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खाट पर सिस्टम! एम्बुलेंस नहीं आई तो बुजुर्ग को खाट पर लेकर पहुंचे अस्पताल

MP News : गांव में सड़क नहीं होने से एंबुलेंस नहीं आई। घायल को चारपाई पर लादकर 1.5 किमी चले ग्रामीण। प्राइवेट वाहन से बुजुर्ग को पहुंचाया गया उमरियापान अस्पताल।

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एम्बुलेंस नहीं आई तो बुजुर्ग को खाट पर लेकर पहुंचे अस्पताल (Photo Source- Patrika Input)

MP News :मध्य प्रदेश के कटनी जिले के अंतर्गत आने वाले ग्रामीण क्षेत्र में सड़क के अभाव ने एक बार फिर सरकारी दावों और व्यवस्थाओं की पोल खोल दी है। झकाझोर में शनिवार को जंगली सुअर ने खेत पहुंचे एक वृद्ध पर हमला कर दिया। घायल वृद्ध को स्वास्थ्य केंद्र ले जाने के लिए परिजन और ग्रामीणों को एंबुलेंस की जगह चारपाई का सहारा लेना पड़ा। कीचड़ भरे रास्ते और ऊबड़-खाबड़ पगडंडियों से होकर चारपाई पर लिटाए मरीज को डेढ़ किलोमीटर दूर मुख्य सड़क तक ले जाया गया, जहां से निजी वाहन की मदद से घायल को अस्पताल पहुंचाया जा सका।

ढीमरखेड़ा तहसील अंतर्गत खंदवारा ग्राम पंचायत के सारंगपुर के झकाझोर निवासी हुकुमचंद पटेल (65) शनिवार को फसल देखने खेत गए थे। इसी दौरान एक वन्य प्राणी (जंगली सुअर) ने बुजुर्ग पर हमला कर दिया। वन्यप्राणी ने जबड़े से घुटने के ऊपर पकड़ा और पूरा मांस नोच डाला। वृद्ध चीख पुकार करते हुए खेत से जान बचाकर गांव की तरफ भागा। ग्रामीणों ने वृद्ध को चिल्लाता सुन बचाव के लिए दौड़े।

ग्रामीणों ने देखा कि, वृद्ध खेत की मेढ़ पर घायल पड़ा हैं। घुटने के ऊपर से खून बह रहा है। ग्रामीणों ने एंबुलेंस को फोन लगाया, लेकिन वो तमाम प्रयासों के बावजूद मार्ग न होने के चलते गांव नहीं पहुंची। वृद्ध के परिजन और ग्रामीणों ने मजबूरन बुजुर्ग को चारपाई पर सड़क तक ले जाने का फैसला किया। झकाझोर से सारंगपुर तक डेढ़ किलोमीटर कीचड़ से सने उबड़-खाबड़ रास्ते से चारपाई से लाए। लेकिन, सड़क पर भी एंबुलेंस नहीं पहुंची तो सारंगपुर से किराए से निजी वाहन लिया, तब कहीं जाकर घायल को उमरियापान अस्पताल पहुंचाया जा सका।

ये है गंभीर समस्या

ग्रामीणों का कहना है कि, झकाझोर से सारंगपुर तक सड़क खराब होने से बारिश के दिनों में आवागमन मुश्किल भरा हो जाता है। गांव तक पहुंचने का कोई पक्का रास्ता नहीं है। बारिश के दिनों में कीचड़ और दलदल से होकर गुजरना पड़ता है। कठिन डगर में ग्रामीण अपना सफर तय करते हैं। सालों से सड़क की मांग की जा रही है। इस दौरान सैकड़ों आश्वासन तो मिले, लेकिन अब तक कोई पहल नहीं हुई। बरसात में हालात और भी बदतर हो जाते हैं। स्कूली बच्चों, बुजुर्गों और गर्भवती महिलाओं को सबसे ज्यादा परेशानी उठानी पड़ती है। गांव में अगर किसी की तबीयत बिगड़ती है तो अस्पताल पहुंचाना किसी चुनौती से कम नहीं होता। कई बार समय पर इलाज न मिलने से लोगों की जान तक खतरे में पड़ जाती है।