
HIV-AIDS infection in Katni
जिले में अभी भी एचआईवी-एड्स को लेकर जागरूकता की भारी कमी है। असुरक्षित यौन संबंधों और संक्रमित रक्त के उपयोग से लोग अनजाने में इस बीमारी को बढ़ावा दे रहे हैं। इसे रोकने के लिए न केवल स्वास्थ्य विभाग बल्कि समाज के हर वर्ग को मिलकर प्रयास करना होगा। जिले में सामने आने वाले ये आंकड़े चिंता का विषय हैं…।
कटनी. जिले में खतरनाक बीमारी एचआईवी-एड्स का संक्रमण साल दर साल बढ़ रहा है। पिछले सात वर्षों में 199 मामले सामने आ चुके हैं। यह आंकड़े न केवल चिंताजनक हैं, बल्कि समाज में जागरूकता की भारी कमी को भी उजागर करते हैं। संक्रमित यौन संबंध, असुरक्षित व्यवहार और लापरवाही इस घातक बीमारी के प्रमुख कारण बन रहे हैं। हैरान करने वाली बात यह है कि इनमें से 65 महिलाएं संक्रमित हैं, जिनमें से अधिकांश अपने पुरुष साथियों की लापरवाही और गलतियों का खामियाजा भुगत रही हैं। इसके अलावा, जिले में 5 बच्चे भी इस बीमारी के शिकार हो चुके हैं। गर्भवती महिलाओं में भी यह संक्रमण चिंता का विषय बन गया है। पिछले सात वर्षों में 29 गर्भवती महिलाओं में एचआईवी संक्रमण पाया गया।
सुरक्षित प्रसव में मिली सफलता
स्वास्थ्य विभाग ने 29 में से 26 महिलाओं के सुरक्षित प्रसव कराकर एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है। संक्रमित महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान विशेष दवाइयां दी गईं, जिससे कोख में ही एचआईवी वायरस को नियंत्रित किया जा सका। नवजात बच्चों का 72 घंटे के भीतर उपचार कर उन्हें इस बीमारी से सुरक्षित किया गया। हालांकि अभी भी जिले में तीन गर्भवती महिलाएं इस संक्रमण का शिकार हैं।
मौत का आंकड़ा बढ़ा रहा चिंता
वर्ष 2018-19 से अब तक एचआईवी-एड्स से 16 लोगों की मौत हो चुकी है। यह आंकड़ा इस बीमारी की भयावहता को दर्शाता है। जागरूकता के अभाव और असावधानी के कारण लोग लगातार इस संक्रमण के शिकार हो रहे हैं।
एचआइवी एड्स की रिपोर्ट
वर्ष जांच पॉजिटिव केस
2018-19 9430 26
2019-20 10105 25
2020-21 8424 22
2021-22 9697 29
2022-23 10159 31
2023-24 8022 28
फैक्ट फाइल
2022 से बढ़ रहे केस
जिले में एचआइवी एड्स का संक्रमण कम होने की बजाय बढ़ रहा है। 2022 से केस बढ़े हैं। 2022-23 में 31 तो 2023-24 में 28 के बाद इस साल सीधे आंकड़ा 38 पहुंच गया है।
कोख में किल कर रहे वीषाणु
परामर्शदाता प्रियंका गौतम के अनुसार जिले में तीन महिलाएं एचआइवी संक्रमित हैं। गर्भवस्था में जांच के दौरान बीमारी सामने आई है। 29 में 26 बच्चे निगेटिव आए हैं। अब तीन बच्चों की जिंदगी बचाने जद्दोजहद जारी है। बच्चे के पैदा होते ही 72 घंटे के अंदर नेवरापिन सस्पेंशन देकर संक्रमण से बचाया जा रहा है। 42 दिन के बाद डायरेक्ट ब्लड स्पॉट टेस्ट कराकर रिपोर्ट के लिए मुंबई भेजा जाता है। रिपोर्ट निगेटिव आने पर अभिभावकों से जानकारी साझा की जाती है।
खास-खास:
यह है एचआइवी एड्स
जिला अस्पताल के परामर्शदाता हेमंत श्रीवास्वत व राघवेंद्र शर्मा बताते हैं कि एचआइवी वायरस द्वारा रोग प्रतिरोधक क्षमता नष्ट होने के पश्चात प्रकट होने वाला लक्षण एड्स कहलाता है। यह एक वीषाणु हैं, जो रोग प्रतिरोधक क्षमता को कम कर देता है। जिससे बीमारियों से बचाव नहीं हो पाता। जिनमें ये विषाणु होते हैं व एचआइवी पॉजिटिव कहलाता है।
एचआईवी संक्रमण के कारण
एचआइवी के लक्षण
एचआइवी के लक्षण में बुखार, गले में खराश, मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द, थकान, त्वचा पर लाल चकत्ते हैं। दीर्घकालिक लक्षण में त्वचा, फेफड़े या गले के संक्रमण, वजन में कमी, लंबे समय तक बुखार और रात को पसीना आना, सूजन, दस्त और थकावट हैं। एड्स एचआईवी संक्रमण का अंतिम चरण होता है, जिसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली इतनी कमजोर हो जाती है कि रोगी मौत के कगार पर पहुंच जाता है। तेज बुखार लंबे समय तक, बार-बार निमोनिया या टीबी, त्वचा पर घाव या संक्रमण आदि है।
भेदभाव पर दंड का भी है प्रावधान
एचआईवी, एड्स संक्रमित लोगों के साथ छुआछूत रखने या भेदभाव करना कानूनन अपराध है। यह भेदभाव रोकने और पीडि़तों के अधिकारों की रक्षा करने के लिए एचआईवी और एड्स (रोकथाम और नियंत्रण) अधिनियम, 2017 लागू किया गया है। स्वास्थ्य सेवाओं से वंचित करना, नौकरी, स्कूल, या किराए पर घर देने से इनकार करना, सामाजिक बहिष्कार या सार्वजनिक स्थानों से बाहर करना, सििंक्रमत व्यक्ति की गोपनीयता का उल्लंघन करना, जबरन एचआईवी टेस्ट करवाने का दबाव डालने पर सजा का प्रावधान है। दोषी पाए जाने पर जुर्माना या 2 साल तक की सजा हो सकती है। जानकारी सार्वजनिक करने पर 1-2 साल की सजा और जुर्माना, व्यक्ति को गोपनीयता और सम्मान का अधिकार है।
वर्जन
जिले में सात साल में 199 केस सामने आए हैं। 16 लोगों की मौत हो गई है। सभी का इलाज जारी है। तीन गर्भवती महिलाओं की भी देखरेख की जा रही है। एचआईवी, एड्स केवल शारीरिक संपर्क, हाथ मिलाने, खाना साझा करने, या एक ही जगह पर रहने से नहीं फैलता। इसलिए संक्रमित व्यक्ति के साथ मानवीय व्यवहार करना और उनका समर्थन करना अत्यंत आवश्यक है। भेदभाव को समाप्त करना व सुरक्षा उपाय अपनाना हमारी सामाजिक जिम्मेदारी है।
डॉ. राजेश केवट, जिला नोडल अधिकारी एड्स।
Published on:
01 Dec 2024 08:13 am
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