इतना ही नहीं एक माह पहले जहां मनरेगा में जिले की ग्राम पंचायतों में 22 हजार से अधिक श्रमिक मनरेगा कार्यों पर कार्यरत थे, वहीं अब यह संख्या लगभग एक तिहाई तक रह गई है। वर्तमान में जिले की 227 ग्राम पंचायतों में से महज 115 में ही मनरेगा के तहत कार्य चल रहे हैं। कम ग्राम पंचायतों में कार्य चलने और श्रमिकों की कम संख्या को लेकर विभागीय अधिकारी विधानसभा चुनाव के दौरान कम संख्या होने की बात कहते हैं।
हालांकि विधानसभा चुनाव सम्पन्न हो चुके हैं और प्रदेश में नई सरकार का गठन भी हो चुका है। वहीं सरकारी कार्यालयों में कामकाज का ढर्रा भी सामान्य रूप में आ चुका है, लेकिन महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) अभी पटरी पर नहीं आ सकी है।
व्यक्तिगत लाभ के अधिक कार्य
विभागीय सूत्र बताते हैं कि जिले में मनरेगा में जो कार्य चल रहे हैं, उनमें व्यक्तिगत लाभ की योजनाओं के अधिक कार्य शामिल हैं। इनमें भूमि समतलीकरण, मेढ़बंदी, कैटल शैड, आवास योजना आदि के अधिक कार्य चल रहे हैं।
विभागीय सूत्र बताते हैं कि जिले में मनरेगा में जो कार्य चल रहे हैं, उनमें व्यक्तिगत लाभ की योजनाओं के अधिक कार्य शामिल हैं। इनमें भूमि समतलीकरण, मेढ़बंदी, कैटल शैड, आवास योजना आदि के अधिक कार्य चल रहे हैं।
पंचायत समितियों में कार्यों का गणित
जिले की 6 पंचायत समितियों में कुल 227 ग्राम पंचायतें हैं। वर्तमान में मनरेगा कार्य संचालन में सपोटरा और हिण्डौन पंचायत समितियां फिसड्डी बनी हुई हैं। सपोटरा की 34 में से महज 11 और हिण्डौन की 52 ग्राम पंचायतों में से महज 19 में ही कार्य संचालित हैं।
जिले की 6 पंचायत समितियों में कुल 227 ग्राम पंचायतें हैं। वर्तमान में मनरेगा कार्य संचालन में सपोटरा और हिण्डौन पंचायत समितियां फिसड्डी बनी हुई हैं। सपोटरा की 34 में से महज 11 और हिण्डौन की 52 ग्राम पंचायतों में से महज 19 में ही कार्य संचालित हैं।
अन्य पंचायत समितियों की ग्राम पंचायतों में पर नजर डालें तो करौली पंचायत समिति की पंचायतों में भी कोई अच्छी स्थिति नहीं है। यहां कुल 46 पंचायतों में से आधी से भी कम यानि 22 पंचायतों में ही कार्य संचालित है। इसी प्रकार मण्डरायल में 23 में से 15, टोडाभीम में 43 में से 24 पंचायतों में कार्य चल रहे हैं। हालांकि नादौती पंचायत समिति में कार्यों की रफ्तार तेज है और यहां 29 पंचायतों में से 24 में कार्य संचालित हैं।
कहां कितने श्रमिक
विभागीय सूत्रों के अनुसार वर्तमान में 115 पंचायतों में चल रहे कार्यों पर कुल 7427 श्रमिक कार्यरत हैं। इनमें सबसे कम हिण्डौन पंचायत समिति में महज 297 श्रमिक ही कार्य रहे हैं, जबकि सर्वाधिक श्रमिक मण्डरायल में 2244 मनरेगा कार्यों पर रोजगार पा रहे हैं।
विभागीय सूत्रों के अनुसार वर्तमान में 115 पंचायतों में चल रहे कार्यों पर कुल 7427 श्रमिक कार्यरत हैं। इनमें सबसे कम हिण्डौन पंचायत समिति में महज 297 श्रमिक ही कार्य रहे हैं, जबकि सर्वाधिक श्रमिक मण्डरायल में 2244 मनरेगा कार्यों पर रोजगार पा रहे हैं।
इसी प्रकार करौली में 1422, टोडाभीम में 1415, सपोटरा में 1196 श्रमिक कार्यरत हैं। विशेष बात यह है कि नादौती में भले ही 29 में से 24 पंचायतों में कार्य चल रहे हों, लेकिन यहां श्रमिकों की संख्या महज 853 ही है।
एक माह पहले 22 हजार
ठीक एक माह पहले नवम्बर माह के के आंकड़ों पर नजर डालें तो 227 पंचायतों में से करीब 167 में कार्य संचालित थे, जिन पर 22 हजार से अधिक श्रमिक कार्यरत थे।
ठीक एक माह पहले नवम्बर माह के के आंकड़ों पर नजर डालें तो 227 पंचायतों में से करीब 167 में कार्य संचालित थे, जिन पर 22 हजार से अधिक श्रमिक कार्यरत थे।
अब बढ़ेगी संख्या
विधानसभा चुनाव के दौरान श्रमिकों की संख्या में कमी आई थी। अब चुनाव सम्पन्न हो गए हैं। अब सभी पंचायतों में कार्य शुरू होकर श्रमिकों की संख्या में भी बढ़ोतरी होगी।
बद्रीप्रसाद शर्मा, अधिशासी अभियंता, मनरेगा, करौली
विधानसभा चुनाव के दौरान श्रमिकों की संख्या में कमी आई थी। अब चुनाव सम्पन्न हो गए हैं। अब सभी पंचायतों में कार्य शुरू होकर श्रमिकों की संख्या में भी बढ़ोतरी होगी।
बद्रीप्रसाद शर्मा, अधिशासी अभियंता, मनरेगा, करौली