कटनी. मुख्य रेलवे स्टेशन में प्रतिदिन तीन दर्जन से अधिक ट्रेनों का ठहराव हो रहा है। 10 हजार से अधिक यात्री विभिन्न ट्रेनों में सफर करते हैं। सबसे ज्यादा यात्री प्लेटफॉर्म क्रमांक तीन, चार और पांच से सफर करते हैं, क्योंकि पैसेंजर ट्रेनों का ठहराव इन्हीं प्लेट फॉर्मों में अधिक रहता है। आपको जानकारी हैरानी होगी के देश के अधिकांश बड़े-बड़े स्टेशनों में दो से तीन फुट ओवर ब्रिज बन गए हैं, लेकिन कटनी जंक्शन में अबतक इस पर पहल नहीं की गई। सुबह और शाम यात्रियों का रेला रहता है। किसी त्योहार के समय भीड़ बेकाबू हो जाती है, कई बार भगदड़ जैसी स्थिति बनती है। इन सबके बीच एक प्लेटफॉर्म से दूसरे प्लेटफॉर्म जाने के लिए यात्रियों को सिर्फ एक ही एफओबी का सहारा है। सुबह और शाम एक साथ कई ट्रेनों के स्टॉपेज से 3 से चार हजार यात्रियों का दबाव रहता है। ऐसे में ब्रिज पर खतरा मंडराता रहता है। इलाहाबद, मुंबई सहित अन्य शहरों में यात्रियों के अत्यधिक दबाव के कारण हादसे भी हो चुके हैं, बावजूद इसके कटनी में अबतक इस दिशा में पहल नहीं हुई। बताया जा रहा है 12 साल पहले एक प्रस्ताव बना था, लेकिन अबतक उस पर अमल नहीं हुआ।
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इस समस्या रहती है ज्यादा समस्या
मुख्य रेलवे स्टेशन में सुबह और शाम के समय सबसे ज्यादा यात्रियों का दबाव रहता है, इसकी मुख्य वजह है पैसेंजर ट्रेनें अधिक रहती हैं। सुबह जबलपुर-रीवा शटल, रीवा-जबलपुर इंटरसिटी एक्सप्रेस, महाकौशल एक्सप्रेस, कटनी-बीना पैसेंजर, बीना-कटनी, चौपन-कटनी, कटनी-चौपन, कटनी-भुसावल, भुसावल कटनी पैसेंजर, जबलपुर-रीवा, महानगरी एक्सप्रसे, चित्रकूट एक्सप्रेस, शाम को बीना-कटनी पैसेंजर, कटनी-बीना पैसेंजर, रीवा-बिलासपुर पैसेंजर सहित अन्य ट्रेनों के समय एफओबी से आवागमन में गंभीर समस्या होती है।
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चौड़ाई भी कम है
समस्या की मुख्य कारण यह भी है कि फुट ओवर ब्रिज की चौड़ाई भी काफी कम है। सीढिय़ों के पास चौड़ाई तो अधिक है, लेकिन ऊपरी हिस्से में चौड़ाई कम है। फुट ओवर ब्रिज के रैंप वाले हिस्से का यात्री उपयोग बहुत कम करते हैं। रैंप जबलपुर एंड की तरफ बना है, इसलिए यात्री रेलवे स्टेशन से बाहर निकलने के लिए सीढिय़ों का ही उपयोग करते हैं।
इनका कहना है
कटनी जंक्शन के फुट ओवर ब्रिज में यदि यात्रियों का दबाव अधिक है और समस्या जान पड़ती है तो यहां पर एफओबी के संबंध में अधिकारियों से चर्चा की जाएगी। यात्रियों की सुरक्षा के मद्देनजर आवश्यक निर्णय लिए जाएंगे।
प्रियंका दीक्षित, सीपीआरओ।