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रामचरित मानस की तर्ज पर लिखी भार्गव रामायण

locationकरौलीPublished: Feb 02, 2019 11:01:19 pm

Submitted by:

Dinesh sharma

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रामचरित मानस की तर्ज पर लिखी भार्गव रामायण

करौली. कहते हैं पढऩे-लिखने की कोई उम्र नहीं होती और जब मन में कुछ कर गुजरने का जज्बा हो तो कोई मुकाम मुश्किल नहीं होता। कुछ इसी तरह का उदाहरण पेश किया है 72 वर्ष के पंडित श्रीपति शर्मा ने।
मूल रूप से बाटदा गांव और वर्तमान में 132 केवी जीएसएस के निवासी श्रीपति शर्मा ने सात वर्ष की अथक लगन, मेहनत के बाद रामचरित मानस की तर्ज पर श्रीमद् भार्गव रामायण की रचना की है।
उन्होंने लगभग एक दशक पहले भगवान परशुराम की जीवन गाथा लिखने की ठानी। इसके बाद विभिन्न ग्रंथों का अध्ययन करके उन्होंने एक वृहद श्रीमद् भार्गव रामायण की रचना कर डाली, जिसके प्रथम संस्करण का प्रकाशन हुआ है।
क्या है भार्गव रामायण में
पंडित श्रीपति द्वारा रचित भार्गव रामायण में भी रामचरित मानस की तरह सात काण्ड लिखे गए हैं। प्रत्येक कांड में भगवान परशुराम की जीवन गाथा को समावेशित किया गया है।
पुस्तक में बालकाण्ड, नर्वदा काण्ड, युद्घ कौशिक काण्ड, अम्बा काण्ड, गौमंत काण्ड तथा उत्तरकाण्ड शािमल हंै। इनमें भगवान परशुराम के जन्म से लेकर पूरे जीवन तक के इतिहास को वर्णन है। 746 पृष्ठों के इस ग्रंथ में 6 50 दोहा, करीब 7 हजार चौपाई, करीब 100 सौठा-छंद हिन्दी अनुवाद सहित शामिल किए गए हैं। इस रामायण की रचना करने में उनको करीब 7 वर्ष का समय लग गया। वो कोई जाने पहचाने लेखक नहीं। लेकिन ग्रंथ की रचना किसी अनुभवी लेखक जैसी लगती है।
भगवान शंकर की कृपा
भगवान शंकर को इष्ट रूप में पूजने वाले पंडित श्रीपति श्रीमद् भार्गव रामायण की रचना के लिए भगवान शंकर की प्रेरणा बताते हैं। वे कहते हैं कि शिव की कृपा से मुझे भगवान परशुराम पर लिखने के लिए अन्तरात्मा से आवाज आई।
इससे पहले भी लिखी हैं पुस्तकें
खास बात यह है कि पत्थर व्यवसाय से जुड़े रहे 72 वर्षीय श्रीपति शर्मा पांच दशक पहले स्नातक तक पढ़ाई कर चुके हैं। इससे पहले भी उन्होंने चार धार्मिक पुस्तकें लिखी हैं। अमूमन वृद्धावस्था में लोग लिखना-पढऩा छोड़ चुके होते हैं लेकिन श्रीपत हैं कि वो इस उम्र में भी धार्मिक पुस्तकों के अध्ययन और लेखन में 8 से 10 घंटे खर्च करते हैं।
इसी आदत के चलते उन्होंने भगवान परशुराम की जीवन गाथा लिख डाली। इससे पहले भी वे चार पुस्तकें लिख चुके हैं। इनमें दोहा माला, परशुराम पराक्रम लघुकाव्य, गीता के 700 श्लोकों का हिन्दी दोहा, परशुराम चालीसा शामिल हैं।
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