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हे राम! पहले गुनहगारों की शिकार, फिर सिस्टम की मार…

Negligence in women safety

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कटनी

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Balmeek Pandey

Feb 16, 2025

Ajmer rape

प्रतीकात्मक तस्वीर: पत्रिका

सिस्टम की बेबसी: बलात्कार और छेड़छाड़ की पीडि़ताओं के जख्मों पर मरहम की बजाय जले पर नमक छिडक़ता है सिस्टम, जिले के अधिकांश थानों में नहीं महिला पुलिस अफसर, फरियाद लेकर गांव से जिला मुख्यालय जाकर महिला थाना में सुनानी पड़ती है फरियाद, गांव में ड्यूटी करने से कतराती हैं महिला पुलिस अधिकारी-कर्मचारी, दुश्वारियां झेलने विवश ज्यादती का शिकार होने वालीं महिलाएं, किशोरी व युवतियां

कटनी. जिले में बलात्कार और छेड़छाड़ की पीडि़तओं को न्याय की लड़ाई में दोहरी तकलीफों का सामना करना पड़ रहा है। अपराधियों की घिनौनी हरकत के बाद सिस्टम की खामियों के कारण उन्हें न्याय के लिए भटकना पड़ता है। जिले के अधिकांश थानों में महिला पुलिस अधिकारी या कर्मचारी उपलब्ध नहीं हैं, जिससे पीडि़ताओं को अपनी शिकायत दर्ज कराने के लिए जिला मुख्यालय स्थित महिला थाना तक जाना पड़ता है।
ग्रामीण क्षेत्रों में पुलिस थानों में महिला अधिकारी न होने के कारण, महिलाओं, किशोरियों और युवतियों को यौन अपराध की शिकायत दर्ज कराने में भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। पीडि़ता जब अपनी शिकायत लेकर स्थानीय थाने जाती है, तो वहां महिला पुलिसकर्मी न होने के कारण उसे असहज स्थिति का सामना करना पड़ता है। ऐसे में उन्हें कई किलोमीटर दूर जिला मुख्यालय जाकर महिला थाना में शिकायत दर्ज करानी पड़ती है।

यह है नियम
जब किसी महिला, किशोरी व युवती के साथ गैंगरेप, बलात्कार, छेड़छाड़ या अन्य कोई संगीन घटना होती है, तो उसकी तत्काल शिकायत दर्ज करानी चाहिए, ताकि कार्रवाई जल्द हो सके। लेकिन शहर व ग्रामीण इलाकों में महिला पुलिस अधिकारियों की तैनाती न होने के कारण शिकायत दर्ज कराने में देरी होती है। कई बार पीडि़ता और उसके परिजन जिला मुख्यालय तक नहीं जा पाते, जिससे मामला ठंडे बस्ते में चला जाता है।

यह निकलना चाहिए समाधान

  • जिले के हर पुलिस थाने में कम से कम एक महिला पुलिस अधिकारी की तैनाती अनिवार्य की जाए।
  • ग्रामीण इलाकों में महिला पुलिस बीट सिस्टम लागू किया जाए, जिससे महिलाओं को अपनी शिकायत दर्ज कराने के लिए जिला मुख्यालय न जाना पड़े।
  • पुलिस प्रशासन को महिला सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए, गांव-गांव में महिला हेल्पलाइन और सुरक्षा बढ़ाने पर जोर देना चाहिए।
  • ग्रामीण इलाकों में महिला पुलिस अधिकारियों की तैनाती से बचने की प्रवृत्ति पर रोक लगाई जाए और उन्हें वहां तैनात होने के लिए प्रोत्साहित किया जाए।
  • पुलिस प्रशासन, शासन इस समस्या का समाधान निकाले ताकि महिलाओं को सहजता से न्याय मिल सके।
  • पुलिस मुख्यालय से जिले के लिए महिला पुलिस अधिकारियों की पदस्थापना हो, ग्रामीण इलाकों में भी की जाए तैनानी।

एनकेजे थाने में नहीं एक भी महिला अधिकारी
आपको जानकर हैरानी होगी कि शहर का एनकेजे थाना ऐसा है, जहां पर एक भी महिला पुलिस अधिकारी तैनात नहीं है। एनकेजे थाने में सिर्फ प्रधान आरक्षक पुष्पलता मिश्रा, महिला आरक्षक सरला द्विवेदी की पदस्थापना है। ऐसे में महिला संबंधी अपराध के मामले सामने आने पर फरियादियों को परेशानी उठानी पड़ती है।

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माधवनगर व कुठला में भी कमी
शहर के माधवनगर थाने व कुठला थाने में भी महिला अधिकारियों की कमी है। माधवनगर में सिर्फ एक उप निरीक्षक प्रतीक्षा सिंह की पदस्थापना है, जबकि उप निरीक्षक प्रियंका राजपूत झिंझरी चौकी की कमान संभाल रही हैं। एक एएसआई पदस्थ हैं, जो अवकाश पर हैं। तीन से चार आरक्षक प्रधान व आरक्षक ही हैं। कुठला थाने में एक उप निरीक्षक मेघा मिश्रा पांडेय, एक प्रधान आरक्षक सविता, एक आरक्षक पूजा पदस्थ हैं।

रंगनाथ नगर के हाल बेहाल
शहर के रंगनाथ थाना में सिर्फ दो आरक्षक ही पदस्थ हैं। यहां पर रुचिका अग्रहरि, आरती सैय्याम पदस्थ हैं। उप निरीक्षक, सहायक उप निरीक्षक की पदस्थापना नहीं है। जब कोई महिला संबंधी अपराध सामने आते हैं तो प्रकरण को महिला थाना भेजा जाता है या फिर वहां से वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देश में महिला अधिकारी बुलवाकर सुनवाई कराई जाती है, तबतक पीडि़त को इंतजार करना पड़ता है। वहीं जबसे थानो का परिसीमन हुआ है तो क्षेत्रफल बढ़ गया है, लेकिन स्टॉफ में बढ़ोत्तरी नहीं हुई है,

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ऐसे समझें पीडि़ताओं की पीड़ा
केस 01

विजयराघवगढ़ थाना क्षेत्र में 2024 में तीन महिला व युवतियों के साथ बलात्कार की घटना सामने आई हैं। अनुभाग में महिला उप निरीक्षक की पदस्थापना न होने पर महिला थाना भेजकर कार्रवाई करानी पड़ी। इसमें पीडि़ता व परिजनों को परेशानी का सामना करना पड़ा।

केस-02
2024 में रंगनाथ नगर थाना क्षेत्र में एक किशोरी के साथ छेड़छाड़ का मामला सामने आया था। इस दौरान थाना में महिला अधिकारी की पदस्थापना न होने पर महिला थाने से महिला अधिकारी बुलवाकर कार्रवाई कराई गई थी, तब पीडि़ता को कई घंटे इंतजार करना पड़ा था।

केस 03
2024 में एनकेजे में एक किशोरी के साथ छेड़छाड़ की घटना सामने आई थी। बलात्कार के प्रयास के भी आरोप लगे थे। थाने में महिला अधिकारी न होने के कारण पीडि़त परिवार को महिला थाना जाने की सलाह दे दी गई थी। सुनवाई के लिए पीडि़ता व परिजन परेशान होते रहे।

केस-4
2023 में बड़वारा थाना क्षेत्र के एक गांव में किशोरी के साथ सौतेले पिता द्वारा बलात्कार किए जाने का मामला सामने आया था। इस मामले में थाने में महिला पुलिस अधिकारी न होने के कारण पीडि़ता को महिला थाना भेजा गया था, तब जाकर सुनवाई हो पाई थी।

कोतवाली में सिर्फ एक उप निरीक्षक
शहर के प्रमुख कोतवाली थाने में भी महिला पुलिस अधिकारियों की कमी बनी हुई है। थाने में दो महिला उपनिरीक्षक पदस्थ हैं। मंजू पटेल 9 माह से चाइल्ड केयर लीव पर हैं। इसके अलावा मोनिका सिंह चौहान पदस्थ हैं। सहायक उप निरीक्षक एक भी नहीं हैं। प्रधान आरक्षक एक व आरक्षक चार पदस्थ हैं।


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ग्रामीण थानों की सबसे खराब स्थिति

  • बड़वारा थाने में एक भी महिला अधिकारी की पदस्थापना नहीं है, कोई घटना सामने आने पर महिला थाने रैफर किया जाता है।
  • बरही थाने में भी नहीं पदस्थ हैं महिला अधिकारी, घटना सामने आने पर विगढ़ मुख्यालय व कंट्रोल रूम को सूचना देकर बुलवाई जाती हैं अधिकारी।
  • विजयराघवगढ़ थाना में एक एएसआई मीना धुर्वे की पदस्थापना है, एसआई की पदस्थापना नहीं है, वारदात होने पर महिला थाना व जिला मुख्यालय भेजना पड़ता है।
  • रीठी व बाकल थाना में भी एक भी महिला उप निरीक्षक व सहायक उप निरीक्षक की पदस्थापना नहीं है।
  • उमरियापान व ढीमरखेड़ा थाना में भी महिला उप निरीक्षक की नहीं है पदस्थापना, स्लीमनाबाद थाने की उप निरीक्षक नेहा मौर्य करती हैं कार्रवाई।
  • कैमोर थाना में भी नहीं है पदस्थापना, मुख्यालय भेजे जाते हैं मामले, ग्रामीण इलाके में ड्यूटी करने से कतराती हैं महिला अधिकारी।

यह हैं जिले में अपराधों की स्थिति

  • 05 बलात्कार
  • 05 छेड़छाड़
  • 112 अपहरण

वर्जन
यह बात सही है कि जिले के कई थानों में महिला अधिकारियों की तैनाती नहीं है। महिला सुरक्षा को लेकर पुलिस पूरी मुस्तैदी से काम करती है। महिला संबंधी अपराध संज्ञान में आने के बाद तत्काल सुनवाई कराई जाती है। शिकायत पर एफआइआर, आरोपी के खिलाफ सख्त कार्रवाई होती है। कई बार महिला अधिकारी संबंधित थाने में जाकर कार्रवाई करती हैं, कुछ मामलों में महिला थाना भेजकर कार्रवाई कराई जाती है।
अभिजीत रंजन, एसपी।