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इस जिले के सरकारी कार्यालयों में दफन हो गई मोदी सरकार की यह सबसे बड़ी योजना, स्थानीय अधिकारियों की सामने आई बड़ी बेपरवाही

- मोदी सरकार द्वारा 5 जुलाई को पेश किए गए आम बजट में डिजिटल इंडिया के लिए अलग से प्रावधान तय किए गए हैं। डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा देने के लिए विशेष प्रयास की बात सरकार ने दोहराई है, लेकिन कटनी जिले में आलम यह है कि लेनेदेन वाले प्रमुख विभागों में कैशलेश का नामोनिशान ही गायब है। - लोग चाहकर भी इ-ट्रांजेक्शन नहीं कर पा रहे। इसकी मुख्य वजह है स्थानीय अधिकारियों और कर्मचारियों की बेपरवाही। शहर के रेलवे काउंटर, विद्युत विभाग के काउंटर, नगर निगम के टैक्स काउंटर, पोस्ट ऑफिस सहित अन्य विभागों से डिजिटली लेनदेन हो ही नहीं रहा। - डिजिटल पेमेंट की आस लेकर आने वाले लोगों को रोकड़ भुगतान करने के लिए बाध्य किया जा रहा है।

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कटनी

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Balmeek Pandey

Jul 13, 2019

Digital Transaction not running in Katni

Digital Transaction not running in Katni

कटनी. मोदी सरकार द्वारा 5 जुलाई को पेश किए गए आम बजट में डिजिटल इंडिया के लिए अलग से प्रावधान तय किए गए हैं। डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा देने के लिए विशेष प्रयास की बात सरकार ने दोहराई है, लेकिन कटनी जिले में आलम यह है कि लेनेदेन वाले प्रमुख विभागों में कैशलेश का नामोनिशान ही गायब है। लोग चाहकर भी इ-ट्रांजेक्शन नहीं कर पा रहे। इसकी मुख्य वजह है स्थानीय अधिकारियों और कर्मचारियों की बेपरवाही। शहर के रेलवे काउंटर, विद्युत विभाग के काउंटर, नगर निगम के टैक्स काउंटर, पोस्ट ऑफिस सहित अन्य विभागों से डिजिटली लेनदेन हो ही नहीं रहा। केंद्र सरकार की ओर से डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देने के लिए वर्तमान में कई तरह की योजनाएं चल रही है, लेकिन खुद सरकारी कार्यालय ही इस पर अमल नहीं कर पा रहे हैं। यही वजह है कि कई सरकारी विभागों में डिजिटल पेमेंट की सुविधा उपलब्ध नहीं है। डिजिटल पेमेंट की आस लेकर आने वाले लोगों को रोकड़ भुगतान करने के लिए बाध्य किया जा रहा है। ऐसे में कैसे डिजिटल क्रांति आएगी इस पर विचार करने की जरुरत है। सरकारी दावों की हकीकत बयां कर रही है हमारी यह रिपोर्ट...।

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कभी नहीं कटती कार्ड से टिकट
पत्रिका टीम शुक्रवार की दोपहर 12 बजकर 42 मिनट में मुख्य रेलवे स्टेशन पहुंची। यहां पर तीन काउंटर और दो एटीवीएम से लोग टिकट ले रहे थे। पत्रिका टीम ने सीबीपीएस और टिकट काट रहे कर्मचारी से पूछा की कार्ड से स्वाइप कर टिकट मिल जाएगी तो उन्होंने कहा कि यह सिस्टम यहां पर कई दिनों से बंद है। संभव नहीं है। लोगों को डिजिटली टिकट नहीं दी जाती। कुछ माह पहले दो-चार लोग जरुर स्वाइप से टिकट लेते थे।

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एक साल से बंद है कैशलेश सिस्टम
दोपहर एक बजकर 13 मिनट में टीम गणेश चौक स्थित विद्युत विभाग के कार्यालय पहुंची। यहां पर बिल जमा करने वाले, कनेक्शन लेने वाले सहित अन्य उपभोक्ताओं के लिए लिखा था कि कैशलेश सुविधा, स्वाइप मशीन सुविधा उपलब्ध है। जब कर्मचारी से क्रेडिट कार्ट से बिल जमा करने कहा गया तो कहा कि आप ने सूचना पढ़कर कैशलेश की बात समझ ली है। यहां पर दो-चार दिन सिस्टम चला है अब तो एक साल से कुछ नहीं हो रहा।

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कोई नहीं पड़ता पचड़े में
पत्रिका टीम दो बजक 54 मिनट में नगर निगम कार्यालय पहुंची। यहां पर लोग जलकर संपत्तिकर सहित अन्य कर जमा कर रहे थे। कर्मचारियों से स्वाइप मशीन के माध्यम से जलकर जमा करने को कहा गया तो जमा करने वाले कर्मचारियों ने साफ मना कर दिया कि इस पचड़े में कोई नहीं पड़ता। कैशलेश सिस्टम नगर निगम नहीं चलता। वहीं अनिल राज तिवारी ने बताया कि नल कनेक्शन के लिए उन्हें डिजिटली ट्रांजेक्शन करना था, लेकिन सुविधा का लाभ नहीं मिला।

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लोगों ने रखी अपनी बात
डिजिटल भुगतान नहीं होने से परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। एक तरफ केंद्र सरकार इस तरह के भुगतान को बढ़ावा दे रही है, वहीं खुद सरकारी कार्यालयों में भी इस तरह की सुविधा नहीं होना चिराग तले अंधेरा ही है।
दिलराज सिंह, शहरवासी।

मैं यहां पर पार्सल जमा करवाने के लिए आया था। इस दौरान डाक कर्मचारियों से डिजिटल भुगतान के बारे में पूछने पर पता चला कि पार्सल जमा करवाने के लिए नगद राशि ही देनी होगी, अन्यथा पार्सल जमा नहीं किया जाएगा। ऐसे में निराशा ही हाथ लगी।
रॉबिन सिंह, शहरवासी।

एक तरफ देश बदलाव के दौर से गुजर रहा है, वहीं सरकारी विभागों में ही इस तरह की सुविधा नहीं होना अच्छा नहीं है। जिम्मेदारों को चाहिए कि वो डिजिटल भुगतान की सुविधा जल्द से जल्द शुरू करे।
अंकिता तिवारी, पूर्व प्रदेश छात्रा प्रमुख।

इनका कहना है
सभी सरकारी कार्यालयों में डिजिटल पेमेंट हो इसके लिए विशेष प्रयास किए जाएंगे। अधिकारी-कर्मचारियों को विशेष निर्देश दिए जाएंगे। निजी क्षेत्र में इसे बढ़ावा देने के लिए जागरुकता अभियान चलाएंगे। लोग डिजिटली ट्रांजेक्शन कर इसके इसके लिए पहल की जाएगी।
शशिभूषण सिंह,कलेक्टर।