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करौली के राजकीय अस्पताल में डेंगू की जांच के नाम पर मरीजों से लूट, चिकित्सक भेजते हैं निजी क्लीनिकों पर

locationकरौलीPublished: Oct 23, 2018 08:44:13 pm

Submitted by:

vinod sharma

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Magazine sting operation

करौली के राजकीय अस्पताल में डेंगू की जांच के नाम पर मरीजों से लूट, चिकित्सक भेजते हैं निजी क्लीनिकों पर


करौली. यहां के राजकीय सामान्य जिला अस्पताल में डेंगू बुखार की जांच के नाम पर मरीजों के साथ लूट हो रही है। आरोप है कि चिकित्सक अस्पताल के वार्डों में भर्ती मरीजों को सरकारी प्रयोगशाला की बजाय निजी क्लीनिकों पर जांच के लिए भेजते हैं। इससे मरीजों को बार-बार जांच कराने में काफी राशि खर्च करनी पड़ रही है।
अस्पताल प्रबंधन इस मामले में अनदेखी कर रहा है। इस स्थिति के कारण मुख्यमंत्री नि:शुल्क जांच योजना सिर्फ मजाक बनकर रह गई है। राजस्थान पत्रिका ने मंगलवार को राजकीय अस्पताल में जांच के नाम पर हो रही गड़बड़ी को उजागर करने के लिए मेडिकल वार्ड का स्टिंग ऑपरेशन किया। इस दौरान चिकित्सालय में भरती ७० फीसदी मरीजों के पास निजी क्लीनिकों की जांच रिपोर्ट पाई गई। इसके बाद अस्पताल प्रबंधन ने विस्तृत जांच के आदेश दिए हैं।
डॉक्टर साहब बोलते बाहर कराओ
राजकीय अस्पताल के मेडिकल वार्ड (पुरुष) में तीन दिन से भर्ती सुभाष पुत्र कैलाश माली निवासी धनीरामका पुरा ने बताया कि चिकित्सकों ने डेंगू बुखार बताया। रक्त के नमूने के जांच पहले दिन सरकारी अस्पताल में कराई। बाद में डॉक्टर साहब ने कहा कि बाहर जांच कराओ। इस पर रोजाना निजी क्लीनिक पर जांच करानी पड़ रही है। एक जांच पर लगभग 12०० से १५०० रुपए खर्च हो रहे हैं। इसी के पलंग के समीप मण्डरायल के दीपक पुत्र माधव मीना के पास भी निजी क्लीनिक की डेंगू बुखार की जांच रिपोर्ट थी, मरीज के पिता माधव मीना ने बताया कि अस्पताल की बजाय निजी क्लीनिकों पर जांच के लिए चिकित्सक भेजते है। निजी क्लीनिक पर जांच नहीं कराते हैं तो मरीज से बरताव रूखा होता है। पैटोली के रिंकी पुत्र जगराम सहित दर्जनों मरीजों के साथ निजी क्लीनिकों की जांच कि जांच रिपोर्ट थी।
दवाई भी निजी दुकानों से
इसी प्रकार सुरेश पुत्र लालपत निवासी अरोरा ने डेंगू की जांच निजी स्तर से कराई। उसके पास दवाई भी निजी मेडिकल दुकान की थीं। मरीज के परिजन ने बताया कि अधिकतर दवाई मेडिकल दुकानों से लानी पड़ रही है। गेरई गांव के रामराज की जांच क्लीनिक पर कराई तथा दवाई भी निजी दुकानों की थी। इस दौरान वार्ड में दर्जनों की संख्या में मौजूद मरीजों के परिजनों ने अस्पताल प्रबंधन पर लापरवाही के आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि मरीजों की वार्ड में सुनवाई नहीं होती है। सरकारी प्रयोगशाला में जांच कराने वाले मरीजों को चिकित्सक ठीक प्रकार से देखते नहीं है। जबकि निजी क्लीनिकों पर जांच कराने वालों के साथ चिकित्सकों का व्यवहार ठीक रहता है।
अस्पताल के उपनियंत्रक भुवनेश बंसल से सवाल-जवाब
सवाल-डेंगू की जांच क्लीनिकों पर हो रही है
जवाब-डेंगू की जांच सिर्फ सरकारी अस्पताल में संभव है। क्योंकि निजी क्लीनिकों के पास एलाईजा की जांच की व्यवस्था नहीं है। सरकार डेंगू के मामले में निजी क्लीनिकों की जांच को मानती भी नहीं है। जांच के नाम पर हो रहे फर्जीवाड़े की जांच की जाएगी।
सवाल-मरीज दवाई दुकानों से ला रहे हैं
जवाब-अस्पताल में पर्याप्त दवाई उपलब्ध हैं। कुछ मरीज मेडिकल दुकानों से दवाई लेकर आते हैं तो चिकित्सक कुछ नहीं कर सकते हैं। चिकित्सक दुकानों से दवाई लाने का दबाव डाल रहे है तो इस मामले की जांच कराई जाएगी।
सवाल-अधिकतर जांच क्लीनिकों पर क्यों हो रही ?
जवाब-अस्पताल की प्रयोगशाला में एक बजे तक जांच की जाती है, आपातकालीन समय में वार्ड प्रभारी क्लीनिकों पर भेज सकते हैं। मरीजों को जागरूक होना पड़ेगा, तब ही इस पर अंकुश लगेगा।
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