खिलाफ मामला बनाया गया था। इससे पूरा मामला झूठा प्रतीत होता है। सलमान खान के अधिवक्ता हस्तीमल सारस्वत ने शुक्रवार को मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट जोधपुर जिला के पीठासीन अधिकारी देवकुमार खत्री की अदालत में चल रहे 19 वर्ष 2 माह पुराने हिरण शिकार मामले के अंतिम चरण में यह दलील दी।
प्रारंभिक अनुसंधान ही गलत
उन्होंने कहा कि मामले के प्रारंभिक अनुसंधान के मौके के नक्शे में भी चश्मदीद की तत्कालीन स्थिति, शिकारी की जिप्सी की जगह और जिप्सी के टायरों के निशान सहित ऐसे कई महत्वपूर्ण तथ्य हैं जो रिपोर्ट में शामिल ही नहीं हैं। मृत हिरणों पर लगा खून भी जब्त नहीं किया गया। इस तरह प्रारंभिक अनुसंधान की रिपोर्ट से यह कहीं साबित नहीं होता है कि सलमान खान इस मामले में शामिल था।
उन्होंने कहा कि ये सभी बातें वन्यजीव अधिकारी सोनल ने जिरह के दौरान स्वीकार की थीं। जिरह में उस स्वीकारोक्ति पर भी दलील दी। जिसमें सोनल ने कहा था कि 6 अक्टूबर 1998 तक जांच उसी के पास थी। तब तक अनुसंधान और पत्रावली में ऐसा कोई साक्ष्य नहीं था जिससे आरोपी को गिरफ्तार किया जा सके। समय अभाव के कारण बहस शुक्रवार को पूरी नहीं हो पाई। अब सोमवार 20 नवम्बर को इस मामले की सुनवाई फिर से होगी।
Published on:
24 Nov 2017 02:42 pm
बड़ी खबरें
View Allजोधपुर
राजस्थान न्यूज़
ट्रेंडिंग
