दरअसल, खाद्य सुरक्षा योजना में केंद्र सरकार के जरिए बीपीएल सहित अन्य श्रेणियों के परिवारों को 2 रुपए प्रति किलो की दर से प्रत्येक व्यक्ति को हर महीने पांच किलो गेहूं मिलता है। प्रदेश में कांग्रेस सरकार बनते ही मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने एक रुपए किलो गेहूं देने का वादा पूरा किया जो एक मार्च से लागू हो गया। लेकिन प्रदेश में उपभोक्ता पखवाड़ा महीने की 16 तारीख से शुरू होने के कारण यह योजना शनिवार से धरातल पर आ रही है। इसके अंतर्गत अंत्योदय परिवार, बीपीएल (गरीबी रेखा से नीचे जीवन व्यापन करने वाले) और स्टेट बीपीएल के 1 करोड़ 74 लाख उपभोक्ताओं को 1 रुपए प्रति किलो की दर से गेहूं दिया जाएगा। शेष उपभोक्ताओं को 2 रुपए किलो गेहूं मिलेगा।
पोर्टेबिलिटी बंद होने से प्रदेश के करीब 10 लाख गरीब परिवारों को गेहूं लेने से पहले अपनी राशन की दुकान तलाशनी होगी जिसके लिए उन्हें कई किलोमीटर भटकना होगा। कई उपभोक्तओं को उनके घर से 10 से 15 किलोमीटर दूर राशन की मूल दुकान पर गेहूं आवंटित हुआ है। कई मामले एेसे भी हैं जिसमें शहर का गेहूं गांव में और गांव का गेहूं शहर में भेज दिया गया है।
इसलिए बंद की पोर्टेबिलिटी
राशन की दुकान पर गेहूं वितरण की दो श्रेणियां (एक रुपए किलो व दो रुपए किलो गेहूं लेने वाले) हो जाने से ट्रायल तौर पर खाद्य विभाग ने पोर्टेबिलिटी बंद कर दी। इसके लिए सप्लाई चैन मैनेजमेंट सॉफ्टवेयर में भी बदलाव किया गया।
कैसे पता करें अपनी राशन दुकान
किसी उपभोक्ता के लिए अपनी राशन की दुकान का ऑनलाइन पता करना संभव नहीं है। उपभोक्ता अपने पास स्थित किसी राशन की दुकान में जाकर पोस कोड मशीन की सहायता से अपनी दुकान का पता कर सकता है। रसद विभाग कार्यालय में संपर्क कर सकता है।
कंपनी की मनमानी भुगतेगी जनता
राज्य सरकार ने 2011-12 में नए राशन कार्ड बनाए थे, जिसका कार्य गुजरात की इन्फोटेक कंपनी ने किया था। कंपनी ने मनमानी करते हुए राशन कार्ड बनाते समय कई परिवारों का राशन कार्ड उनके वार्ड के राशन की दुकान सेअटैच करने की बजाय अन्य वार्डों की राशन दुकानों से अटैच कर दिया। उस समय उपभोक्ताओं के विरोध के बाद राशन की पोर्टेबिलिटी लागू कर समस्या का हल निकाला गया था। ताकि उपभोक्ता किसी भी राशन की दुकान से ऑनलाइन ट्रांजेक्शन के जरिए गेहूं उठा सके। एक मार्च से इस सुविधा के खत्म होने से समस्या फिर पैदा हो गई है।
राज्य सरकार ने 2011-12 में नए राशन कार्ड बनाए थे, जिसका कार्य गुजरात की इन्फोटेक कंपनी ने किया था। कंपनी ने मनमानी करते हुए राशन कार्ड बनाते समय कई परिवारों का राशन कार्ड उनके वार्ड के राशन की दुकान सेअटैच करने की बजाय अन्य वार्डों की राशन दुकानों से अटैच कर दिया। उस समय उपभोक्ताओं के विरोध के बाद राशन की पोर्टेबिलिटी लागू कर समस्या का हल निकाला गया था। ताकि उपभोक्ता किसी भी राशन की दुकान से ऑनलाइन ट्रांजेक्शन के जरिए गेहूं उठा सके। एक मार्च से इस सुविधा के खत्म होने से समस्या फिर पैदा हो गई है।
प्रदेश की इतनी आबादी को लाभ
– 1.17 करोड़ बीपीएल व्यक्ति
– 29 लाख स्टेट बीपीएल व्यक्ति
– 28 लाख अंत्योदय योजना के लाभार्थी लोगों की शिकायतें
जोधपुर के नागोरी गेट, महामंदिर इलाके में रहने वाले गरीबों का गेहूं संगरिया गांव स्थित राशन की दुकान पर आवंटित हुआ है, वहीं जिले के पीपाड़ सिटी कस्बे के कुछ उपभोक्ताओं का गेहूं 60 किलोमीटर दूर जोधपुर में आवंटित हुआ है। शहर से 100 किलोमीटर दूर फलोदी कस्बे से भी कुछ एेसी ही शिकायतें मिली हैं।
– 1.17 करोड़ बीपीएल व्यक्ति
– 29 लाख स्टेट बीपीएल व्यक्ति
– 28 लाख अंत्योदय योजना के लाभार्थी लोगों की शिकायतें
जोधपुर के नागोरी गेट, महामंदिर इलाके में रहने वाले गरीबों का गेहूं संगरिया गांव स्थित राशन की दुकान पर आवंटित हुआ है, वहीं जिले के पीपाड़ सिटी कस्बे के कुछ उपभोक्ताओं का गेहूं 60 किलोमीटर दूर जोधपुर में आवंटित हुआ है। शहर से 100 किलोमीटर दूर फलोदी कस्बे से भी कुछ एेसी ही शिकायतें मिली हैं।
सरकार कर रही विचार
सरकार इस बारे में विचार कर रही है। संभवत: अगले महीने फिर से पुरानी व्यवस्था यानी पोर्टेबिलिटी को लागू कर दिया जाएगा। गेहूं से कोई भी वङ्क्षचत नहीं रहेगा।
आेमप्रकाश विश्नोई, जिला रसद अधिकारी-प्रथम जोधपुर
सरकार इस बारे में विचार कर रही है। संभवत: अगले महीने फिर से पुरानी व्यवस्था यानी पोर्टेबिलिटी को लागू कर दिया जाएगा। गेहूं से कोई भी वङ्क्षचत नहीं रहेगा।
आेमप्रकाश विश्नोई, जिला रसद अधिकारी-प्रथम जोधपुर