
भानुप्रतापपुर और संबलपुर में सट्टा परवान पर (Photo source- Patrika)
CG News: भानुप्रतापपुर और संबलपुर में जुए और सट्टे का कारोबार खुलेआम चल रहा है। सूत्रों की मानें तो यह अवैध धंधा स्थानीय नेताओं की सरपरस्ती में फल-फूल रहा है। हालत ये है कि पूरे इलाके में लोगों को पता है कि सट्टा कहां-कहां चल रहा है, लेकिन पुलिस को भनक तक नहीं। यह भी कह सकते हैं कि पुलिय जानबूझकर अनजान बनने का नाटक कर रही है।
भानुप्रतापपुर नगर और इसके आसपास के गांवों में सट्टा-पट्टी का नेटवर्क सुनियोजित तरीके से फैला हुआ है। खासकर संबलपुर गांव इस धंधे का बड़ा अड्डा बन चुका है। यहां पर लंबे समय से सट्टा चल रहा है। वर्दीधारी वहां तक नहीं पहुंच पा रहे हैं। सूत्र बताते हैं कि जो लोग सट्टा चला रहे हैं, वे राजनीतिक पार्टियों से जुड़े हुए हैं। इसी कारण उन्हें प्रशासनिक संरक्षण भी प्राप्त है।
गांव के बीचोबीच यह कारोबार चलाया जा रहा है, जिससे युवाओं में इसकी लत बढ़ती जा रही है। युवाओं को इस गोरखधंधे की लत लग रही है और वे अपना पैसा, समय और भविष्य इस जुए में गंवा रहे हैं। सामाजिक स्तर पर इसका असर गंभीर होता जा रहा है। यह भी कहा जा रहा है कि पुलिस की मिलीभगत और नेताओं की सहमति के कारण यह धंधा रुक नहीं रहा है।
रामेश्वर देशमुख, टीआई, भानुप्रतापपुर: सट्ट्रा-पट्टी के बारे में आपके माध्यम से जानकारी मिल रही है। पहले तहकीकात करेंगे। मामला सही निकला तो कार्रवाई भी होगी।
संबलपुर में यह कारोबार इस कदर फैला है कि वहां के सट्टा खाईवालों ने 3 से 4 एजेंट्स को सट्टा-पट्टी लिखने के लिए रखा है। ये लड़के पूरे गांव में घूम-घूमकर नंबर बुक करते हैं। अब तो लोग फोन पर भी नंबर बता रहे हैं। अगर नंबर खुल गया, तो उन्हीं एजेंट्स के जरिए रकम का लेन-देन होता है। सट्टे का यह खेल 0 से 9 नंबर तक चलता है। नेट पर सिर्फ एक नंबर खुलता है। खिलाड़ी अगर सही नंबर चुनता है, तो उसे 1 रुपए के बदले 80 रुपए मिलते हैं।
CG News: हालांकि, बाकी 9 खिलाड़ियों का पैसा सीधे सट्टा माफियाओं की जेब में चला जाता है। इस तरह हर दिन लाखों रुपए का अवैध लेन-देन हो रहा है। इस धंधे में लगे लोगों के हौसले इतने बुलंद हैं कि वे अब खुलेआम गांवों में प्रचार करते हैं। जानकार बताते हैं कि कई लोग लालच में आकर अपना सबकुछ गंवा चुके हैं। कोई पुलिस कार्रवाई न होने से इन माफियाओं के हौसले और मजबूत हो गए हैं।
पहले कुछ अफसरों ने इस पर सती दिखाई थी और सट्टा बंद भी हुआ था। लेकिन अब नेताओं की सहमति और पुलिस की चुप्पी से यह फिर पनपने लगा है। अब बड़ा सवाल ये है कि इस अवैध कारोबार को रोकने के लिए क्या पुलिस कोई ठोस कदम उठाएगी? या फिर छोटे एजेंटों को पकड़कर बड़े खाईवालों को बचाने का खेल जारी रहेगा?
Published on:
31 Jul 2025 01:56 pm
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