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कटनी. दानापुर सुपरफास्ट ट्रेन में वेंडर द्वारा यात्रियों पर चाकू से हमला किए जाने के बाद यात्रियों की सुरक्षा को लेकर सवाल उठ रहे है। दरअसल, इसका कारण कटनी से होकर गुजरने वाले 50 से अधिक ट्रेनों में अवैध रूप से खाद्य सामग्री का विक्रय कर रहे अवैध वेंडर हैं। कटनी जंक्शन से जबलपुर, दमोह व सतना के बीच सैकड़ों अवैध वेंडर हैं और इन अवैध वेंडरों के अवैध ठेकेदार भी हैं। ये ठेकेदार ङ्क्षसडीकेड बनाकर सेङ्क्षटग से इस अवैध कारोबार को संचालित कर रहे है। कटनी से सतना रेलखंड में विष्णु, कटनी से जबलपुर के बीच जबलपुरिया व कटनी से दमोह के बीच शिवम नाम अवैध ठेकेदार ट्रेनों में एक सैकड़ा से अधिक वेंडरों को दौड़ा रहे है।
पत्रिका टीम ने ट्रेनों में सक्रिय अवैध वेंडरों से चर्चा की तो सामने आया कि कटनी रेलवे स्टेशन के समीप एक डॉक्टर की बिङ्क्षल्डग में किराये के कमरे में अवैध वेंडरों का अड्डा है। नाम न छापने की शर्त पर बताया गया कि सतना से कटनी के बीच विष्णु नामक व्यक्ति अवैध वेंडर चलाता है। इसके माध्यम से करीब 40 वेंडर्स अलग-अलग ट्रेनों में सुबह से शाम तक खाद्य सामग्री का विक्रय करते है। कटनी से जबलपुर के बीच यह अवैध काम जबलपुरिया नामक व्यक्ति कर रहे है। इसके भी 50 से अधिक अवैध वेंडर चला रहे है। इसी तरह की स्थिति कटनी-दमोह के बीच की है। यहां शिवम नाम अवैध ठेकेदार अवैध वेंडर चलवा रहा है। ये वेंडर्स चना, मूंगफली, गुटखा-सिगरेट, टॉफी, पेठा, नमकीन सहित अन्य सामग्री का विक्रय करते हैं।
अवैध वेंडरों से कमाई का यह है गणित
जानकारी के अनुसार अवैध ठेकेदार बेरोजगार, नशेड़ी युवा व जरूरतमंद महिलाओं से यह कारोबार करवा रहे है। प्रति अवैध वेंडर ये 400 से 800 रुपए तक वसूलते है। दिनभर अवैध वेंडर ट्रेन में चाय, समोसा, मूंगफली, सिगरेट, पान-मसाला बेचते है और शाम को कुल कमाई में से ठेकेदार को उसका कमीशन देते है।
कार्रवाई से बचाने की जिम्मेदारी
अवैध ठेकेदारों के माध्यम से ट्रेनों में चल रहे अवैध वेंडर भी बेखौफ होकर ये काम करते है। उन्हें ठेकेदार आरपीएफ, जीआरपी व रेलवे की कार्रवाई से बचाने की जिम्मेदारी लेता है। जुर्माना भरने से लेकर जेल से छुड़वाने तक के काम ये ठेकेदार करवाते है।
चना की बाल्टी का 700 रुपए
अवैध वेंडर ने बताया कि वह पिछले एक माह से ट्रेनों में चना की बाल्टी लेकर चलता है। एक बाल्टी में उसे 1200 से 1500 रुपए तक मिलता है। लागत काटने के बाद 1000 रुपए बचता है, इसमें से 700 रुपए ठेकेदार को दे देता है और खुद 300 से 400 रुपए रख लेता है।
आरपीएफ के पास है कार्रवाई का अधिकार
रेलवे विभाग खाद्य सामग्री बेचने वाले वेंडर का मेडिकल कार्ड और पहचान पत्र बनाता है। इसके अलावा वेंडर का पुलिस वेरीफिकेशन भी कराया जाता है, जिसमें यह पता किया जाता है कि वेंडर का आपराधिक रिकार्ड तो नहीं है। जब ये तीनों प्रक्रिया पूरी हो जाती है तो उसे वैध वेंडर की श्रेणी में माना जाता है। जिनके पास आई कार्ड, मेडिकल कार्ड सहित पुलिस वेरिफिकेशन नहीं होता वे अवैध वेंडर की श्रेणी में आते हैं। जिनके खिलाफ प्रमुख रूप से आरपीएफ को कार्रवाई करने का अधिकार है।
इनका कहना
ट्रेनों में अवैध वेंडर्स को लेकर समय-समय पर अभियान चलाकर कार्रवाई की जाती है। कटनी से जबलपुर, दमोह व सतना के बीच यदि अवैध वेंडर्स संगठित गिरोह की तरह कार्य कर रहे है तो आरपीएफ अधिकारियों से इस संबंध में चर्चा कर कड़ी कार्रवाई करेंगे। जल्द ही इनके ठिकानों पर दबिश देकर अवैध कारोबार पूरी तरह से बंद करवाएंगे।
मधुर वर्मा, सीनियर डीसीएम, जबलपुर
Updated on:
04 Mar 2025 09:21 pm
Published on:
04 Mar 2025 09:20 pm
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