
Illegal trade of mineral water
शहर में पैक्ड वॉटर का कारोबार तेजी से फैलता जा रहा है। शहर के साथ-साथ ग्रामीण इलाकों में भी दर्जनों पानी की फैक्ट्रियां संचालित हो रही हैं, जहां से मिनरल वाटर और ठंडा पानी के नाम पर बोतलें और जार सप्लाई किए जा रहे हैं। लोगों को यह पानी भले ही राहत दे रहा हो, लेकिन इसके पीछे चल रही मनमानी व्यवस्था गंभीर चिंता का विषय है…।
कटनी. शहर सहित जिले भर में शुद्ध पानी के नाम पर सेहत के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। गर्मी का मौसम शुरू होते ही नलों से पर्याप्त व शुद्ध जल की आपूर्ति नहीं होने से शहर में आरओ के पानी की डिमांड बढ़ गई है। ऐसे में कमाई के फेर में गली-गली आरओ प्लांट संचालित होने लगे हैं। आरओ प्लांट के संचालन के लिए खाद्य सुरक्षा विभाग से पंजीयन होना आवश्यक है। इसके लिए ऑनलाइन प्रक्रिया है लेकिन शहर सहित जिले भर में केवल एक दर्जन आरओ प्लांट पंजीकृत हैं। जबकि संचालित दर्जनभर से (water) अधिक हो रहे हैं।
इस कारोबार से जुड़े लोग शुद्धीकृत जल के नाम पर बिना जांच के पानी की होम डिलेवरी कर रहे हैं। घरों से लेकर सरकारी कार्यालयों तक में सप्लाई होने वाले इस पानी को लोग सेहतमंद समझकर पी रहे हैं लेकिन उन्हें शायद पता नहीं कि आरओ वाटर के नाम पर सिर्फ नल का पानी ऊंचे दामों पर बेचा जा रहा है। जिसकी शुद्धता की भी कोई गारंटी नहीं है। इससे सेहत के साथ भी खिलवाड़ हो रहा है।
पीने के पानी में सोडियम, कैल्शियम, पोटेशियम, मैग्नीशियम की मात्रा का होना जरूरी है। इसकी कमी से लोग गंभीर बीमारियों के शिकार हो सकते हैं। अशुद्ध पानी से शरीर में कई तरह की बीमारियां हो सकती हैं। खाद्य सुरक्षा एवं प्रशासन विभाग, नगर निगम, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग, राजस्व सहित प्रशासिनक अधिकारियों को जांच करनी चाहिए, लेकिन ध्यान नहीं दे रहे।
सबसे बड़ी लापरवाही यह है कि खाद्य सुरक्षा प्रशासन और प्रशासन द्वारा इन फैक्ट्रियों की नियमित जांच नहीं की जा रही है। न तो पानी की गुणवत्ता की टेस्टिंग हो रही है और ना ही स्वच्छता मानकों का पालन देखा जा रहा है। इससे साफ है कि विभागीय अधिकारियों की मिलीभगत या लापरवाही से यह अवैध और असुरक्षित व्यापार फल-फूल रहा है। हालांकि कुछ दिन पहले प्रशासनिक अधिकारियों ने एक प्लांट में जांच कराई थी वह भी सिर्फ दबाव बनाने के लिए की गई। शेष प्लांटों की जांच में बेपरवाही बरती जा रही है।
हकीकत यह है कि शहर में चल रही अधिकांश यूनिट्स बिना लाइसेंस के ही काम कर रही हैं। बोतलों, कंटेनरों और जारों में न तो निर्माण तिथि होती है, न ही प्रयोग की समयसीमा। कई स्थानों पर घरों के पीछे, संकरी गलियों और गंदगी के बीच फैक्ट्रियां चल रही हैं, जहां पानी भरने की प्रक्रिया देखकर ही उसकी गुणवत्ता पर सवाल उठते हैं।
जिले में कई अवैध वाटर ट्रीटमेण्ट प्लाण्ट चल रहे हैं। इनके पास कोई वैध लाइसेंस नहीं है। यहां तक कि वाटर टेस्टिंग के लिए न तो लैब है और न ही केमिस्ट। पानी का कोई रिकॉर्ड भी मेनटेन नहीं किया जाता। इन प्लाण्टों पर ब्राण्डेड कम्पनी के रैपर लगी हुई मिनरल वाटर की 20 लीटर के बोतलों में पानी भरा जाता है। दुकानों और घरों में सप्लाई के अलावा पॉलीथिन के पैकेटों में भरकर इनकी सप्लाई की जाती है। न ही किसी के पास बैच नम्बर है और न ही लाइसेंस।
गर्मी के दिनों में लोग प्यास बुझाने के लिए ठंडा पानी या मिनरल वॉटर का सहारा लेते हैं, लेकिन यह पानी उनके स्वास्थ्य पर भारी पड़ सकता है। बिना जांच के पानी में हानिकारक बैक्टीरिया, रासायनिक तत्व और गंदगी मिलने की आशंका बनी रहती है। इससे उल्टी-दस्त, पेट की बीमारी, फूड प्वाइजनिंग और अन्य संक्रमण फैलने का खतरा होता है।
Published on:
21 Apr 2025 11:29 am
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