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CG News: रावघाट माइंस से लौह अयस्क परिवहन में बड़ा घोटाला, एग्रीमेंट के खिलाफ चल रही गाड़ियां

CG News: आक्रोशित लोगों ने इसे लेकर एसडीएम दफ्तर में आवेदन भी दिया। इसके बाद एसडीएम ने रावघाट में बीएसपी के माइंस मैनेजर को नोटिस देते हुए 23 जुलाई को कार्यालय में तलब किया था।

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घोटाले का शॉर्टकट (Photo source- Patrika)

घोटाले का शॉर्टकट (Photo source- Patrika)

CG News: रावघाट की 2 माइंस से भिलाई स्टील प्लांट (बीएसपी) के लिए भर-भरकर कच्चा लोहा जाता है। एग्रीमेंट के मुताबिक माइंस से कच्चा माल ले जाने के बाद वापसी भी कांकेर रूट से करनी है। यह सफर करीब 235 किमी लंबा है, लेकिन ताड़ोकी होते हुए इस दूरी को महज 49 किमी में पूरा किया जा सकता है।

CG News: हो सकता है बड़े घोटाले का भंडाफोड़

गाड़ियों की वापसी के वक्त इसी शॉर्टकट की आड़ में बड़े घोटाले को अंजाम दिया गया। माइंस का ज्यादातर कच्चा माल बड़े रूट से तो रेल यार्ड तक पहुंचाया गया, लेकिन वापसी के वक्त शॉर्टकट लेने से जहां टोल टैक्स के नाम पर सरकार को चूना लगा, वहीं किराया-भाड़ा की आड़ में बीएसपी के साथ भी खेला हो गया। दरअसल, रावघाट में देव माइनिंग (अंजरेल) और एनसी नाहर माइनिंग (ए ब्लॉक) से बीएसपी के लिए कच्चा लोहा जाता है।

कच्चा माल ले जाने वाली भारी गाड़ियां 235 किमी लंबे कांकेर रूट की बजाय महज 49 किमी के शॉर्टकट रूट यानी ताड़ोकी का इस्तेमाल कर रहीं थीं। बीएसपी से हुए एग्रीमेंट के मुताबिक, कच्चा लोहा लोड होने के बाद रावघाट से नारायणपुर-कोण्डागांव-केशकाल-कांकेर-भानुप्रतापपुर-अंतागढ़ होते हुए रेलवे यार्ड तक पहुंचाया जाना है। माल खाली होने के बाद गाड़ियों की वापसी भी इसी कांकेर रूट से होनी है।

रावघाट हैड क्वार्टर में बीएसपी के माइंस मैनेजर केके गुप्ता ने भी एसडीएम न्यायालय में बताया कि लीड डिस्टेंस यानी अयस्क लोड वाहनों को निर्धारित दूरी वाले रास्ते से आने-जाने के आधार पर भुगतान किया जा रहा है। हालांकि, हकीकत ये थी कि ज्यादातर गाड़ियां लंबे रूट का इस्तेमाल खाली कच्चा माल ले जाने के लिए करती रहीं। वापसी के वक्त ताड़ोकी वाला शॉर्टकट ले रही थीं। पूरे मामले की बारीक जांच हो, तो बड़े घोटाले का भंडाफोड़ हो सकता है।

CG News: आंदोलन के बाद खुली बड़े भ्रष्टाचार की परतें

पहली बार यह मामला कुछ दिन पहले ही सुर्खियों में आया था, जब स्थानीय लोगों ने मड़पा चौक पर आंदोलन किया था। उनका कहना था कि भारी गाड़ियों के शॉर्टकट वाले तंग रास्ते से गुजरने से आम राहगीरों की जान पर आफत बन गया है। लोगों की जिंदगियां दांव पर लगाकर भ्रष्टाचार किया जा रहा है।

आक्रोशित लोगों ने इसे लेकर एसडीएम दफ्तर में आवेदन भी दिया। इसके बाद एसडीएम ने रावघाट में बीएसपी के माइंस मैनेजर को नोटिस देते हुए 23 जुलाई को कार्यालय में तलब किया था। यहां उनकी ओर से पेश किए गए कार्यादेश और एग्रीमेंट में भी साफ जिक्र था कि रेल यार्ड तक कच्चे लोहे का परिवहन और वापसी लंबे रूट से की जानी है।

जीपीएस अभी तक नहीं, पर अब जरूरी

कच्चे लोहे का परिवहन करने वाली गाड़ियों में अब तक ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (जीएसपी) अनिवार्य नहीं किया गया है। हालांकि, रावघाट में जिस तरह का भ्रष्टाचार सामने आया है, उसके बाद परिवहन में लगी सभी गाड़ियों में जीपीएस लगाना जरूरी हो गया है। गाड़ियों का रियल टाइम लोकेशन ट्रैस किया जा सकता है। छोटी सी भी गड़बड़ी आसानी से पकड़ में आ जाएगी।

CG News: अनियमितता के बाद जीपीएस को लेकर प्रशासन की ओर से सख्त रवैया अपनाने की उम्मीद है, ताकि आगे अनुबंधों का उल्लंघन न हो। हालांकि, एसडीएम दफ्तर में लिखित तौर पर कार्यादेश का पालन का करने की बात के बाद इससे मुकरने के बाद कंपनियों का अनुबंध भी रद्द किया जा सकता है। एसडीएम ने 23 जुलाई को ही स्पष्ट आदेश जारी करते हुए कहा कि किसी भी हाल में छोटे रूट यानी अंतागढ़-ताड़ोकी-रावघाट का उपयोग नहीं किया जाएगा।

उन्होंने बीएसपी प्रबंधन, देव माइंस और एनसी नाहर माइंस को निर्देश दिया कि अनुबंध शर्तों का सती से पालन हो, ताकि आम जनता को कोई असुविधा न हो। दोनों कंपनियों के प्रतिनिधियों ने न्यायालय में लिखित रूप से माना कि वे बीएसपी द्वारा तय अनुबंध और कार्यदिशा का पालन करेंगे। भविष्य में शॉर्टकट रूट का उपयोग नहीं किया जाएगा।