राजस्थान के इस जिले में दबा पड़ा है लोह का भंडार, नहीं मिल रहा रास्ता,राजस्व और वन विभाग दर्शा रहे लापरवाही फिर से खुली हैं प्रोजेक्ट की दबी फाइल
करौलीPublished: Mar 05, 2019 06:45:59 pm
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राजस्थान के इस जिले में दबा पड़ा है लोह का भंडार, नहीं मिल रहा रास्ता,राजस्व और वन विभाग दर्शा रहे लापरवाही फिर से खुली हैं प्रोजेक्ट की दबी फाइल
बदल सकती है जिले की दशा और दिशा
विनोद शर्मा
करौली. जिले के हिण्डौन इलाके में लोह का अकूत भंडार दबा पड़ा है। आठ वर्ष पहले इसका पता लग जाने के बाद भी भूगर्भ से इसको निकालने का रास्ता नहीं निकल सका है। यह भंडार इतना कीमती है कि इससे जिले की दशा और दिशा बदल सकती है। इसके बावजूद राजस्व और वन विभाग के अफसरों की लापरवाही के कारण यह प्रोजेक्ट ८ वर्षो से फाइलों में दबा पड़ा है। नई सरकार के गठन के बाद इस प्रोजेक्ट की फाइल फिर से खुली है। जिला कलक्टर ने अधिकारियों की टीम गठित करके मौके का सर्वे कराने और रिकॉर्ड को संकलित करने की कार्रवाई शुरू की है।
लगभग ८ वर्ष पहले हिण्डौन सिटी क्षेत्र के देदरौली, टोडूपुरा, खोहर्रा, लिलोटी आदि गांवों की पहाडिय़ों में लोह के भंडार होने के संकेत मिले थे। इस पर सरकार ने वर्ष २०१० में लोह की खदान आंवटन व लोह का भंडार तलाशने का पट्टा एक निजी कंपनी कल्याणी प्राइवेट लिमिटेड को दिया। कंपनी ने वन विभाग से अनुमति लेकर लोह भंडार की तलाशी शुरू की।
सूत्रों के अनुसार कंपनी को इलाके में लोह भंडार होने के शुभ संकेत भी मिल गए लेकिन लोह की खदानों के रास्ते को लेकर मामला अटक गया। खदानों का रास्ता वन क्षेत्र में होकर होने के कारण वन विभाग ने आपत्ति जताई और काम रुकवा दिया। खनिज विभाग ने वन क्षेत्र की स्थिति स्पष्ट करने के लिए वन विभाग तथा राजस्व विभाग को पत्र भेजे। लेकिन न वन विभाग ने न राजस्व विभाग ने जमीन की वास्तविक स्थिति से खनिज विभाग को अवगत नहीं कराया। महज इस छोटी सी अड़चन से यह महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट वर्षो से अटका पड़ा है। जमीन का मालिकाना हक तय होने पर खदानों का रास्ता निकलना है। इसके बाद लौह की निकासी की कार्रवाई शुरू हो पाएगी।
इसी सप्ताह खनिज विभाग के अधिकारियों ने जिला कलक्टर से इस प्रोजेक्ट को लेकर चर्चा की। गत दिनों हुई जिला परिषद की साधारण सभा की बैठक में भी यह मुद्दा उठा था। इसके बाद कलक्टर ने वन, राजस्व अधिकारियों से जमीन का रिकॉर्ड संकलित करने, मौके की रिपोर्ट बनाने तथा प्रोजेक्ट में आ रही बाधाओं की जानकारी मांगी है।
1237 मिलीयन टन का भंडार
कल्याणी कंपनी ने आधुनिक मशीनों से खुदाई करके हिण्डौन तहसील के देदरौली, टोडूपुरा, खोहर्रा, लिलोटी आदि गांवों की पहाडिय़ों पर लोह का भंडार तलाश किया। इन मशीनों से लगभग १२५ मीटर के ४० बोर किए गए। खुदाई में १२३७ मिलियन टन लोह अयस्क होने का अनुमान लगाया गया। इस दौरान ४८७ मीलियन टन मैगनेटाइट और ७५० मिलीयन टन होमाटाइट अयस्क पाया गया। खनिज विभाग के वैज्ञानिक बताते है कि इन पहाडिय़ों में उच्च क्वालिटी का लोह अयस्क होने की पुष्टि हुई है।
प्रमुख शासन सचिव के आदेश भी रहे बेअसर
इस प्रोजेक्ट के बारे में जुलाई २०१७ में खान एवं पेट्रोलियम विभाग के तत्कालीन प्रमुख शासन सचिव जिला कलक्टर, खनिज विभाग के अधिकारियों की बैठक ली। बैठक में जमीन के विवाद को समाप्त कर प्रोजेक्ट की गति देने के आदेश दिए। इसके बाद भी राजस्व तथा वन अधिकारियों की संयुक्त बैठक करौली में नहीं हुई और न दोनों विभाग के अधिकारी जमीन का मालिकाना हक तय करके खदानों का रास्ता बना सके।
बदल जाएगी जिले की सूरत
लोह के इस भंडार का खनन शुरू होने पर जिले का देश भर में व्यापारिक दृष्टि से नाम हो जाएगा। हजारों लोगों को रोजगार मिलने, परिवहन के साधनों में इजाफा होने के साथ पूरे जिले की दिशा-दशा इस प्रोजेक्ट के जरिए से बदल सकती है।
अधिकारियों की टीम कर रही काम
इस महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट पर अधिकारियों की टीम ने अब तेज गति से काम करना शुरू कर दिया है। वन, राजस्व तथा खनिज विभाग से रिकॉर्ड संकलित किया जा रहा है।
नन्नूमल पहाडिय़ा जिला कलक्टर करौली
रास्ते की जमीन का निर्धारण होना है
हिण्डौन इलाके के कुछ गांवों में पहाडिय़ों में लोह का भंडार मिला है जो उच्च क्वालिटी का है। लेकिन पहाडिय़ों पर जाने के रास्ते को लेकर मालिकाना हक राजस्व तथा वन विभाग तय नहीं कर पा रहे हैं। इस कारण काम बंद पड़ा है। सरकार की नई नीति के अनुसार यदि रास्ते की समस्या का समाधान होता है तो केन्द्र सरकार के मार्फत खदानों की नीलामी की जाएगी।
एपी सिंह वरिष्ठ भू-वैज्ञानिक करौली