
CG News: पर्यटकों की संख्या बढ़ी! शासन-प्रशासन पर्यटन स्थलों के विकास पर नहीं दे रहे ध्यान...(photo-patrika)
CG News: छत्तीसगढ़ के कवर्धा जिले में एक दर्जन से अधिक पर्यटन स्थल हैं। यहां सैलानियों के लिए किसी प्रकार की सुविधा नहीं है। यहां धीरे-धीरे पर्यटन स्थलों में सैलानियों की संख्या बढ़ती जा रही है। विदेशी सैलानी भी पहुंचते हैं लेकिन जर्जर सड़क व सुविधाओं की कमी के चलते विदेशी सैलानी चिढ़ जाते हैं। ठंड का मौसम शुरू हो चुका है और जिले के पर्यटन स्थलों पर स्थानीय लोगों के साथ पर्यटकों की चहलकदमी शुरू हो चुकी है।
कबीरधाम जिले में प्राकृतिक व पर्यटन क्षेत्रों की कमी नहीं है। कमी है तो बस उस स्थान को बढ़ावा देने की। जिले के भोरमदेव मंदिर, रानीदहरा जलप्रपात, पीड़ाघाट, सरोदादादर सहित सभी जलाशय पर्यटन क्षेत्र के लिए मशहूर हो चुके हैं। कबीरधाम जिले में ढेरों धार्मिक स्थल है। 11वीं शताब्दी की प्रतिमाओं के अलावा पचराही में करोड़ों वर्ष पूर्व के जीवाश्म मिल चुके हैं।
इसके अलावा पर्यटन क्षेत्र में झरना, गुफाएं, पहाड़ों की श्रृंखला, सनसेट पॉइंट, प्राकृतिक चुंबकीय क्षेत्र सहित ढेरों स्थल हैं, जो पर्यटन की दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण है। यदि उन क्षेत्रों को थोड़ा भी विकसित किया जाता है तो यहां पर पर्यटकों की संया में कई गुना वृद्धि होगी। आवागमन के सुगम रास्ताें के साथ ही पर्यटकाें को आकर्षक सुविधा देने की भी जरूरत है।
पंडरिया ब्लॉक के वनांचल क्षेत्रों में पर्यटकों के लिए बहुत ही अच्छी-अच्छी जगह है। प्रमुख झरने जैसे नरगिस झोझा, लइका बूडॉन, गोद गोदा, आगर नदी उद्गम, भैसाओदार, अंगद माडा, तीन नदियों का संगम, सारपानी जलप्रपात, आगर नदी जलप्रपात, पोलमी सरेगाह जलप्रपात जैसे कई स्थान मौजूद हैं। दिक्कत है तो वहां तक पहुंच मार्ग की। कच्चे रास्तों से होकर पहुंचना पड़ता है। कई ऐसे स्थान हैं जहां पर केवल बाइक ही जा सकती है।
बोड़ला ब्लॉक में रानीदहरा नामक स्थान है, जो बेहद खुबसूरत है। यह तीन ओर से पहाड़ियों से घिरा है और एक ओर काफी ऊंचाई से जलधारा गिरती है। बरसात के समय तो इसकी सुंदरता और भी निखर जाती है। आज इसे देखने के लिए कई जिले के पर्यटक पहुंचते हैं। यहां तक बेहतर पहुंच मार्ग, झरने तक पहुंचने की सुविधा, आसपास एक वाच टॉवर हो जाए तो इससे बेहतर पर्यटन और कोई नहीं हो सकता।
चिल्फी से करीब 9 किमी दूर पीड़ाघाट है, जो इस क्षेत्र की सबसे ऊंची चोटी है लेकिन आवागमन के लिए बेहद कच्चा मार्ग है। पीड़ाघाट तक पहुंचने में काफी परेशानी होती है। पीड़ाघाट में वन विभाग ने वॉच टॉवर बनाया है, जहां से करीब ४० फीट की ऊंचाई से पहाड़ियों की श्रृंखला देखी जा सकती है। यहां पर हैण्डपंप नहीं है। बोरपंप नहीं होने के कारण पानी की विकट समस्या है। इसे भी दूर किया जाना चाहिए।
चिल्फीघाटी के पास ही ग्राम बेंदा(राजबेंदा) है, जो पुरातात्विक स्थल है। यहां पर कई प्रतिमाएं ग्रामीणों को मिल चुकी है। यहां पर मौजूद खंडहरनुमा शिव मंदिर 9-10वीं शताब्दी का माना जाता है। यहां तीन स्थानों पर इस तरह के स्थान हैं, जहां पर पत्थर मौजूद हैं। बहुत ही खूबसुरत जगह है। चारों ओर हरियाली है, लेकिन पहुंच मार्ग बहुत जर्जर और संकरा है।
जिले के अधिकतर पर्यटन स्थल पहुंच मार्ग के पहले दूरी बताने सहित अन्य दिशा-निर्देश के लिए सूचना बोर्ड नहीं लगाया गया है। सैलानियों को स्वयं राह चलते लोगों से पूछते-पूछते पर्यटन स्थल तक पहुंचना पड़ता है। दिक्कत और तब बढ़ जाती है जब विदेशी सैलानी गूगल मैप के सहारे पर्यटन स्थल तक पहुंचने की कोशिश करते हैं। कई बार सैलानी भटक जाते हैं और वह दूसरी जगह पहुंच जाते हैं।
चिल्फीघाटी से तीन किमी की दूरी पर पहाड़ी की ओर सरोदा दादर है। वहीं पयर्टन स्थल, वाच टॉवर और बैगा एथनिक रिसॉर्ट है। गांव तक तो पक्की सड़क है लेकिन पर्यटन स्थल के लिए बस्ती से होते हुए कच्चे मार्ग से गुजरते हुए जाना पड़ता है। इससे काफी परेशानी होती है। असली परेशानी बारिश होने पर होती है, जब सड़क कीचड़युक्त हो जाता है। छोटे वाहनों के पहिए ही धंस जाते हैं। जबकि बैगा एथनिक रिसॉर्ट पहुंचने के लिए अलग से रास्ता बनाया जा सकता है। इससे पर्यटकों को सुविधा होगी।
बीते वर्ष पंडरिया विधायक भावना बोहरा ने विधानसभा सत्र के दौरान कबीरधाम जिले के पर्यटन को बढ़ावा देने का मामला उठाया था। चर्चा करते हुए क्षेत्र के प्रमुख पर्यटन स्थलों के विकास के लिए प्रमुख मांगे रखीं। चर्चा के दौरान पंडरिया विधायक बोहरा ने कांग्रेस शासनकाल के दौरान पर्यटन स्थलों के विकास को लेकर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए मूलभूत सुविधाओं की मांग को प्रमुखता से रखा। मतलब जिले में पर्यटन स्थल तो है पर जरुरत है सिर्फ सुविधा देने की है।
Updated on:
24 Oct 2025 05:12 pm
Published on:
24 Oct 2025 05:00 pm
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