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सिजोफ्रेनिया मरीजों के लिए नए सॉल्ट की दवा, कैरीप्राजीन साल्ट का किया ट्रायल

UP News: सिजोफ्रेनिया के मरीजों के लिए नए सॉल्ट की दवा से मरीजों को अब अलग अलग दवाइयां नहीं लेनी होगी। डॉक्टरों ने शोध करके नए साल्ट का ट्रायल किया है।

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 Trial of new salt drug Cariprazine salt for patients of schizophrenia

Trial of new salt drug Cariprazine salt for patients of schizophrenia

सिजोफ्रेनिया के मरीजों के लिए नए सॉल्ट की दवा ने बड़ी राहत दी है। जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के मनोरोग विभाग के डॉक्टरों ने 200 मरीजों पर इसका ट्रायल किया तो बेहतर परिणाम सामने आए। मरीजों की न सिर्फ नकारात्मक सोच में सुधार हुआ और उनमें दवा के प्रतिकूल असर भी नहीं दिखे। दवा के सेवन से वजन नहीं बढ़ा और डायबिटीज होने का खतरा भी शून्य पाया गया। मनोरोग विभाग में नोडल अधिकारी डॉ.गणेश शंकर की देखरेख में कैरीप्राजीन साल्ट का छह महीने तक ट्रायल किया गया।

सिजोफ्रेनिया में यूं तो 50 तरह की दवा साल्ट प्रचलित हैं लेकिन हर किसी में वजन बढ़ने और शुगर की बीमारी होने का खतरा सामने आया है। यहां तक कि कई मरीजों में एचबीएवनसी 10 पार भी मिला। इस ट्रायल में मरीजों को उनकी बीमारी के हिसाब से 1.5 एमजी से लेकर छह एमजी तक दवा एक बार में दी गई। आधे मरीजों में निगेटिव सिम्टम ऑफ सिजोफ्रेनिया का भी ग्राफ कम हुआ। इस दवा के ट्रायल पेपर को शनिवार को कानपुर मनोरोग एसोसिएशन के वैज्ञानिक सत्र में भी डॉ.शंकर ने रखा। ट्रायल में सामने आया कि बीते पांच सालों में सिजोफ्रेनिया के मरीजों का ग्राफ तेजी से बढ़ा है। इस समय मनोरोगियों में एक तिहाई मरीज इसी के पाए जा रहे हैं। दवा से मरीजों के गुमसुम रहने की स्थिति में भारी कमी पाई गई।

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नए साल्ट से मिली राहत

डॉ.गणेश शंकर, सहायक प्रोफेसर, मनोरोग विभाग जीएसवीएम के अनुसार कैरीप्राजीन साल्ट ने सिजोफ्रेनिया के मरीजों को राहत दी है। इससे जटिलताएं भी नहीं हो रही है। पैरों में सूजन की शिकायत सामने आई है लेकिन इससे वजन बढ़ने और डायबिटीज होने का खतरा कम हो गया। न्यूरोट्रांसमीटर के असंतुलन से सिजोफ्रेनिया बीमारी होती है। ब्रेन में मौजूद इन केमिकल्स यानी डोपामाइन और सिरोटोनिन के असंतुलन से दिक्कत होती है। यह बीमारी ज्यादातर बचपन में या फिर किशोरावस्था में होती है। सिजोफ्रेनिया के मरीज को ज्यादातर भ्रम और डरावने साए दिखने की शिकायत होती है।

लक्षण भी जानें

- बुरे-बुरे सपने आना

- भ्रम की स्थिति रहना

- बोलने में दिक्कत होना

- समाज से कटकर रहना, बीमारी से बेखबर रहना

- संज्ञानात्मक कठिनाइयां

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