
कल्लू बकरा मर गया पूरा मोहल्ला रोया हिंदू रीति-रिवाज हुआ अंतिम संस्कार, अब तेरहवीं भी होगी जानें क्यों
कौशांबी. कल्लू नहीं रहा। परिजनों में शोक की लहर दौड़ गई। और दुखी कल्लू के मालिक ने उसकी मृत्यु के बाद बाकायदा हिंदू रीति-रिवाज से उसका अंतिम संस्कार किया। शव यात्रा में राम नाम सत्य के नारे लगे। मृत आत्मा की शांति के लिए ब्राह्मण भोज भी किया गया। अब तेरहवीं भी होगी। कई गांवों के लोगों को इसमें न्योता दिया गया है। कल्लू एक बकरे का नाम है। इस कहानी जिसने सुना वह आश्चर्यचकित हो गया है। सूबे में ऐसे कई मामले देखने को मिले हैं। पशु के प्रति प्रेम की यह कहानी लोगों को एक नई राह दिखाने के लिए मिसाल दी जा सकती है।
कहानी लोगों के मिसाल :- मामला सिराथू तहसील क्षेत्र के सयारा मीठेपुर निहालपुर गांव निवासी होमगार्ड रामप्रकाश यादव एक बकरा पाल रखा था। बकरा कल्लू घर में सभी से काफी घुल मिल गया था। रामप्रकाश यादव बकरे का अपना बेटे जैसा पालन-पोषण करते थे। बकरा दो दिन से बीमार था, शुक्रवार सुबह अचानक बकरे की मौत हो गई।
बकरे का किया गया अंतिम-संस्कार :- कल्लू की मौत के बाद परिजन दुखी हो गए। रामप्रकाश यादव बकरे की अंत्येष्टि की तैयारी में जुट गए। सिर भी मुंडवा लिया। बकायदा कल्लू बकरे की शव यात्रा निकाली गई। अपने खेत में हिंदू रीति रिवाज से अंतिम-संस्कार कर दिया।
कल्लू बकरा नहीं मेरा बेटा था :- कल्लू के मालिक राम प्रकाश यादव ने बताया, कल्लू बकरा साढ़े 5 साल का था। तबीयत खराब हुई या नहीं पता नहीं, लेकिन दो दिन की बीमारी में वह चल बसा। मैंने जी जान से उसे औलाद की तरह पाला था। हमारी कोई संतान नहीं है, इसलिए उसी को अपना संतान समझते थे।
तेरहवीं भी करूंगा :- राम प्रकाश यादव ने आगे बताया, हमने हिंदू-रीति रिवाज में उसका अंतिम संस्कार किया है। उसकी आत्मा की शांति के लिए मैं सब कुछ करूंगा। जैसे किसी आम आदमी का अंतिम संस्कार होता है उसी तरह किया है। दाग भी दिया और इसकी तेरहवीं भी करूंगा।
Updated on:
05 Dec 2021 10:25 am
Published on:
05 Dec 2021 08:14 am
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