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CG Balak Ashram: एक शिक्षक के भरोसे 50 सीटर बालक आश्रम, कैसे संवरेगा बच्चों का भविष्य?

CG Balak Ashram: कांकेर के दुर्गूकोंदल के बालक आश्रम में शिक्षा का कोई माहौल नहीं है। एक शिक्षक के भरोसे पूरे स्कूल के बच्चों का भविष्य संकट में है।

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CG Balak Ashram

CG Balak Ashram: बच्चों के लिए रहने और खाने की व्यवस्था घर से बेहतर और कहीं नहीं हो सकता। पालक आश्रमों में बच्चों को इसलिए भर्ती कराते हैं कि यहां खाने, रहने के साथ-साथ पढ़ाई कर बुद्धिमान बनेंगे। लेकिन विकासखंड दुर्गूकोंदल के बालक आश्रम में शिक्षा का कोई माहोल नहीं है। वर्ष 2007 में शासन ने बालक आश्रम खोल दिया है। लेकिन 50 सीटर बालक आश्रम में शिक्षक की व्यवस्था नहीं किया है।

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CG Balak Ashram: एक शिक्षक के भरोसे पूरा स्कूल टीका

यहां अधीक्षक सहित 4 शिक्षक की पदस्थापना होनी चाहिए लेकिन मात्र एक शिक्षक पदस्थ है। जिसकी वजह से पढ़ाई नहीं हो रही एवं एसटी, एससी बच्चों का भविष्य बर्बाद हो रहा है। स्वीकृत पद अनुसार अधीक्षक और शिक्षकों की पदस्थापना नहीं की गई है। पालकों ने उम्मीद से बच्चों को भर्ती कराया है लेकिन यहां रहने और खाने की व्यवस्था तो हुई लेकिन विषयवार शिक्षा नहीं मिली।

कोसरिया गांड़ा समाज प्रदेश सचिव आनंद माहवे ने कहा कि बालक आश्रम सुरूंगदोह आवासीय शाला है। यहां भोजन-आवास के साथ शिक्षा की प्रबंध के लिए अधीक्षक और शिक्षक की पोस्टिंग होनी चाहिए।

सिर्फ खानापूर्ति जैसे बालक आश्रम सुरूंगदोह की व्यवस्था चल रही है। शिक्षक की नियुक्ति नहीं होगी तो क्या बच्चे सिर्फ रहने और भोजन करने के भर्ती होंगे। शिक्षा व्यवस्था के लिए 17साल बाद भी सेटअप के तहत अधीक्षक और शिक्षक की व्यवस्था नहीं किया जाना एसटी एससी वर्ग के बच्चों के साथ भविष्य के साथ खिलवाड़ है।

बच्चों का भविष्य बनाने की सोच निरर्थक

CG Balak Ashram: सरपंच नामदेव मरकाम ने बताया कि बालक आश्रम सुरूंगदोह में बच्चों को भर्ती कराकर बच्चों के भविष्य बनाने की सोच निरर्थक है। शिक्षक भर्ती नहीं होगी तो बच्चे यहां रहने और खाने के लिए थोड़ी रहेंगे। शिक्षक की कमी और अव्यवस्था के कारण पालक आश्रम में बच्चों को भर्ती नहीं करवा रहे हैं। इस वर्ष 23 बच्चे ही रह रहे हैं। यहां एक शिक्षक पदस्थ है, वह अधीक्षक, शिक्षा और बीएलओ का काम करता है।

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शिक्षक एवं प्रभारी अधीक्षक रविन्द्र गौर ने बताया कि बालक आश्रम सुरूंगदोह में अकेला शिक्षक हूं। बीएलओ का कार्य भी करता हूं, अधीक्षक का भी प्रभार में हूं। पढ़ाई प्रभावित है। यहां दर्ज संख्या 23 है। बच्चों की संख्या घट रही है। शिक्षक, अधीक्षक की मांग पत्र हमेशा भेजते हैं पर मांग पत्र पर अमल नहीं होती है।