
Investigation into high-profile fraud is being influenced
कटनी. जबलपुर जिले के सिहोरा स्थित इस्पात कम्पनी यूरो प्रतीक के हाई प्रोफाइल मामले के बुरे हाल है। सीआईडी से केस कटनी पुलिस को वापस मिलने के बाद जांच अटकी हुई है। इसका कारण पीडि़त पक्ष का पुलिस को जांच में सहयोग नहीं करना है। दरअसल, इस पूरे प्रकरण में पीडि़त हरनीत सिंह लाम्बा और सुरेंद्र सिंह सलूजा ने कंपनी में डायरेक्टर पद से दिए गए इस्तीफे में उनके हस्ताक्षर फर्जी होने के आरोप लगाए हैं, जिससे पूरा मामला अब हस्ताक्षर की जांच पर आकर अटका हुआ है। प्रकरण में शामिल आरोपियों द्वारा इस्तीफे से संबंधित दस्तावेज भी पहले पुलिस को न सौंपे जाने से लेटलतीफी हुई है। हालांकि हाईकोर्ट में बंद लिफाफे में दस्तावेज सौंपे जाने के बाद अब जांच हरमीत सिंह और सुरेन्द्र सिंह के हस्ताक्षर नमूनों पर अटकी हुई है।
माधवनगर पुलिस ने दोनों ही पीडि़तों को अबतक तीन बार पत्र जारी करते हुए थाने आकर हस्ताक्षर नमून देने कहा है लेकिन न तो ये पीडि़त घर पर मिले है और न ही पुलिस के पास जाकर अबतक नमूने दिए गए हैं। इसके अलावा कुछ अन्य जरूरी दस्तावेज भी पुलिस ने मांगे हैं। यह जांच इसलिए जरूरी है, जिससे यह सामने आ सके कि क्या हरमीत सिंह लांबा एवं सुरेन्द्र सिंह सलूजा ने वास्तव में कंपनी से त्यागपत्र दिया है अथवा उनका त्यागपत्र जाली हस्ताक्षरों पर आधारित है। माधवनगर थाना प्रभारी संजय दुबे ने बताया कि संबंधितों को नोटिस जारी किए गए है लेकिन वे नहीं आए। पुन: नोटिस जारी किए जाएंगे।
इस प्रकरण में सीआईडी की एंट्री भी हुई थी। हाईकोर्ट के आदेश के बाद पुलिस मुख्यालय द्वारा कोतवाली व माधवनगर थाना में दर्ज दो प्रकरणों की जांच कटनी पुलिस से लेकर सीआईडी भोपाल को सौंप दी गई थी। इसके बाद पीडि़त पक्ष ने हाईकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश को निरस्त करते हुए जांच कटनी पुलिस को सौंप दी थी। अब दोनों प्रकरणों की जांच माधवनगर थाना में की जा रही है।
कटनी निवासी हरनीत सिंह लाम्बा और सुरेंद्र सिंह सलूजा ने कूटरचित दस्तावेज तैयार करने का आरोप लगाते कोतवाली थाना व माधवनगर थाना में 27 जुलाई 2024 को एफआईआर दर्ज कराई गई थी। कहा था कि हरगढ़ स्थित यूरो प्रतीक इस्पात इंडिया लिमिटेड में वो 5 जून 2018 को डायरेक्टर बनाए गए थे। कंपनी के अन्य डायरेक्टर रायपुर के हिमांशु श्रीवास्तव, सन्मति जैन, सुनील अग्रवाल, लाची मित्तल थे। चार डायरेक्टरों ने धोखे से हरनीत और सुरेन्द्र सिंह को डायरेक्टर पद से हटा दिया था। इस्तीफे में फर्जी हस्ताक्षर किए गए थे। धोखाधड़ी की एफआईआर दर्ज होने के बाद जिला सत्र न्यायालय से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक से हिमांशु, सन्मति और सुनील की अग्रिम जमानत अर्जी खारिज हो गईं थी। सिर्फ लाची मित्तल को गर्भवती होने के आधार पर अग्रिम जमानत मिली थी।
सिहोरा में संचालित यूरो प्रतीक कम्पनी का मामला इसलिए भी चर्चाओं में रहा है क्योंकि इस कंपनी से एक सफेदपोश भी अघोषित रूप से जुड़े रहे हैं। डायरेक्टर्स के बीच विवाद हुआ तो सिहोरा की बजाय कटनी पुलिस ने शिकायत पर विवेकाधिकार का उपयोग कर एफआईआर दर्ज कर ली थी। इसके बाद प्रकरण में डीआईजी द्वारा आरोपियों की गिरफ्तारी को लेकर जारी आदेश को भी हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी। जिसपर हाईकोर्ट ने कहा था कि वरिष्ठ अधिकारी जांच सही दिशा में नहीं होने पर जांच अधिकारी बदल सकते हैं लेकिन गिरफ्तारी करने या नहीं करने का आदेश नहीं दे सकते।
इनका कहना
सिहोरा स्थित इस्पात कम्पनी यूरो प्रतीक कंपनी के प्रकरण में पीडि़तों के हस्ताक्षर नमूने सहित अन्य जरूरी जांच की जानी है। संबंधितों को नोटिस जारी करते हुए बुलाया गया था लेकिन वे नहीं आए। जल्द ही नमूने लेने की प्रक्रिया पूरी कराई जाएगी।
अभिनय विश्वकर्मा, एसपी
Published on:
13 Dec 2025 08:20 pm
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