scriptगुरु से मिली सीख और सीख से बदली पहाड़ की तस्वीर,वीरान पहाड़ कर दिया हरा-भरा,संत की लगन व मेहनत आई काम | A picture of a mountain with learned learning and learned from the Gur | Patrika News

गुरु से मिली सीख और सीख से बदली पहाड़ की तस्वीर,वीरान पहाड़ कर दिया हरा-भरा,संत की लगन व मेहनत आई काम

locationकरौलीPublished: May 08, 2019 06:58:00 pm

Submitted by:

vinod sharma

A picture of a mountain with learned learning and learned from the Guru, a deserted mountain filled green

A picture of a mountain with learned learning and learned from the Gur

गुरु से मिली सीख और सीख से बदली पहाड़ की तस्वीर,वीरान पहाड़ कर दिया हरा-भरा,संत की लगन व मेहनत आई काम


करौली. आस्थाधाम कैलादेवी के निकट अतेवा गांव में एक संत को अपने गुरु से पर्यावरण की रक्षा व पौधों से प्रेम की सीख मिली। इसी सीख से संत नानक दास त्यागी ने पत्थरों के पहाड़ पर लगभग 1१०० पौधे लगाकर तस्वीर बदल दी है। कभी वीराना नजर आने वाले पहाड़ का ५२ बीघा का हिस्सा अब हरा-भरा हो गया है। संत नानक दास निवासी पाळ (नादौती) को १५ साल पहले अपने गुरु रामप्रताप दास से पर्यावरण की रक्षा व पौधों से प्रेम की सीख मिली। इसके बाद संत अचानक अतेवा गांव में एक धार्मिक कार्यक्रम में भाग लेने आए, तब वहां पर कजलिया बांध से ऊपर पहाड़ देख, पहाड़ वीरान नजर आया, तब ही संत ने पहाड़ को हरा-भरा करने की ठान लगी। इस संत की लगन व मेहनत से पहाड़ पर विभिन्न प्रजातियों के लगभग ११०० पौधे लग चुके है। जिनकी देखभाल खुद करते है। अतेवा गांव के निवासी व रोडवेज के सेवानिवृत्त आगार प्रबंधक गिर्राज शर्मा ने बताया कि संत की मेहनत से पहाड़ हरा-भरा हो गया है, यह ग्रामीणों के लिए अचंभा करने का विषय है। पूरण गेंहुआ ने कहना है पर्यावरण के प्रति संत की लगन देखने लायक है।
६०० फीट ऊपर पानी ले जाकर सींचा पौधों को
संत ने 15 साल पहले अतेवा के पहाड़ पर आश्रम बनाकर पौधा लगाना शुरू किया, शुरुआत में कजलिया बांध से ६०० फीट ऊपर पानी सर पर पौधों की सिंचाई के लिए लेकर जाते थे। अब गत सालों से बांध में पाइप डालकर सिंचाई के लिए पानी खींचा जाने लगा। संत की इस मेहनत क्षेत्र में चर्चा की विषय बनी हुई। संत का कहना है कि वे रोजाना तीन बजे जग जाते हैं, उसके बाद से ही पौधों की देखभाल शुरू हो जाती है। पौधों की सिंचाई, खाद, निराई की जाती है। उन्होंने बताया कि अभी विद्युत लाइन के जरिए पानी नदी से लिया जा रहा है। लेकिन शुरुआत में सिर पर बर्तन रखकर नदी से पहाड़ पर पानी लेकर जाते थे। पौधों की देखभाल से फ्री होने के बाद संत पूजा-पाठ करते हैं।
इन पौधों से खिलखिलाया वीरान पहाड़
अतेवा का वीरान नजर आने वाला पहाड़ आमला, सैतूत, अर्जुन, बदाम, काजू, सफेदा, बांस, अंगूर, अनार तथा विभिन्न प्रजातियों के पौधों से खिलखिला गया है। कैलादेवी के कृषि पर्यवेक्षक अमृतलाल मीना बताते है कि संत ने विपरीत परिस्थतियों में पहाड़ पर व्यवसायिक पौधे भी उगा दिए हैं, जो आस-पास नजर नहीं आते हैं। उन्होंने बताया कि इस पहाड़ की जमीन सिर्फ धौं के पेड़ लगते है। लेकिन संत ने विभिन्न प्रजातियों के पौधे रौंप दिए हैं।
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