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15 साल बाद विरासत संभालने लौटे Akhilesh Yadav, पांच साल बाद लिया हार का बदला

Akhilesh Yadav: सपा मुखिया अखिलेश यादव ने कन्नौज लोकसभा सीट से भारी मतों से चुनाव जीता। साल 2009 के बाद अखिलेश एक बार फिर इस सीट से सांसद बने।

कन्नौजJun 05, 2024 / 11:50 am

Sanjana Singh

Akhilesh Yadav

Akhilesh Yadav

Akhilesh Yadav: इत्र नगरी से ही सियासी करियर का आगाज करके जीत की हैट्रिक लगाने वाले सपा मुखिया अखिलेश यादव 15 साल बाद फिर से इत्र नगरी से लौटे और जीत का चौका लगा डाला। पिछले चुनाव में यहां मिली हार का बदला लेते हुए रिकॉर्ड वोटों से जीत हासिल करके सपा का गढ़ भी वापस हासिल कर लिया।

साल 2000 में पहली बार इस सीट से अखिलेश

सपा का मुखिया बनने से पहले अखिलेश यादव ने सियासत का ककहरा इत्र नगरी की गलियों में ही सीखा था। अब से 24 साल पहले साल 2000 में हुए उपचुनाव में पहली बार यहां से ताल ठोकने वाले अखिलेश यादव ने उसी चुनाव से जीत का आगाज भी कर दिया था। उसके बाद वह 2004 और 2009 के चुनाव में भी लगातार इस सीट से हैट्रिक लगाने वाले वह इकलौते सांसद हैं।

2019 में हैट्रिक लगाने से चूकीं थी डिंपल यादव

2012 में सपा को जनादेश मिला तो उन्होंने मुख्यमंत्री की कुर्सी संभाली। सांसद सीट से इस्तीफा देकर पत्नी डिंपल यादव को उम्मीदवार बनाया। वह निर्विरोध ही चुनाव जीत गई। उन्होंने 2014 में भी इस सीट पर जीत को दोहराया। हालांकि, 2019 के अपने तीसरे चुनाव में वह पति अखिलेश यादव की तरह हैट्रिक लगाने से चूक गई थीं। उसके बाद वह मैनपुरी चली गई और यहां अखिलेश यादव आ गए। दोनों ने जीत हासिल करके पार्टी के गढ़ को बरकरार रखा है। 
Dimple Yadav
सियासी गलियारे में कहा जा रहा है कि अखिलेश यादव ने सुब्रत पाठक को हराकर पिछली हार का पाठक को हराकर पिछली हार का बदला भी पूरा कर लिया है। तब सुब्रत नजदीकी मुकाबले में जीते थे अब अखिलेश यादव ने रिकॉर्ड वोटों से हराया है।

पहले तेज प्रताप को बनाया था उम्मीदवार, फिर बदला फैसला

अखिलेश यादव ने नामांकन प्रक्रिया के दौरान यहां से पहले अपने भतीजे प्रताप यादव को उम्मीदवार बनाया था। लेकिन यहां कार्यकर्ताओं से मिले फीडबैक और समर्थकों की मनुहार के बाद उन्हें अपना फैसला बदलना पड़ा। जिले भर में मची उथल पुथल सपा के थिंक टैंक को अपना फैसला बदलने पर मजबूर कर दिया। कन्नौज से लेकर लखनऊ तक की दौड़ होती रही पार्टी के रणनीतिकारों तक संदेश पहुंचाया गया। लगातार मिल रहे फीडबैक के आधार पर पार्टी आलाकमान ने फैसला बदलने का मन बना लिया। 

1998 से शुरू हुआ जीत का सिलसिला

कन्नौज संसदीय सीट पर सपा की यह रिकॉर्ड आठवीं जीत है। सबसे पहले 1998 के चुनाव में सपा ने यहां जीत दर्ज की थी तब प्रदीप यादव सांसद चुने गए थे। उसके बाद 1999 में सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव यहां से लड़े और जीते। उस चुनाव में संभल से भी चुनाव जीते थे। कन्नौज से उन्होंने इस्तीफा दिया और 2000 के उपचुनाव में अखिलेश यादव पहली बार जीते। 2004 और 2009 में भी अखिलेश यादव जीते। 2012 के उपचुनाव में डिंपल यादव जीतीं। वह 2014 में भी सांसद बनीं। 2019 में सपा की जीत का सिलसिला थमा। पांच साल बाद फिर से अखिलेश यादव ने यह सीट सपा की झोली में डाल दी है।
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अखिलेश सुब्रत में दूसरी टक्कर, दोनों बार हारे पाठक 

कन्नौज संसदीय सीट पर अखिलेश यादव और सुब्रत पाठक के बीच यह दूसरा मुकाबला था। इसके पहले दोनों के बीच 2009 के चुनाव में मुकाबला हुआ था। सुब्रत का वह पहला चुनाव था तब अखिलेश यादव जीते थे। सुब्रत पाठक उस चुनाव में तीसरे नंबर पर रहे थे। अब 15 साल बाद फिर से दोनों आमने-सामने आए फिर से बाजी अखिलेश यादव के ही हाथ लगी। इस सीट से सुब्रत पाठक का यह लगातार चौथा चुनाव था, इसमें उन्हें तीसरी बार हार मिली है।

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