
Accidents happening in black spots
कटनी. शहर के उपनगरीय क्षेत्रों में स्थित कई चौराहे और बायपास अब जानलेवा ब्लैक स्पॉट में तब्दील हो चुके हैं। बिलहरी मोड़, चाका बायपास, सुर्खी मोड़ और जुहला बाइपास जैसे क्षेत्र रोजाना हादसों के गवाह बन रहे हैं, लेकिन नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया, यातायात पुलिस और जिला प्रशासन इस ओर कोई ठोस कदम नहीं उठा रहे। विशेष रूप से जुहला बायपास पर चौराहा हादसों का गढ़ बन गया है। स्थानीय लोगों की मानें तो यहां हर दिन 2 से 4 छोटे-बड़े वाहन दुर्घटनाग्रस्त हो रहे हैं। इन हादसों में कई लोगों के हाथ-पैर टूट रहे हैं, गाडयि़ों को भारी नुकसान हो रहा है और कभी-कभी लोगों की जान भी चली जाती है।
स्थानीय निवासियों और वाहन चालकों का कहना है कि चौराहे की डिजाइन इतनी खराब है कि यह वाहन चालकों के लिए भ्रमित करने वाली साबित हो रही है। इस कारण वाहनों की टक्कर आम हो गई है। चौराहा भारत सरकार के राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण द्वारा स्वीकृत नक्शे के अनुसार बनवाया गया है।
जानकारों के अनुसार, यह स्थान तकनीकी रूप से एक ब्लैक स्पॉट है जिसे सुधार की सख्त आवश्यकता है। यदि सडक़ इंजीनियरिंग में सुधार और यातायात प्रबंधन के उपाय किए जाएं, तो दुर्घटनाओं में कमी लाई जा सकती है। लेकिन फिलहाल, स्थिति जस की तस बनी हुई है। स्थानीय लोगों ने जिला प्रशासन से मांग की है कि इन ब्लैक स्पॉट्स की पुनर्रचना की जाए, सिग्नल, संकेतक और स्पीड कंट्रोल के उपाय लगाए जाएं ताकि निर्दोष लोगों की जान न जाए।
चौराहों की डिजाइन का पुनर्मूल्यांकन कर तकनीकी रूप से सुरक्षित ढंग से दोबारा निर्माण किया जाए, ट्रैफिक फ्लो को ध्यान में रखते हुए अंडरपास, फ्लाईओवर में जेब्राक्रॉसिंग सिस्टम को लागू किया जाए। हर ब्लैक स्पॉट पर स्पष्ट और चमकदार रिफ्लेक्टिव साइनबोर्ड लगाए जाएं, रोड मार्किंग में लाइन, जेब्रा क्रॉसिंग, स्पीड ब्रेकर चेतावनी बोर्ड मानक के अनुसार लगाए जाएं। स्पीड लिमिट तय कर उसे लागू करवाना, विशेषकर स्कूल, चौराहों और मोड़ों के पास, स्पीड कैमरा से निगरानी रखी जाए, भारी वाहनों के लिए समयबद्ध मार्ग तय हों, रात के समय हादसों की संख्या कम करने के लिए पर्याप्त स्ट्रीट लाइट्स लगाई जाएं। अंधेरे वाले मोड़ों पर हाई मास्ट लाइट लगाई जाए।
स्थानीय लोगों और वाहन चालकों को ट्रैफिक नियमों की जानकारी दी जाए, स्कूल कॉलेज और ट्रांसपोर्ट अड्डों पर सेफ्टी वर्कशॉप कराई जाएं, हर ब्लैक स्पॉट पर इमरजेंसी हेल्पलाइन नंबर, नजदीकी अस्पतालों और पुलिस चौकियों को सतर्क रखा जाए। जिला प्रशासन, यातायात पुलिस और एनएचएआई द्वारा हर छह महीने में ब्लैक स्पॉट्स का निरीक्षण और सुधार कार्य किया जाएं।
ब्लैक स्पॉट्स पर दुर्घटनाओं की संख्या कम करने में आम जनता की भूमिका भी बेहद महत्वपूर्ण होती है। ब्लैक स्पॉट क्षेत्र में वाहन की गति बहुत कम रखें, विशेषकर मोड़ और चौराहों पर, सडक़ पर लगे सभी ट्रैफिक संकेतों और साइनबोड्र्स का ध्यानपूर्वक पालन करें। ब्लैक स्पॉट क्षेत्रों में ओवरटेक या गलत साइड से वाहन चलाना जानलेवा साबित हो सकता है। रात्रि में दृश्यता बनाए रखने के लिए वाहन की हेडलाइट, इंडिकेटर और ब्रेक लाइट पूरी तरह कार्यशील रखें। ड्राइविंग के दौरान मोबाइल फोन या अन्य किसी भी प्रकार का ध्यान भटकाने वाला साधन प्रयोग न करें। दुर्घटना की स्थिति में जान बचाने के लिए कार में सीट बेल्ट और दोपहिया पर हेलमेट अनिवार्य रूप से पहनें। ब्लैक स्पॉट पर मोड़ते समय हॉर्न बजाएं और स्पीड कम करें, ताकि सामने से आने वाला वाहन सतर्क हो जाए। अगर किसी क्षेत्र में बार-बार दुर्घटनाएं हो रही हैं, तो उसकी सूचना स्थानीय प्रशासन या ट्रैफिक पुलिस को दें।
Updated on:
19 May 2025 08:08 pm
Published on:
19 May 2025 08:07 pm
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