
Agriculture Department's Negligence with Farmers
कटनी. जिले की लगभग 14 लाख की आबादी में 7 लाख 22 हजार 435 लोग ऐसे हैं जो गरीब की श्रेणी में आते हैं। बकायदा इनके तहसील कार्यालय, एसडीएम कार्यालय सहित खाद्य विभाग से गरीबी रेखा और अति गरीबी के नीले, पीले कार्ड जारी हैं। जिले में अति गरीब परिवार के कार्डों की संख्या 10 हजार 623 है। इसमें सदस्य संख्या 38 हजार एक 67 है। 7 सदस्य से ज्यादा अति गरीब परिवार की संख्या 584 और सदस्य संख्या 5209 है। इसके अलावा एक लाख 52 हजार 111 बीपीएल राशन कार्ड धारी है, जिनमें सदस्यों की संख्या 6 लाख 79 हजार 59 है। ये परिवार अभी तक खाद्यान सहित शासन-प्रशासन की हितग्राही मूलक योजनाओं का लाभ लेते थे। लेकिन सरकार के राजपत्र क्रमांक 257 ने मुश्किलें बढ़ा दी हैं। इसके तहत नवीन बीपीएल कार्ड बनना बंद हो गए हैं। कई दिनों से खाद्य विभाग द्वारा कार्ड नहीं जारी किये जा रहे। उपचार सहित अन्य योजनाओं का लाभ लेने के लिए गरीब के पास गरीबी बताने का बीपीएल कार्ड ही आधार होता था, लेकिन उसे अब बंद कर दिया गया है। ऐसे में अब हितग्राही उपचार सहित अन्य योजनाओं का लाभ लेने के लिए विभागीय अधिकारियों के चक्कर काटने लगे हैं।
ये है राजपत्र
जिला खाद्य एवं आपूर्ति अधिकारी ने जिला लोक सेवा प्रबंधक को पत्र जारी किया है। जिसमें उल्लेख किया गया है कि मप्र के लोक सेवाओं के प्रदाय की गारंटी अधिनियम 2010 की धारा (3) के अंतर्गत राज्यशासन द्वारा संदर्भित राज्यपत्र में खाद्य नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग की सेवा क्रमांक 9 में आमूलचूल परिवर्तन किया गया है। जिसमें नवीन एपीएल राशन जारी करना विलोपित किया गया है एवं बीपीएल राशन कार्ड के स्थान राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2013 के अंतर्गत सम्मिलत पात्र परिवारों को पात्रता पर्ची जारी करना प्रतिस्थापित किया गया। उल्लेखनीय है कि पात्रता पर्ची का उपयोग अभी तक सिर्फ खाद्यान लेने के लिए हो रहा है। वहीं भी जिले के जिन 170 दुकानों को ऑनलाइन कर दिया गया वहां पर पात्रता पर्ची की आवश्यकता भी खत्म हो गई है। ऐसे में गरीबों के सामने एक बड़ी समस्या खड़ी हो गई है।
यह होगा लोगों को नुकसान
किसी भी गंभीर बीमारी पर यदि मरीज किसी निजी अस्पताल में उपचार कराना चाहता था तो उसका गरीबी रेखा कार्ड के आधार पर उपचार हो जाता था। मुख्य मंत्री राज्य बीमारी सहायता योजना के तहत 2 लाख तक का इलाज, श्रमिक योजना के तहत 2 लाख से 5 लाख तक का इलाज हो जाता था। शहर के कई अस्पतालों में भी यह सुविधा मुहैया हो जाती थी, लेकिन कार्ड बनने से बंद होने के कारण समस्या होगी। जिला अस्पताल में ओपीडी में 10 रुपए, आइपीडी पर्ची 50 रुपए, प्राइवेट वार्ड का 200 रुपए या फिर आइसीयू में 500 रुपए का शुल्क सामान्य मरीजों से लिया जाता है, लेकिन बीपीएल कार्ड होने पर इसकी छूट मिल जाती थी, लेकिन राशन कार्ड न होने की स्थिति में इन सुविधाओं से भी मरीज महरूम रहेंगे। इसके अलावा अन्य हितग्राही मूलक योजनाओं के लिए भी गरीबों को समस्या का सामना करना पड़ेगा।
इनका कहना है
नवीन राशन कार्ड बनना बंद हो गया है यह बात सही है। इसमें आचार संहिता का भी कारण है। इसके लिए अलग से कोई कार्ड आदि की पहल की जाएगी, ताकि लोग परेशान न हों।
केवीएस चौधरी, कलेक्टर।
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गरीबी रेखा का कार्ड न होने पर एमजीएम अस्पताल से बगैर उपचार के एक मरीज को लौटाये जाने की जानकारी मिली थी। कार्ड के आधार पर ही बीमारी के लिए सहायता के प्रकरण बनते थे। हालांकि आयुष्मान, संबल और श्रमिक कार्ड पंजीयन के माध्यम से लोगों को उपचार मिलेगा, लेकिन जिनका इनमें पंजीयन नहीं होगा उन्हें परेशानी होगी।
डॉ. एसके निगम, सीएमएचओ।
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नवीन बीपीएल राशन कार्ड जारी होने का सिस्टम बंद किया जा चुका है। कार्यालय में प्रतिदिन कई लोग आते हैं, कार्ड न होने के कारण उपचार आदि में समस्या होने का हवाला देते हैं।
पीके श्रीवास्तव, जिला खाद्य एवं आपूर्ति अधिकारी।
Published on:
09 Oct 2018 11:16 am
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